कोरोना से सावधान रहने की जरूरत

                                                                                 कोरोना से सावधान रहने की जरूरत

वर्तमान समय में कोरोना के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं, जिससे चिंता लोगों में बढ़ने लगी है और जब देश में प्रतिदिन मामले जब 10,000 से अधिक मामाले सामने आने लगे हैं, तब स्वाभाविक रूप से सावधान रहने की आवश्यकता है।

                                                  

कुल मामले 50,000 से करीब पिछले कुछ दिनों में ही पहुंच चुके हैंए पिछले 5-6 दिनों से कोरोना संक्रमण देश में लगातार बढ़ता जा रहा है, इसके साथ ही चिंता तो यह भी है कि कोरोना से मरने वालों की संख्या एक बार फिर से बढ़ रही है।

एक दिन में 29 मौतें सावधान करने के लिए काफी है, यह बात सही है कि इनमें से ज्यादातर लोग पहले से ही किसी अन्य बीमारी से पीड़ित थे, लेकिन वह भी अपने आप में डराने वाली बात है देश में अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों की संख्या भी अच्छी-खासी है।

वर्तमान समय में यदि देखा जाएं तो लगभग प्रत्येक घर में लोग जुकाम और ज्वर से पीड़ित चल रहे हैं ज्यादातर लोग स्वस्थ भी हो रहे हैं, पर जिनकी हालत बिगड़ रही है, उनके लिए अस्पतालों को अतिरिक्त सतर्क रहने की आवश्यकता है।

देश में 10 से ज्यादा राज्यों में कोरोना संबंधी सतर्कता में इजाफा करना पड़ा है जांच के साथ परस्पर दूरी बरतने और मास्क की भी वापसी दिखने लगी है। क्या हमें फिर घरों में कैद होना पड़ेगा, नहीं संक्रमण को इस लहर का सामना हमें बिना डरे पूरी मुस्तैदी के साथ करना होगा।

लेकिन इस बात को ध्यान में रखना होगा कि 2 गज की दूरी है जरूरी और मास्क भी लगाना है जरूरी। भीड़भाड़ के इलाकों में जाने से बचना होगा।

सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में भी सरकार ने केवल कोरोना पीड़ितों को सेवा देने वाले अस्पतालों को सक्रिय करने के आदेश दिए हैं। अस्पतालों में मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग किए जाने के निर्देश हैं।

स्थानीय निकाय चुनाव के देखते हुए भी उत्तर प्रदेश में सवाधानियाँ रखना जरूरी है, चुनाव आयोग को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कहीं भी भीड़ असुरक्षित ढंग से ना जुड़ने पाए। इसके लिए हर संभव दिशा-निर्देशों का समय रहते जारी करना बहुत जरूरी है।

उत्तर प्रदेश में लगभग 18,000 सक्रिय मामले हैं और सकारात्मकता दर अप्रैल में अब तक दशमलव 0.65% रही है यह आंकड़ा दिनांक 14 अप्रैल 2023 तक का है। यह भी ध्यान रखना होगा कि ज्यादातर पीड़ित जांच नहीं करा रहे, जहां जांच की सुविधा सुलभ नहीं है वहां सरकार को पहल करनी चाहिए और सबसे ज्यादा जांच पर ध्यान देना चाहिए।

इसके अलावा पीड़ितों या लक्षण वाले लोगों को अपने स्तर पर सतर्कता बरतनी चाहिए। बिहार में भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं अभी प्रतिदिन दर्ज मामलों की संख्या 60 के करीब है लेकिन इनमें से आधे मामले अकेले पटना के हैं मतलब पटना में लोग जांच करा रहे हैं। पटना के बारें में चिन्ता अधिक इसलिए है, क्योंकि वहाँ स्वाईन फ्लू भी दस्तक दे चुका है।

ऐसा माना जाता है कि बिहार में लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है परन्तु इसका दूसरा पहलू यह भी है कि यहां लोग बहुत मजबूरी में ही जांच कराने के लिए अस्पताल जाते हैं। लोगों को अपने स्तर पर सावधानी बरतने के साथ ही अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी आवश्यक काम करना चाहिए।

लोगों को अपनी शारीरिक कमियों पर पार पाना जरूरी है। एक ताजा भविष्यवाणी के अनुसार 27.5% संभावना है कि कोविड-19 जैसी घातक बीमारी अगले दशक में हमला बोल सकती है।

लंदन स्थित एयर  फिनिटी लिमिटेड के अनुसार जलवायु परिवर्तन, अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में वृद्धि, बढ़ती आबादी और जीनोटिक बीमारियों से पैदा होने वाले खतरों का जोखिम बढ़ा देता है।

इसका मतलब है कि चिकित्सा बिरादरी और वैज्ञानिकों को अपना अभियान तेज कर देना चाहिए क्योंकि बेहतर दबाव और इलाज के बेहतर तरीकों को जरूरत पड़ने वाली है। बार-बार उभरती बीमारियों से संकेत मिलता है कि गरीबों या अभावग्रस्त लोगों की चिकित्सा और चिकित्सा बीमा के बारे में सरकारों को इमानदारी से कदम उठाने की आवश्यकता है।

