बकरी के दूध से बने साबुन की बढ़ी मांग

                      बकरी के दूध से बने साबुन की बढ़ी मांग

                                                                                                                                                  डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

अभिनेत्रियों के सौंदर्य निखार के लिए न जाने कितने साबुनों के बारे में आप ने सुन रखा होगा, लेकिन आपको यह जानकर अचरज होगा कि अब बकरी के दूध से बने साबुन पर कई अभिनेत्रियाँ फिदा हैं। यह गोट मिल्क सोप सोनांचल की महिलाओं के एक समूह ’प्रेरणा उत्पादन गृह’ के द्वारा तैयार किया जा रहा है।

इसके बारे में दावा तो यह किया जा रहा है कि बकरी के दूध से तैयार इस साबुन का प्रयोग करने से चेहरे की झुर्रियां और कील मुहांसे खत्म हो जाते हैं। एक छोटे से हॉल में तैयार होने वाले इस साबुन की मांग खाड़ी देशों में भी बहुत है।

                                                                                

पिछले वर्ष नवरात्र में रॉबर्ट्सगंज व चतरा ब्लॉक की 24 महिलाओं के द्वारा यह साबुन बनाना आरम्भ किया गया था। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला मिशन प्रबंधक एमजी रवि ने बताया कि इस साबुन को बनाने में बकरी के दूध, नारियल के तेल, विटामिन ई और ग्लीसरीन के मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। अब इसकी मांग मुंबई, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड से भी बाफी तादाद में आ रही हैं।

कीमत भी बहुत कम

                                                                                     

मुंबई के व्यवसायी महेश पटेल समूह के इस उत्पाद को सऊदी अरब, कतर और अन्य खाड़ी देशों में निर्यात करते हैं। उनका कहना है कि बॉलीवुड की अभिनेत्रियों के साथ टीवी की अभिनेत्रियाँ और स्थानीय लोग भी यह साबुन लेने के लिए उनके यहां आते हैं। इस एक साबुन की कीमत 49 रुपये है, जिसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही।

‘‘बकरी के दूध में इम्युनाइजेशन की प्रक्रिया अधिक होती है। यह साबुन त्वचा को आकर्षक बनाती है। इसके प्रयोग से चेहरे के दाग-धब्बे और कील-मुहांसे भी दूर हो जाते हैं।“

                                                                                         - डॉ. ज्योतिर्जय कुमार, जिला आयुर्वेद अधिकारी, यूनानी व आयुर्वेदिक अस्पताल लोढ़ी।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।