जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप इस बार पड़ सकती है अधिक गर्मी

      जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप इस बार पड़ सकती है अधिक गर्मी

                                                                                                                                                                                            डॉ0 आर. एस. सेंगर

                                                                         

जलवायु परिवर्तन के कारण से पिछला वर्ष जहां ऐतिहासिक रूप से सबसे गर्म साबित हुआ, वहीं इतिहास में इस वर्ष का फरवरी माह जो चल रहा है में सबसे गर्म दर्ज होने का रिकॉर्ड बना लिया है। पूरी दुनिया में ज्यादातर जगहों पर फरवरी का तापमान सामान्य से ज्यादा दर्ज किया गया है। जलवायु परिवर्तन के चलते हर जगह बसंत समय से पहले ही पहुंच गया है।

जापान से मार्च के तक फूल जल्दी खिल गए हैं और अपनी रौनक दिखा रहे हैं। इसका मुख्य कारण समय से पहले तापमान का बढ़ जाना है। यूरोप में से बर्फ गायब हो चुकी है और टेक्सॉस में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। अमेरिकी ओशनिक और एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन एन ओ ए अभी भी इसे झूठला रहा है। हालांकि यदि इसके प्रारंभिकक एक रुझान को देखा जाए तो वहां पर लगातार नवा महीना होगा जब ऐतिहासिक रूप से तापमान रिकार्ड स्तर पर टूटने वाला है। एन ओ ए 14 मार्च फरवरी के अंतिम आंकड़े प्रकाशित करेगा।

साल के मध्य से राहत की संभावना

                                                             

एन ओ ए के वायुमंडलीय वैज्ञानिकों ने बताया कि अल नीनो का असर 2024 के मध्य तक खत्म होगा। इसके बाद दुनिया को गर्मी से राहत मिल सकती है। हालांकि इसके बाद तेजी से ला नैनो का प्रभाव बढ़ेगा, जिससे पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में कड़ाके की सर्दी वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ सकती है। एन ओ ओ का अनुमान है कि 22 प्रतिशत संभावना है कि वर्ष 2024 सबसे गर्म में वर्ष के रूप में साबित हो और यह वर्ष 2023 का रिकॉर्ड भी तोड़ सकता है। जगबि 99 प्रतिशत संभावना है कि यह अब तक के पांच सबसे गर्म वर्षों में शामिल होगा।

अधिक तापमान से लोग हो सकते हैं परेशान

                                                                        

जलवायु परिवर्तन के चलते यदि तापमान में अधिक वृद्धि होती है तो मानव जीवन ही नहीं फसलों पर भी इसका व्यापक प्रभाव नजर आएगा। मौसम विभाग ने बताया कि इंटरनेट पर उन्होंने जापान, मॉस्को व यूरोप की तस्वीर देखी है, यहां समय से पूर्व वसंत ने दस्तक दे दी है। अमेरिका में कई जगह तापमान सामान से 22 डिग्री सेल्सियस तक अधिक था। टेक्सॉस के कीलन शहर में 38 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया है, जबकि इन दिनों यहां सामान्य तापमान 16 डिग्री सेल्सियस के आसपास ही रहता है।

भारत के द इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च के भौतिक वैज्ञानिक एड्रेस लीवरमैन में कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ी गर्मी वैश्विक, मौसम प्रणालियों पर कहर बरपा रही है। ध्रुव पहाड़ों में ग्लेशियर पिघल रहे हैं और समुद्री जल का स्तर बढ़ रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया के वैज्ञानिक बेन वाइल्ड वन ने कहा कि दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी की वजह से लोगों की जान जा रही है।

जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए लोगों को सजग रहने की आवश्यकता है और अपने स्तर पर प्रयास करने चाहिए कि वह जलवायु परिवर्तन के लिए जो भी कारण है उन पर अंकुश लगाएं। वृक्षारोपण पर अधिक से अधिक ध्यान दें और वातावरण को प्रभावित करने वाले जो भी कारण बन सकते हैं, उनका काम से कम उपयोग करें। इससे हम जलवायु परिवर्तन में हो रहे अचानक उतार-चढ़ाव को रोक या फिर उन्हें कम कर सकते हैं। यह सभी लोगों की सामूहिक जिम्मेदारी होनी चाहिए और इस क्षेत्र में लोगों को आगे आकर समझना होगा कि वह अपने भविष्य को बचाने के लिए यदि अभी से सतर्क नहीं होंगे तो वह ऐसी आपदाओं से भविष्य में जूझते ही रहेंगे।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।