स्वदेशी जैविक फिल्टर से कम हो जाएगा वाहन प्रदूषण

              स्वदेशी जैविक फिल्टर से कम हो जाएगा वाहन प्रदूषण

                                                                                                                                                        डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

                                                                 

वाहनों के माध्यम से उत्सर्जित प्रदूषकों के कारण दिल्ली समेत देश के विभिन्न शहरों की हवा जहरीली हो रही है। इसका दुष्प्रभाव कम करने के लिए पुणे स्थित डा. डीवाई पाटिल जैव संस्थान के विज्ञानियों ने जैविक फिल्टर बायोस्मोट्रैप तैयार किया है। यह वाहनों के धुएं में मौजूद हानिकारक तत्वों को 80 प्रतिशत तक कम करने में सक्षम है। बीते दिनों दिल्ली में केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआइ) की ओर से आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान प्रतियोगिता में इन नवोन्मेष को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया।

वाहन के साइलेंसर में किया जाता है इसका प्रयोगः संस्थान के माइक्रोबियल डायवर्सिटी सेंटर की टीम ने इसको बनाने में ऐसे पर्यावरण अनुकूल संसाधनों का उपयोग किया है, जो सुगमता से उपलब्ध हों और फिल्टर की कीमत भी कम रहे। टीम ने तुरई के साथ शैवाल के लैमिनेटेड मिश्रण से बायोस्मोट्रैप फिल्टर तैयार किया है। जो वाहनों के धुएं में मौजूद कार्बन मोनोआक्साइड, नाइट्रिक आक्साइड, नाइट्रोजन डाइआक्साइड और पीएम2.5 जैसे खतरनाक प्रदूषकों को कम करता है। इसे साइलेंसर के अंतिम सिरे पर एक असेंबली की मदद से लगाया जाता है। इसे 500 किमी वाहन चलाने के बाद बदलना होगा।

                                                                     

    इस तकनीक को पेटेंट मिल चुका है और अब संस्थान इसे कम कीमत में बाजार में लाने की प्रक्रिया कर रहा है। फिल्टर की कीमत 10 से 50 रुपये तक होगी। दोपहिया वाहनों के लिए कीमत कम और चारपहिया वाहनों के लिए थोड़ी अधिक होगी। इस नवोन्मेष को केंद्र सरकार की जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआइआरएसी) ने भी सराहा है। परिषद ने नवोन्मेष करने वाली टीम को गांधियन यंग टेक्नोलाजिकल इनोवोशन ग्रैंड अवार्ड भी प्रदान किया है।

“हम इस नए जैविक फिल्टर बायोस्मोटैप से पर्यावरण को स्वच्छ, हरा-भरा और सांस लेने के योग्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं। कम वायु प्रदूषण ही स्वस्थ जीवन समाधान का एकमात्र उत्तर है।“

डा. नीलू नवानी, निदेशक डा. डीवाई पाटिल जैव संस्थान, पुणे।

  • पुणे के डीवाई पाटिल जैव संस्थान का नवोन्मेष, राष्ट्रीय विज्ञान प्रतियोगिता में इसे प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया है।
  • इस तकनीक को पेटेंट मिल चुका है अव कम कीमत में बाजार में लाने की प्रक्रिया कर रहा है संस्थान

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।