बसों में चढ़कर बेचते थे पेन, एक विचार ने बदल दी जिंदगी बना ली करोड़ो की कंपनी

बसों में चढ़कर बेचते थे पेन, एक विचार ने बदल दी जिंदगी बना ली करोड़ो की कंपनी

                                                                                                                                                                                         डॉ0 आर. एस. सेंगर

कहते हैं कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है लेकिन कभी-कभी अचानक हुई दुर्घटना भी किसी नए चीज को जन्म देती है। भारत के इनवर्टर मन के नाम से जाने जाने वाले कुंवर सचदेव के बेटे को एक दिन इनवर्टर से करंट लग गया था। इस घटना ने जहां पिता कुंवर सचदेव को बुरी तरह झकझोर दिया, वहीं इनवर्टर व्यवसाय से जुड़े इस उद्यमी को एहसास हुआ कि इनवर्टर की बॉडी प्लास्टिक की होनी चाहिए ताकि कभी कोई अनहोनी न होने पाए।

इस दुर्घटना के बाद उन्होंने वर्ष 2000 में अपने ब्रांड नेम सुकॉम के तहत प्लास्टिक बॉडी वाले इन्वर्टर बनाने की शुरुआत की। यह वही कुंवर सचदेव हैं, जो कभी अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए बसों में और घर-घर जाकर पेन बेचा करते थे और बाद में विभिन्न व्यवसाय करते हुए अपने मजबूत इरादे और मेहनत के बल पर भारत के पावर बैकअप वेबसाइट का अग्रणीय बनकर कामयाबी की मंजिल हासिल कर ही ली।

क्या है पारिवारिक पृष्ठभूमि

                                                                  

एक मध्यवर्गी पंजाबी परिवार में 16 नवंबर 1962 को जन्मे कुंवर सचदेव वास्तविक अर्थों में ही स्वप्न द्रष्टा हैं, जो शुरू से ही एक सफल व्यवसाय करने का सपना मन में पाले हुए थे। इनके पिताजी, पिटारी रेलवे क्लब में कार्यरत थे और उनकी तनख्वाह भी ज्यादा नहीं थी। जिस कारण वह अपने बच्चों का पालन पोषण सही तरीके से कर पाने में असमर्थ थे। कुंवर अपने दो भाई और माता-पिता के साथ एक छोटे से घर में रहते थे।

कैसे की सुकॉम इनवर्टर की शुरुआत

                                                                            

वर्ष 1990 के दशक में ग्लोबलाइजेशन के बाद टीवी केबल का बिजनेस चल पड़ा। अब हर घर को केवल कनेक्शन की जरूरत होने लगी थी। कुंवर ने टीवी के उपकरण जैसे एमप्लीफायर और मॉड्यूल लेटेस्ट बनाने शुरू कर दिया। भारत में बिजली की समस्या बहुत ज्यादा थी, अक्सर उनके घर का इनवर्टर भी खराब हो जाता था। एक बार जब उनके घर का इनवर्टर खराब हुआ तो उन्होंने अपनी कंपनी की राउंड की टीम को बुलाकर यह पता लगाने के लिए कहा कि इसमें क्या खराबी है। तब उन्हें पता चला कि बाजार में जो इनवर्टर आ रहे हैं उनमें घटिया सामग्री लगाई जाती है।

इसके बाद फिर कुंवर ने उत्तम क्वालिटी का इनवर्टर बनाने का संकल्प लिया और वर्ष 1998 में सुकॉम पावर सिस्टम नामक कंपनी की स्थापना की समय के साथ बदलती जरूरतों के साथ उन्होंने अपने इनवर्टर में सुधार कार्यक्रम को जारी रखा और वर्ष 2000 में सुकाम दुनिया की पहली ऐसी कंपनी बनी जो प्लास्टिक बॉडी के इनवर्टर बनती थी।

इनोवेशन ऑफ़ द डिकेड

                                                                          

