दवाई निर्माण के क्षेत्र में नैनो कण का योगदान

                       दवाई निर्माण के क्षेत्र में नैनो कण का योगदान

                                                                                                                                                             डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

केंद्र सरकार द्वारा देश में शोध और अनुसंधान को मिल रहे प्रोत्साहन के चलते, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की। विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने जैविक विधि से क्वांटम डाट्स नैनो पार्टिकल बनाने में सफलता प्राप्त की है। सदाबहार पौधे के फंगस से यह नैनो कण तैयार किए गए हैं। एक से 10 नैनो मीटर के ये कण चमकीले और पानी में घुलनशील होते हैं।

                                                                           

इनका प्रयोग इमेजिंग, रोग की पहचान करने व थेरेपटिक्स (दवा बनाने) में भी बखूबी किया जा सकेगा। एल्सवियर के अंतरराष्ट्रीय जर्नल एडवांस्ड पावर टेकनोलाजी में यह शोध प्रकाशित हुआ है।

12 घंटे की प्रक्रिया के बाद बनते हैं यह कणः

एएमयू के इंटरडिसिप्लिनरी नैनो टेक्नोलाजी सेंटर के प्रो. अबसार अहमद ने शोधार्थी सादिया परवीन और एस के नजरुल इस्लाम के साथ यह शोध पूरा किया। शोध टीम ने सदाबहार के पौधे में पाए जाने वाले इंडोफिटिक फंगस और रुथेनियम क्लोराइड को मिश्रित किया। 12 घंटे की प्रक्रिया के बाद फंगस ने रुथेनियम क्लोराइड को रुथेनियम आक्साइड में बदल दिया। रुथेनियम आक्साइड ही क्वांटम डाट्स नैनो पार्टिकल हैं।

ट्रांसमिशन इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप, एक्सरे डिफरेक्शन और एक्सरेफोटो स्पेक्ट्रोस्कोपी प्रक्रिया के बाद तैयार नैनों कणों की पुष्टि भी हो चुकी है।

पहली बार प्रयोग की गई विधिः

                                                               

बायोलाजिकल सिंथेसिस ऑफ इनआर्गेनिक नैनो मैटेरियल के जनक कहे जाने वाले प्रो. अबसार अहमद बताते हैं कि विश्व में पहली बार जैविक विधि से क्वांटम डाट्स नैनो पार्टिकल तैयार किए गए हैं।

‘‘रिसर्च के माध्यम से विज्ञान को आम आदमी के लिए अधिक से अधिक उपयोगी बनाने के लिए हम निरंतर प्रयास करते हैं और यह शोध इसी दिशा में महत्वपूर्ण सफलता है।’’

-प्रो. अबसार अहमद, इंटरडिसिप्लिनरी नैनो टेक्नोलाजी सेंटर, एएमयू।

  • अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने सदावहार पौधे के फंगस से तैयार किए क्वांटम डाट्स नैनो पार्टिकल।

फिजिकल व केमिकल विधि से भी इन्हें तैयार किया जा सकता है। जैविक विधि से बने नैनो पार्टिकल नान टाक्सिक होते हैं। इनमें भरपूर प्रोटीन होता है। सस्ते होने के साथ ये अधिक मात्रा में भी बनाए जा सकते हैं।

जबकि फिजिकल विधि से बनाए गए नैनो पार्टिकल हानिकारक होने के साथ ही वातावरण के अनुकूल भी नहीं होते हैं। ये आपस में मिलकर बड़े पार्टिकल्स बना लेते हैं और तैयार भी मुश्किल से होते हैं।

गंभीर रोगों के उपचार में सहायक होंगे नैनो पार्टिकल

क्वांटम डाट्स कृत्रिम नैनो संरचनाएं हैं। आज के दौर में इनका महत्व काफी बढ़ गया है। कैंसर जैसी बीमारी के उपचार में भी यह सहायक सिद्व हो सकते हैं। इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार रायल स्वीडिश एकेडमी आफ साइंसेज ने क्वांटम डाट्स से जुड़ी अभूतपूर्व खोज और इसके संश्लेषण के लिए ही मिला है।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला चिकित्सालय मेरठ, में मेडिकल ऑफिसर है।