प्रदूषित हवा और परागण की आपस में दुश्मनी

प्रदूषित हवा और परागण की आपस में दुश्मनी

                                                                                                                                                                 डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

‘‘वायु प्रदूषण के कारण पौधों में परागण की प्रक्रिया बाधित हो रही है, जिसका प्रभाव दुनिया के कई हिस्सों में उत्पादन पर भी पड़ रहा है।’’

                                                                          

विस्व स्वास्थ्य संगठन के शोध में यह पाया गया है कि वायु प्रदूषण बढ़ने से मनुष्यों में हाइपरटेंशन और डायबिटीज का जोखिम बढ़ जाता है, जो दिल के दौरे और हृदयाघात की आज सबसे बड़ी वजह बनता जा रहा है। अब एक नए शोध में सामने आया है कि यह पौधों की परागण क्रिया को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। परागण की प्रक्रिया से आशय परागकणों का नर से मादा के अंगों में जाना से है। पौधों के प्रजनन का एक जरूरी हिस्सा है। वायु प्रदूषण के कारण अब कीट परागण की प्रक्रिया भी बाधित हो रही है।

यह शोध फ्रंटियर्स इन इकोलॉजी ऐड एनवायरनमेंट पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस शोध के निष्कर्षो में कहा गया है कि वायु प्रदूषण परागमकर्ता कीटों और पौधों के लिए भी कई प्रकार की समस्याएं पैदा कर रहा है। इसके चलते पौधे अपने फूल आने का समय बदल रहे हैं या यह कीट फूलों की ओर आकर्षित ही नहीं हो रहे हैं। विभिन्न कारणों से होने वाला वायु प्रदूषण पौधों की परागण प्रक्रिया को ही बाधित कर रहा है।

                                                                  

इस अध्ययन के अनुसार, पौधों में फूल कम आने से परागण करने वाले कीट जैसे मधुमक्खियां, ततैया और तितलियां फूलों का पर्याप्त रस नहीं चूस पा रही हैं। पौधों और परागण करने वाले जीवों का संबंध टूटने से खेती पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इस वजह से दुनिया के कई हिस्सों में उत्पादन पर असर पड़ रहा है। प्रदूषित हवा परागणकों पर बुरा असर डाल रही है। यह पराग की गुणवत्ता को कम कर रही है या पौधों और कीट समुदायों की संरचना में मूलभूत परिवर्तन का कारण बन रही है।

वैज्ञानिक कहते हैं कि कीट परागण पर वायु प्रदूषकों के प्रभावों पर आगे का शोध पौधों और परागणकों के बीच परस्पर प्रभाव की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वायु प्रदूषण के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील है।

                                                                         

कीटों द्वारा परागण किए जाने वाले पौधों में बड़ी संख्या में खेती वाले पौधे हैं। कॉफी या स्ट्रॉबेरी में तो कीड़ों द्वारा परागण की कमी से फसल को भारी नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण अन्य जीवों के साथ पौधों के परस्पर रिश्ते को भी प्रभावित करता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि वह यह जांच करना चाहते हैं कि ओजोन प्रदूषण कीटों के एक विशिष्ट समूह के परागण और शिकार को कैसे प्रभावित करता है? खासकर शिकारी कीट होवरफ्लाइज पर इसका कैसा असर पड़ता है?

    जीव विज्ञानी कहते हैं कि हम इस शोध के माध्यम से कीट परागण के लिए वायु प्रदूषण के खतरों और उचित सुरक्षात्मक उपाय करने के महत्व पर सभी का ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि ये होवरफ्लाइज बहुत दिलचस्प हैं, क्योंकि ये वयस्कों के रूप में पौधों को परागित करते हैं, लेकिन लार्वा चरण में एफिड्स को खाते हैं और इस प्रकार एफिड आबादी को कम कर सकते हैं।

                                                                          

एफिड्स पौधे के प्रसिद्ध कीटों में से एक हैं। एफिड्स नरम शरीर वाले कीड़े हैं, जो पौधों के रस को चूसते हैं। वे आम तौर पर कोमल टर्मिनल विकास के नीचे की तरफ की कॉलोनियों में होते हैं। नए पौधों के लिए एफिड नियंत्रण सबसे मूल्यवान है, क्योंकि अत्यधिक रस चूम लेने से पौधे की सामान्य शक्ति प्रभावित होने की आशंका रहती है।

इसी विषय पर जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर केमिकल इकोलॉजी और अमेरिका के वर्जीनिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने फूलों और परागणकर्ताओं के बीच रासायनिक संचार पर ओजोन वायु प्रदूषण के प्रभावों का अध्ययन किया है।

उन्होंने दिखाया कि तंबाकू के फूलों पर मंडराने वाले कीटों ने अपने पसंदीदा फूलों की ओर आकर्षित होना बंद कर दिया है, क्योंकि वायु प्रदूषण के प्रभाव से उनकी खुशबू बदल गई थी। यह ऑक्सीकरण प्रदूषक पौधे और उसके परागणकर्ता के बीच के पौधे और संबंध में गड़बड़ी को उजागर करता है। इस प्रकार प्रदूषण, परागण क्रिया और परागणकर्ता कीट के बीच लाखों वर्षों में विकसित हुए रिश्ते में बाधा डाल सहा है।

                                                                            

शोधकर्ता कहते हैं कि वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए दूरगामी परिणाम हैं। ये न केवल पौधों की गंध को बदल देता है, बल्कि नर को आकर्षित करने के लिए सेक्स फेरोमोन मादा कीट को भी भ्रमित कर देते हैं। हाल के वर्षों में कीट मृत्यु दर नाटकीय ढंग से बढ़ी है और दुनिया भर के शोधकर्ता इसके कारणों की खोज कर रहे हैं।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।