कैसे दिख रहे हैं लक्षण

इस समय यदि किसी मरीज को हल्का बुखार, गले में खराश, गले में दर्द, जुकाम, खांसी और मुंह का स्वाद बिगड़ने के जैसे लक्षण ज्यादा है। वायरस फेफड़े में निमोनिया नहीं बना रहा अन्यथा शरीर में ऑक्सीजन की कमी पड़ने से कई मरीजों की स्थिति गंभीर होती है।

यह संक्रमण ओमीक्रोन का सब टाइप लग रहा हैए मरीजों में 101 से 102 डिग्री बुखार, थकान, खांसी एवं कफ जैसे हल्के लक्षण दिखाई दे रहे है।

पहले संक्रमण के दौरान प्रभावित व्यक्ति की घ्राण-शक्ति/ध्गंध जाती थी, अब स्वाद कड़वा हो रहा है। ऑक्सीजन का स्तर ठीक मिलने से मरीजों को अस्पतालों में भर्ती नहीं करना पड़ रहा है। किडनी ट्रांसप्लांट, लीवर संक्रमण एवं शुगर के मरीज विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि शरीर कमजोर होने पर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और ऐसे में यह वायरस कमजोर क्षमता वाले मरीजों के लिए घातक साबित हो सकता है।

शुगर लिवर और किडनी के मरीज विशेष ध्यान दें

कोरोना की पिछली लहर में मरीजों की गंध और स्वाद एक अहम लक्षण था, लेकिन इस बार मुंह का स्वाद बिगड़ने की बात मरीज ज्यादा कर रहे हैं। वायरस जीभ में स्वाद को परखने वाली नर्व को डिस्टर्ब कर देता है, जिसके कारण लोगों को स्वाद की समस्या आती है।

शुगर, किडनी, लीवर, एनीमिया एवं कैंसर के मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए, साथ ही बुजुर्गों एवं बच्चों को भी भीड़भाड़ वाले इलाके में नहीं जाना चाहिए। सभी संस्थानों और विभागों को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए आगे आना चाहिए, सांस फूलने एवं बुखार के लक्षण पर जांच अवश्य करा लेनी चाहिए।

यदि उपरोक्त में से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो अपने निकटतम अस्पताल में जाकर कोविड की जांच अवश्य करा लेनी चाहिए और यदि लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर की सलाह से दवाइयां लेकर होम आइसोलेशन में रहना चाहिए और होम आइसोलेशन में तभी रहे जब डॉक्टर होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दें नहीं तो किसी अस्पताल डॉक्टरों के संपर्क में अवश्य रहे।

                                                                                     

                     डॉ0 दिव्याँशु सेंगर

                    मेडिकल ऑफिसर

          प्यारेलाल शर्मा, जिला अस्पताल, मेरठ।

                                                               

 

                                                                 अधिक मीठा खाने की इच्छा होने पर इससे कैसे बचें

      गुड और चना का सेवन करना रहेगा अच्छा

                                                       

                                                                                                                                                               डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                             

प्राय: देखा गया है कि जब हम 40 वर्ष की उम्र पार करते हैं, तो मीठा खाने के प्रति लोगों में ललक बढ़ जाती है।

यूएस नेशनल स्पोर्ट्स आफ हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार 40 से 60 वर्ष के लोगों में डिमेंशिया के लक्षण खानपान की आदतों में बदलाव के रूप में भी दिखते हैं। खासतौर से लोगों को मीठा खाने की बहुत इच्छा होती है इस कारण लोग ज्यादा भी खाने लगते हैं तो कुछ लोग अल्कोहल का अधिक सेवन करने लगते हैं।

डिमेंशिया के सामान्य लक्षणों में व्यक्ति का एक ही बात को दोहराते रहना, कई बार सीखने के बाद भी चीजों को लंबे वक्त तक याद न रख पाना, हर वक्त खुद में खोए रहना, नाम भूलने से लेकर कपड़े ढंग से न पहन पाने को शामिल किया जाता है।

शरीर में दर्द, खून की कमी, मांसपेशियों में खिंचाव की समस्या भी देखने को मिलती है। इस समय यदि लोग गुड़ और चने का सेवन करते हैं तो उनको फायदा मिलता है।

इससे शरीर की मेटाबॉलिक रेट बढ़ती है वजन कम करने में भी मदद मिलती है साथ ही इसके नियमित सेवन से आयरन और हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा किया जा सकता है।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि गुड़ केवल सर्दियों में ही खाया जाता है, ऐसा नहीं है इसको आप वर्षभर कभी भी खा सकते हैं। शरीर को इसका फायदा मिलता है इससे मांसपेशियों के साथ पाचन तंत्र को भी मजबूती मिलती है।

                                                    

एक ओर जहां गुड में आयरन और पोटेशियम बहुत अधिक मात्रा में होता हैए वही चने में विटामिन, कैल्शियम, फाइबर व प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। देखा गया है किए यदि आप नियमित रूप से कम मात्रा में इसका सेवन करते हैं तो शरीर को इसका फायदा मिलता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ में प्रोफेसर एवं कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्ययक्ष हैं।