हार्ट व्लॉक का होम्योपैथिक उपचार

                           हार्ट व्लॉक का होम्योपैथिक उपचार

                                                                                                                                                   डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा

हम जानते हैं कि एक स्वस्थ मानव का हृदय एक मिनट में लगभग 60 से 100 बार तक धड़कता है। दिल की धड़कन हृदय की मांसपेशियों में आने वाला एक संकुचन है, जो शरीर के विभिन्न अंगों की ओर रक्त को संचालित करता है। ब्लॉक ऑफ हार्ट ऑरिकुलर-वेंट्रिकुलर बंडल अथवा हिज़ बंडल की बीमारी से उत्पन्न लक्षणों को दिया गया एक नाम है। यह स्थिति ऑरिकल्स से वेंट्रिकल्स तक सामान्य उत्तेजना के संचालन को बाधित करती है।

जेनेरली, हृदय की प्रत्येक मांसपेशी का संकुचन विद्युत संकेतों के माध्यम से नियंत्रित होता है जो अर्टेरिया, या हृदय के ऊपरी कक्षों से निलय, या निचले कक्षों तक यात्रा करते हैं।

आंशिक हृदय ब्लॉक तब होता है जब यह विद्युत आवेग विलंबित या बंद होने लगते हैं, जो कि हृदय नियमित रूप से धड़कने से रोकता है। पूर्ण हृदय ब्लॉक तब होता है जब विद्युत संकेत पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। दिल की धड़कन प्रति मिनट लगभग 40 बार से भी कम हो जाती है। हालांकि, आवेगों में आने वाला यह परिवर्तन, जो कि सेकंड के एक छोटे अंश तक ही रहता है, और यह हृदय अवरोध का कारण बन सकता है।

कभी-कभी, हृदय ब्लॉक होने से हृदय के लिए संचार प्रणाली के माध्यम से रक्त को ठीक से पंप करना कठिन हो जाता है, इसलिए मस्तिष्क सहित मांसपेशियों और अंगों को ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है।

हार्ट ब्लॉक के प्रकार

हार्ट ब्लॉक तीन प्रकार के होते हैं-

                                                                           

फर्स्ट-डिग्री हार्ट ब्लॉक ; इस स्थिति में दिल की धड़कन में बहुत कम व्यवधान होता है, जैसे किसी धड़कन का मिस हो जाना। अतः कह सकते हैं कि यह हृदय ब्लॉक का सबसे कम गंभीर प्रकार है, और इसमें आमतौर पर उपचार की आवश्यकता नहीं होती है और यह जल्द ही नियमित हो जाता है।

द्वितीय-डिग्री हृदय ब्लॉक : यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब कुछ विद्युत संकेत बहुत कम हृदय तक पहुंच पाते हैं, जिससे प्रायः दिल की धड़कनें कम हो जाती है या फिर आंशिक रूप से रुक जाती है। इस स्थिति में रोगी को चक्कर आ सकते हैं, और उन्हें पेसमेकर की भी आवश्यकता पड़ सकती है। इस स्थिति में दिल के निलय सिकुड़ नहीं सकते है, क्योंकि आलिंद आवेग निलय तक नहीं पहुंच पाते है।

तृतीय-डिग्री या पूर्ण हृदय अवरोध : ऐसा तब होता है जब विद्युत संकेत हृदय के अर्टेरिया और निलय कक्षों के बीच सही से यात्रा नहीं कर पाते हैं। हृदय रोग के रोगियों में यह स्थिति सबसे अधिक आम होती है और पेसमेकर की सहायता के बिना दिल का दौरा पड़ने का गंभीर खतरा बना रहता है।

हार्ट ब्लॉक के कारण

एक स्वस्थ हृदय में, हृदय की मांसपेशियों के अंदर यात्रा करने वाले विद्युत आवेग ही दिल के निलयों को सिकुड़ने या धड़कने का निर्देश देते हैं। आवेग ऊपरी हृदय कक्षों से, एट्रियोवेंट्रिकुलर (एवी) नोड के माध्यम से, निचले कक्षों तक एक मार्ग के साथ यात्रा करते हैं।

