खेती किसानी में डिजिटल टेक्नोलॉजी की बढ़ती उपयोगिता

             खेती किसानी में डिजिटल टेक्नोलॉजी की बढ़ती उपयोगिता

                                                                                                                                                                                    डॉ0 आर. एस. सेंगर

किसानों की समस्याएं अपनी जगह हैं और असम होने वाली बारिश की मार हो या फिर बेसहारा पशु जो उनके लिए एक बड़ी समस्या बने हुए हैं, लेकिन यह भी एक सत्य है कि पिछले कुछ सालों से किसानों ने आधुनिकता के रोड मैप पर भी तेजी से चलना शुरू कर दिया है। ऐसे में यूपी की खेती भी अब अपने परंपरागत ढर्रे से बाहर आकर डिजिटल ट्रैक पर तीव्र गति से आरूढ़ है। खेती का यह डिजिटल दृष्टिकोण प्रदर्शित की गारंटी के साथ कृषि विकास की दर को गति प्रदान करने के साथ-साथ फसल उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि की उम्मीदें भी जगा रहा है।

क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने में भी आज डिजिटल भागीदारी नए अवसरों और रोजगार के अवसरों को तलाश रही है। बिचौलियों व साहूकारों का हस्तक्षेप भी काफी हद तके दूर हो चुका है, क्योंकि किसान अब अपने प्रोडक्ट को सीधे बाजार में बेच रहा है या फिर डिजिटल टेक्नोलॉजी की सहायता से जहां भी उसको अपनी उपज की अच्छी रेट मिलती है वहां तक अपने उत्पाद को आसानी से जागरूक किसान पहुंचा भी रहे हैं।

                                                                   

गुजरे एक दशक के दौरान हुए कृषि सुधार में आधुनिकीकरण और डिजिटल क्रांति का बड़ा योगदान देखने को मिल रहा है। कृषि विभाग के आंकड़े हर मोर्चे पर इसकी पुष्टि भी कर रहे हैं। विभाग के दर्शन पोर्टल पर प्रदेश के करीब 3. 20 करोड़ किसान पंजीकृत है और इनमें 2.20 करोड़ किसानों के आधार प्रमाणित है। अब इन अन्नदाताओं को सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए किसी के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं। अब इन सभी योजनाओं का लाभ डिजिटल माध्यम (डीबीटी) से उन तक स्वयं उनके बैंक खातों में पहुंच रहा है। पिछले वर्ष खरीफ में राजस्व एवं कृषि विभाग के सहयोग से प्रदेश के 21 जिलों में पूर्ण रूप से और शेष 54 जिलों के 10-10 गांव में किए गए डिजिटल सर्वे ने इसे और पुख्ता किया है। रबी मौसम में प्रदेश के सभी 75 जिलों के 6.69 करोड़ गाटा का डिजिटल सर्वे भी कराया जा रहा है।

किसानों का यह डिजिटल रिकॉर्ड, जहां कृषि विकास की वास्तविक तस्वीर को प्रदर्शित करता है, वहीं तमाम सरकारी योजनाओं के लाभ प्राप्त करने की गारंटी भी बनेगा। इसी प्रकार कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति के बढ़ते प्रभाव के दायरे में अब बीज सब्सिडी भी आ गई है। इस प्रकार से उत्तर प्रदेश अब किसानों को एट सोर्स सब्सिडी प्रदान करने वाला देश का पहला प्रदेश बन चुका है। इससे किसानों की बीज सब्सिडी का इंतजार अब खत्म हो गया है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना, फसल बीमा योजना, कृषि यंत्रों का पारदर्शीय वितरण आदि सब कृषि क्षेत्र की डिजिटल भागीदारी से ही संभव हुआ हो पाया है।

क्या है पीएम किसान सम्मान निधि

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का सबसे अधिक लाभ उत्तर प्रदेश के किसानों को ही मिला है। योजना के प्रारंभ (दिसंबर 2018) होने से लेकर अब तक प्रदेश के किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना के मद में 62,998.69 करोड रुपए का भुगतान डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके खातों में किया जा चुका है। प्रदेश में 276,98,010 कृषक ऐसे हैं, जिन्हें कम से कम एक बार इस योजना का लाभ मिल चुका है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 16वीं किस्त के क्रम में प्रदेश के दो करोड़ से अधिक (200.27 लाख) किसानों के खातों में 5,139,82 करोड रुपए हस्तांतरित किए जा चुके हैं।

क्या है पीएम कुसुम योजना

प्रधानमंत्री किसान सुरक्षा महा-अभियान के तहत 51,774 किसानों के यहां सोलर सिंचाई पंप की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। योजना के तहत केंद्र व राज्य सरकार किसानों को 60 प्रतिशत तक का अनुदान दे रही है।

कृषि यंत्र का वितरण

प्रदेश के 212631 किसानों को एकल कृषि यंत्र 6141 फार्म मशीनरी बैंक और 8132 कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना करते हुए अब तक 1850 करोड़ का अनुदान किसानों को डीबीटी के माध्यम से उनके बैंक खाते में उपलब्ध कराया गया है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

पिछले 7 वर्षों में 58,12 लाख किसानों को 5,022 करोड रुपए की क्षतिपूर्ति का भुगतान किया गया।

किसान समृद्धि योजना

पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के तहत अब तक 494 करोड रुपए के वित्तीय पोषण से 233962 हेक्टेयर  बीहड़ और बंजर भूमि का सुधार कराया जा चुका है।

कृषि क्षेत्र में नई तकनीक से बढ़ा उत्पादन

                                                                                   

खाद्यान्न उत्पादन में 18 प्रतिशत से अधिक की भागीदारी रखने वाले प्रदेश, उत्तर प्रदेश से देश को बड़ी उम्मीदें हैं। गत एक दशक में प्रदेश का अन्नदाता इन उम्मीदों पर खरा भी उतरा हैं। कृषि क्षेत्र में नई तकनीकी से उत्पादन और उत्पादकता दोनों ही बढ़ी है। वर्ष 2016-17 में प्रदेश में 557.46 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ जो कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में बढ़कर 625.3 लाख टन हो गया। इसी अवधि के दौरान उत्पादकता भी 27.25 कुंतल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 29.26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गई। प्रदेश में तिलहन उत्पादन भी 2016-17 के 12.40 लाख टन की तुलना में 2022-23 टन बढ़कर 21.17 लाख टन हो गया है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।