कुछ ही वर्षों में कुंवर सचदेव की कड़ी मेहनत और नव इन्वेंशन की दृष्टि के कारण सुकॉम एक बहुराष्ट्रीय भारतीय कंपनी बन गई। कुंवर सचदेव कहते हैं कि मैं भारत के हर घर को सौर ऊर्जा से संचालित होते देखना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि हर व्यवसाय चाहे बड़ा हो या छोटा और ऊर्जा में निवेश करें और इस प्राकृतिक संसाधन का निर्विवाद लाभ उठाएं। उन्होंने छोटी कंपनी से लेकर बड़ी इंडस्ट्री तक के लिए भी सोलर उपकरणों की खोज की है।

इन्हीं कारणों से उन्हें सोलर मैन ऑफ द इंडिया के नाम से भी संबोधित किया जाता है। विश्व के पहले प्लास्टिक बॉडी इनवर्टर का आविष्कार करने के कारण उन्हें इनोवेशन ऑफ द डिकेड का भी सम्मान दिया गया है। कुंवर सचदेव का पूरा व्यावसायिक जीवन उपलब्धियां से भरा हुआ है।

एक गलती ने कराई नई शुरुआत

सचदेव की घरेलू समस्याओं के कारण उनकी कंपनी सुकॉम दिवालिया हो गई और बैंकों ने उनके खिलाफ कानूनी मामले दायर किया, जिसे संभालना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। कुंवर कहते हैं कि मैंने सुकॉम ब्रांड के लिए जो प्रतिष्ठा बनाई थी, वह मेरी गलती से एक ही झटके में खत्म हो गई। मैं अपने मित्र को दिलों की मदद करना चाहता था, लेकिन कानूनी झगडों के चलते मेरे हाथ बंधे हुए थे। तभी मेरी पत्नी खुशबू सचदेव ने स्वस्तिक कंपनी शुरू की और तब से कंपनी कर्मचारी, डीलरों, और वितरको को बहुत सारी सेवाएं और सहायता देने में सक्षम रही है।

विज्ञापन रणनीति को अपनाया

लोगों के मन में अपने ब्रांड का नाम स्थापित करने के लिए कुंवर ने महंगे विज्ञापन का विकल्प चुनने के बजाय साइन बोर्ड लगाने के लिए ढाबों का विकल्प चुना। इससे कम खर्चे में सुकॉम ब्रांड का प्रचार प्रसार जगह-जगह दिखने लगा। उन्होंने श्रीनगर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल डल झील की नावो पर सुकॉम का लोगो लगवाया और सुकॉम के लिए बाजार की रणनीति शुरू की। ट्रैफिक बैरियर पर सुकॉम की ब्रांडिंग को भी प्रदर्शित किया गया, जिसका अच्छा प्ररिणाम भी सामने आया।

अवार्ड और सम्मान भी मिले

                                                                                  

कुंवर सचदेव को भारत सरकार ने भारत शिरोमणि और अंश एंड यंग का साल के सर्वश्रेष्ठ उद्योगपति अवार्ड से सम्मानित भी किया है। कुंवर के कठिन परिश्रम का ही यह फल है कि सुकॉम आज सबसे ज्यादा मार्केट शेयर करने वाली कंपनी है। कुंवर सचदेव की कहानी हम सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने अपने व्यवसाय की सफलता की कहानी खुद लिखी, जिसको पढ़कर युवाओं को प्रेरणा मिलती है कि वह एक लम्बे संघर्ष के बाद हजारों करोड़ों के टर्नओवर की कंपनी बनाने में सफल हो सके।

युवाओं को मिलती है सीख

  • कड़ी मेहनत के दम पर ही आप सफलता को हासिल कर सकते हैं।
  • युवाओं को अपनी असफलता से परेशान होने की जरूरत नहीं है, लेकिन उसे सीख कर और उसमें आवश्यकतानुसार सुधार करके इंसान अपने जीवन में कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है।
  • दृढ़ संकल्प लगन और कड़ी मेहनत की बदौलत अपनी किस्मत खुद लिखी जा सकती है।
  • सकारात्मक सोच धैर्य और सही तरीके से मेहनत कर व्यक्ति बुरे वक्त की चुनौतियों से निपट सकता है। जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए रचनात्मक व नए विचार होना बेहद जरूरी है।
  • जीवन में सफल होने के लिए यदि आप दृढ़ संकल्प और नए विचार के साथ आगे आएंगे तो आप निश्चित् रूप से अपने जीवन में सफल हो सकेंगे।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।