‘‘अंडे के छिलकों को न समझें बेकार, घर पर ही तैयार कर सकते है जैविक खाद”

‘‘अंडे के छिलकों को न समझें बेकार, घर पर ही तैयार कर सकते है जैविक खाद”

                                                                                                                                              डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृषाणु सिंह

Organic Fertilizer: यदि आप होम गार्डनिंग के शोकीन हैं और आपको इसके दौरान खाद की जरूरत है, तो आप अपने घर पर ही यह खाद तैयार कर सकते हैं और इसके लिए आप अंडे के छिलकों का उपयोग कर सकते हैं। अंडे के छिलकों से बनी खाद पौधों के लिए बहुत ही लाभदायक होती है। हमारे विशेषज्ञ बता रहे हैं कि आप घर पर अंडे के छिलको से खाद किस प्रकार बना सकते हैं।

                                                                           

Organic Fertilizer: अंडे को उबालकर या इसके कई अलग-अलग तरह के व्यंजन बनाकर खाए जाते हैं। लेकिन, इसके बाद क्या, अंडे के छिलकों को बेकार समझकर ही फेंक दिया जाता है। परन्तु, क्या आप जानते हैं की अंडे का छिलका पौधों के लिए कितना लाभदायक होता है। जी हां, अंडे के छिलके से जैविक खाद बनाई जा सकती है। जिसका इस्तेमाल आप घर में रखे अपने पौधों के सहित अन्य चीजों में भी कर सकते हैं। अंडे से बनी खाद का उपयोग खेतों में भी किया जा सकता है और यह खाद फसल के लिए काफी अच्छी मानी जाती है।

वैसे तो खेतों में अधिकतर किसान रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरक को प्रयोग करते हैं। लेकिन, पहले तो यह काफी महंगे होते हैं. जिससे किसान की लागत खुद ब खुद ही बढ़ जाती है और साथ ही इनके हमारे वातावरण और मृदा के स्वास्थ्य पर भी हानिकारक प्रभाव होते हैं।

लेकिन, यदि किसान अपनी खेती में प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग करें, तो इससे खर्च कम होने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है। इसके लिए गोबर की खाद को सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। इसके अलावा अंडे की छिलके से बनी खाद भी पौधों के विकास और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। ऐसे में घर पर गोबर की खाद बनाना कोई आसान काम नहीं, लेकिन आप घर पर अंडे से बनी खाद को स्वयं ही तैयार कर सकते हैं।

अंडे के छिलके से बनी खाद से प्राप्त होने वाले लाभ

                                                               

अंडे के छिलके में 91 प्रतिशत कैल्शियम कार्बोनेट होता है, जो पौधों के संवर्धन के लिए अत्यावश्यक तत्व होता है और इससे पौधों की ग्रोथ अच्छी तरह से होती है। इसके कारण पौधे अन्य पोषक तत्वों को भी अच्छी तरह अवशोषित करके अपना भोजन अच्छी तरह से बना लेते हैं। कंद वाली सब्जियों की गुणवत्ता इस खाद से और बेहतर हो जाती है। कैल्शियम कार्बोनेट के अलावा, अंडे के छिलके में नाइट्रोजन, पोटाश, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक और क्लोराइड आदि तत्व भी उपलब्ध पाए जाते हैं और ये सभी तत्व पौधों और मिट्टी दोनों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी होते है।

अंडें के छिलकों की खाद मिट्टी की अम्लीयता कम करने में मददगार

यदि मिट्टी अम्लीय है तो वहां अंडे के छिलकों की खाद का उपयोग बहुत ही लाभप्रद होता है। क्योंकि, यह मिट्टी की अम्लीयता को कम करती है। अंडे के छिलकों में पौधों के विकास के लिए जरूरी सभी सूक्ष्म व जरूरी पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं। इसमें यूरोनिक एसिड, अमीनो एसिड और सियलिक एसिड भी होते हैं। अंडे के छिलके का पाउडर तैयार करके खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है या फिर इसके माध्यम से लिक्विड खाद/तरल खाद भी बनाई जा सकती है।

अंडे के छिलकों से खाद तैयार करने की विधि

                                                                   

अंडे के छिलकों से खाद तैयार करने के लिए सबसे पहले आपको इन्हें पीसकर इसका पाउडर तैयार करना होता है। इसके लिए छिलकों को धोकर 3 से 5 दिनों तक अच्छी तरह से सुखा लेना चाहिए। ऐसा करने से छिलके खराब नहीं होते और इनके सूख जाने के बाद इसका पाउडर तैयार करें। इस तरह से तैयार किए गए पाउडर का उपयोग सीधा घर के गार्डन या खेत में किया जा सकता है। अंडे के छिलके से बने पाउडर के एक चम्मच में 750 से 800 मिलीग्राम कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व पाए जाते है।

इसका इस्तेमाल कम्पोस्ट और गोबर की खाद की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। यह खाद बाजार में मिलने वाली केमिकल खाद के मुकाबले बहुत सस्ती होती है और इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता और मृदा का स्वास्थ्य भी उत्तम बना रहता है। अंडे के छिलके से बने पाउडर को मुर्गियों के भोजन में भी शामिल किया जा सकता है। इससे मुर्गियों की कैल्शियम की आवश्यकता पूरी होती है।

वहीं, अगर आप इससे लिक्विड खाद तैयार करना चाहते हैं तो अंडे के छिलके के पाउडर को चाय की तरह पानी में उवाल लें। इसके बाद इसका सीधे इसका उपयोग खेत करें। क्योंकि, लिक्विड खाद पानी से तैयार होती है, इसलिए ये जल्दी खराब हो जाती है। ऐसे में इसका उपयोग बनाने के तुरंत बाद ही कर लेना चाहिए।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।