अच्छे और पौष्टिक खान-पान से सांसों की परेशानी का उपचार संभव

     अच्छे और पौष्टिक खान-पान से सांसों की परेशानी का उपचार संभव

                                                                                                                                        डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

“फेफड़ों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी है पेट की सेहत को भी अच्छी बनाए रखना”

                                                           

खान पान के माध्यम से सांसों की बीमारी का उपचार सम्भव होता है, क्योंकि पेट की सेहत फेफड़ों के स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकती है। पेट में उपस्थित रहने वाले अच्छे बैक्टीरिया फेफड़ों की बीमारियों को ठीक करने में भी मददगार साबित हो सकते हैं। यह बात चिकित्सकों एक दल के द्वारा एम्स दिल्ली में किए गए एक अध्ययन में सामने आई है।

इसके सम्बन्ध में प्यारे लाल शर्मा जिला अस्ताल के मेडिकल ऑफिसर, डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि एम्स के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के डॉक्टर रूपेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया है। इसे क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी जनरल में प्रकाशित किया गया है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल यह अध्ययन लैब में चूहों पर किया गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार प्रोबायोटिक से सांस की बीमारी से पीड़ित आईसीयू में भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो सकता है। इस अध्ययन के मुताबिक पेट यानी गट में पाया जाने वाला यह बैक्टीरिया लैक्टोबैसिलस रैम्यूनरेशन फेफड़ों की बीमारी को जल्द ठीक करने में मददगार साबित होते हैं।

सांस की गंभीर स्थिति (एडीआरएस) की स्थिति में मरीज के फेफड़ों में पानी भर जाता है। चूहों में इस बैक्टीरिया की मात्रा गट में मौजूद होने के कारण यह बैक्टीरिया संक्रमण से लड़ने वाली श्वेत रक्त कोशिकाएं नाइट्रोफिल की मात्रा को सही से नियंत्रित कर लेते हैं।

काम करने का तरीका

न्यूट्रोफिल फेफड़ों की कोशिकाओं को स्वस्थ रहने में मदद करते हैं। फेफड़ों में लंबे समय तक इनके भरे रहने से फेफड़ों के वायु कोष की क्षमता कम हो जाती है और इसस मरीज के फेफड़ों में पानी भरने लगता है। अच्छे बैक्टीरिया फेफड़ों में न्यूट्रोफिल की मात्रा को ठीक प्रकार से नियंत्रित करते हैं।

दही एवं छाछ का सेवन करने से पेट रहता है स्वस्थ

                                                                      

प्रोबायोटिक में स्वस्थ बैक्टीरिया होते हैं जो गट माइक्रोबायोम (सूक्ष्मजीवों) को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं, इसलिए प्रोबायोटिक से भरपूर भोजन जैसे दही और किमची आदि का प्रयोग करना फाइबर पाचन क्रिया के लिए लाभदायक होता है। इस कारण से अपनी डाइट में फाइबर से भरपूर आहार जैसे साबुत अनाज, मोटे अनाज, हरी सब्जियां तथा सलाद का अधिक से अधिक सेवन करें। यदि आप इस भोजन को अपने खाने में इस्तेमाल करते हैं तो आपके पेट की सेहत अच्छी बनी रहेगी और इससे फेफड़े संबंधी होने वाली बीमारियों को भी नियंत्रित करने में सहायता मिल सकेगी।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला चिकित्सालय, मेरठ, में मेडिकल ऑफिसर हैं।