इस मार्ग के साथ हृदय तंतुओं का एक समूह होता है। इन्हें हिज का बंडल, “बंडल ब्रांच ब्लॉक“ या “एवी बंडल“ कहते है। यह बंडल दाएँ और बाएँ बंडल, दो शाखाओं में विभाजित होते है। बंडल विद्युत आवेगों को हृदय निलय तक ले जाते हैं। प्रत्येक निलय में एक शाखा होती है। शाखा बंडलों में से किसी एक के क्षतिग्रस्त होने से असंयमित वेंट्रिकुलर संकुचन हो सकता है, और यह स्थिति असामान्य दिल की धड़कन भी हो सकती है।

हृदय के दाहिनी ओर एक अवरुद्ध संकेत आमतौर पर गंभीर नहीं होता है, लेकिन बाईं ओर का अवरोध कोरोनरी धमनी रोग, या किसी अन्य हृदय समस्या के उच्च जोखिम की ओर संकेत कर सकता है।

हार्ट ब्लॉक के लक्षण

यदि किसी व्यक्ति को हृदय ब्लॉक है, तो उन्हें इस प्रकार के लक्षण अनुभव हो सकते हैः

                                                                  

  • धीमी या अनियमित दिल की धड़कन।
  • सांस लेने में कठिनाई होना।
  • चक्कर आना और बेहोशी होना।
  • सीने में दर्द या बेचैनी होना।
  • शरीर के चारों ओर रक्त के पंप न होने के कारण व्यायाम आदि शारीरिक श्रम करने के दौरान कठिनाई होती है

हार्ट ब्लॉक के जोखिम कारक

                                                                   

निम्नलिखित स्थितियाँ इसके जोखिम को बढ़ाती हैंः

  • कार्डियोमायोपैथी
  • कोरोनरी थ्रॉम्बोसिस
  • मायोकार्डिटिस, या हृदय की मांसपेशियों की सूजन
  • अन्तर्हृद्शोथ, या हृदय वाल्व की सूजन
  • सर्जरी या दिल का दौरा पड़ने के बाद हृदय में निशान ऊतक।

हार्ट ब्लॉक की जटिलताएँ

बाईं ओर के बंडल शाखा ब्लॉक वाले लोगों में दाईं ओर ब्लॉक वाले लोगों की तुलना में जटिलताओं का खतरा अधिक होता है।

संभावित जटिलताओं में निम्न स्थितियाँ शामिल हैंः

                                                                        

  • अतालता, या अनियमित दिल की धड़कन।
  • ब्रैडीकार्डिया, या कम हृदय गति।
  • अपर्याप्त संकुचन।
  • कार्डियक अरेस्ट और संचार विफलता।
  • अचानक हृदय की मृत्यु, जो लक्षण शुरू होने के एक घंटे के भीतर अधिक घातक हो सकते है।

हार्ट ब्लॉक को हमेशा के लिए टाला नहीं जा सकता, लेकिन स्वस्थ आहार का सेवन, नियमित व्यायाम, शराब का सेवन कम करना और तंबाकू आदि से परहेज करके हृदय रोग के खतरे को कम किया जा सकता है।

हार्ट ब्लॉक के लिए होम्योपैथिक उपचार

                                                                               

    ह्नदय की विफलता के उपचार के लिए होम्योपैथी में बहुत सी दवाएं हैं जो लगभग 180 के आसपास होती हैं, परन्तु यहाँ जो सबसे आम दवाएं है और किसी भी स्थिति में प्रयोग की जा सकती हैं केवल उनका ही वर्णन किया जा रहा है।

कैक्टसः  एनजाइना पेक्टोरिस के लक्षणों के साथ उत्पीड़न। तीव्र नाड़ी, दम घुटना, सांस लेने में परेशानी।

क्रैटेगसः  हृदय की कमजोरी के साथ मायोडीजेनरेटियो कॉर्डिस; संक्रामक रोगों के दौरान हृदय की कमजोरी। दर्दनाक ऐंठन; हाइपोटेंशन; विघटन की प्रवृत्ति; कार्यात्मक अनियमितताएँ आदि।

डिजिटेलिस : हृदय फैलाव के साथ हृदय की विफलता।

कैलियम कार्बोनिकमः  एंडो-मायोकार्डिटिस में हृदय और हृदय प्रणाली की कमजोरी। दिल में तेज़ दर्द.

स्पिगेलियाः तेज़ और असामान्य धड़कन, कम नाड़ी, एंडो-मायोकार्डिटिस आदि।

लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।