अधिक उपज पाने के लिए वर्मी कंपोस्ट को पुष्ट खाद कैसे बनाएं-

          अधिक उपज पाने के लिए वर्मी कंपोस्ट को पुष्ट खाद कैसे बनाएं-

                                                                                                                                                   प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशाणु सिंह

वर्मी कंपोस्ट एक बेहतर जैविक खाद है, इसे केंचुआ खाद भी कहा जाता है। यह खाद केंचुआ और गोबर की मदद से बनाई जाती है। इसे तैयार होने में लगभग डेढ़ महीना लग जाता हैं। यह खाद वातावरण को प्रदूषित नहीं होने देती है।

मौजूदा समय में खेती-किसानी में जैविक खाद की खूब चर्चा है. कई किसान जैविक खाद से ही अपनी खेती कर रहे हैं और इसमें उन्हें तेजी से सफलता भी मिल रही है। इस खाद को बनाने में पूरी तरह से प्राकृतिक वस्तुओं का ही इस्तेमाल किया जाता है। वहीं यह खेती किसानी के लिए इतनी लाभदायक है कि किसान इसे लंबे समय तक आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।

                                                                           

इसमें खेती की लागत कम आती है और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। इसलिए किसानों को इस खाद के उपयोग से ज्यादा फायदा होता है। अब जैविक खाद को एक टिकाऊ बिजनेस मॉडल के तौर पर भी विकसित किया जा रहा है।

दरअसल खेती में रसायनों के बढ़ते इस्तेमाल के कारण मिट्टी अपनी उपजाऊ शक्ति खोती जा रही है। इसके चलते साल दर साल फसलों का उत्पादन भी कम होता जा रहा है। ऐसी ही समस्याओं को देखते हुए किसान तेजी से जैविक खाद की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं। किसान जैविक खाद में कई तरीके से खाद बनाते हैं। जिसमें वर्मी कंपोस्ट यानी केंचुआ खाद भी शामिल है।

परन्तु क्या किसान भाई जानते हैं कि वर्मी कंपोस्ट को पुष्ट खाद कैसे बनाया जाता है। पुष्ट यानी इसे और मजबूत खाद कैसे बनाएं? पुष्ट खाद बनाने के लिए किसान भाई नीचे दिए गए चार तरीकों को अपनाएं-

जैविक खाद को पुष्ट खाद बनाने का तरीका

                                                                             

1. जैव उर्वरकों के साथ प्रयोग- एजेक्टोबैक्टर, एजोस्पाइस्लिम, फास्फोरस घुलनशील जैव उर्वरक, पोटेशियम घुलनशील जैव उर्वरक, पौध वृद्धि हार्मोन्स आदि को 1 या 2 किलो की मात्रा से प्रति टन वर्मी कंपोस्ट में मिलाने से यह खाद पुष्ट बन जाती है। साथ ही यह उसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की उपलब्धता को भी बढ़ती है।

2. जैव नियंत्रकों के साथ प्रयोग-  नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश आदि को 1 से 2 किलो की मात्रा में एक टन तैयार वर्मी कंपोस्ट में मिलाने से पुष्ट खाद बनकर तैयार हो जाती है और इससे पौधों की ग्रोथ में फायदा मिलता है। इसके साथ ही साथ ही पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

3. रॉक फास्फेट के साथ प्रयोग- 20 रॉक फास्फेट को एक टन तैयार वर्मी कंपोस्ट में मिलाने से पुष्ट खाद में फास्फोरस की मात्रा में बढ़ोतरी होती है।

4. खनिज तत्वों के साथ प्रयोग- 20 खनिज तत्वों को एक टन तैयार वर्मी कंपोस्ट में मिलाने से न केवल पौधों को पोषक तत्वों की पूर्ति होती है बल्कि पौधों के हार्मोन्स को बढ़ाने में भी सहायक होता है।

वर्मी कंपोस्ट क्या है?

                                                        

वर्मी कंपोस्ट एक बेहतर जैविक खाद है। इसे केंचुआ खाद भी कहा जाता है। यह खाद केंचुआ और गोबर की मदद से बनाई जाती है। इसे तैयार होने में लगभग डेढ़ महीना लगता हैं। यह खाद वातावरण को प्रदूषित नहीं होने देती है। इस खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जो फसलों को तेजी से विकास में मदद करता है और मिट्टी को बेकार नहीं होने देता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।