तापमान में उतार-चढ़ाव से शहरों में बढ़ रही मृत्यु दर

                   तापमान में उतार-चढ़ाव से शहरों में बढ़ रही मृत्यु दर

                                                                                                                                                               डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

अध्ययन में हुआ खुलासा, यूरोप में पिछले साल गर्मी के कारण 70 हजार से अधिक मौतें हुईं

तापमान में बदलाव बीमारी और मृत्युदर को बढ़ाते हैं। 16 यूरोपीय देशों के 147 क्षेत्रों में रोज तापमान और मृत्यु दर के रिकॉर्ड पर आधारित अध्ययन में यह दावा किया गया है।

                                                                                   

शोधकर्ताओं ने पाया कि अत्यधिक गर्मी और ठंड से मौतें ज्यादा हुई हैं। अकेले यूरोप में पिछले साल गर्मी से 70 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई। दुनियाभर में शहरी मृत्यु का करीब 9.43 फीसदी तापमान में बदलाव के कारण होता है। इसमें अत्यधिक ठंड और गर्मी दोनों शामिल है। यह अध्ययन द लेंसेट रीजनल हेल्थ में प्रकाशित हुआ है।

तापमान के कारण मौतों में वृद्धिः अध्ययन के लेखक जोन बैलेस्टर क्लारमंट के अनुसार अगर आज हीटवेव है या बहुत अधिक तापमान है, तो हम आज और फिर अगले 7 से 10 दिनों तक मृत्यु दर में वृद्धि देखते हैं। यूरोप में रोजाना दर्ज आंकड़ों और साप्ताहिक आंकड़ों में अंतर को लेकर भी अध्ययन किया है।

2.74 करोड़ मौतों के आंकड़ों का विश्लेषण

                                                                            

शोधकर्ताओं ने 1998 से 2004 के बीच यूरोप के 16 देशों में सभी कारणों से हुए 2.74 करोड़ मौतों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि रोजाना और साप्ताहिक रूप से एकत्र किए आंकड़ों में मौतों की संख्या में अंतर है। रोजाना एकत्रित आंकड़ों में ठंड से 2.90 लाख मौतें बताई गई थी, जबकि गर्मी से 39434 लोगों की मौतें बताई गई थी। साप्ताहिक आंकड़ों में यह संख्या 21 तक कम आंकी गई थी।

भारत में सालाना 7 लाख से अधिक लोगों की मौत

भारत में असामान्य तापमान के कारण सालाना 7 लाख से अधिक लोगों की जानें जाती हैं। इसमें गर्म और ठंड के मौसम शामिल हैं। शोधकर्ताओं की टीम ने 2000 से 2019 तक हुई मौतों पर विश्लेषण किया था। उनके अनुसार असामान्य ठंड के कारण हर साल 6.55 लाख तथा गर्मी के कारण 83 हजार से अधिक मौतें हुई। साप्ताहिक, दो सप्ताह पर और महीने भर में रोजाना के आंकड़ों की तुलना में तापमान-संबंधी मृत्यु दर को कम करके आंका गया।

अत्यधिक गर्मी से हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ा

यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्मी या ठंड के कारण हृदय रोगों का खतरा बढ़ा है। तापमान में बदलाव के कारण 2019 में दुनियाभर में 11.94 लाख लोगों की मौतें हुई।

जलवायु परिवर्तन से मस्तिष्क को खतरा

                                                                          

जलवायु परिवर्तन के जाल का दुष्प्रभाव इंसानों के मस्तिष्क पर भी पड़ रहा है। ऑस्ट्रिया के यूनिवर्सिटी ऑफ वियना के वैज्ञानिकों ने नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित शोध में यह दावा किया है। शोध के अनुसार जलवायु परिवर्तन इंसानों के सोचने, समझने, फैसला लेने की क्षमता के साथ मस्तिष्क को कई और तरीके से प्रभावित कर रहा है। वैज्ञानिकों ने ये समझने की कोशिश की है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण में बदलाव से मष्तिष्क कैसे प्रभावित हो रहा है।

प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर किंबर्ले सी डोएल का कहना है कि पर्यावरण में होने वाला बदलाव से मस्तिष्क में बदलाव की वजह बनता है। वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दावा किया है कि वर्ष 1940 के बाद से ही वैज्ञानिकों को पता चल गया था कि चूहों में जलवायु परिवर्तन का बुरा असर पड़ता है। ऐसे कई साक्ष्य हैं जिससे पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन से मस्तिष्क के विकास और क्षमता पर बुरा असर दिखता है।

लेखक : डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ, में मेडिकल ऑफिसर हैं।