पैरों में दर्द को न करें नजरअंदाज

                             पैरों में दर्द को न करें नजरअंदाज

                                                                                                                                                       डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

पैरों में लगातार होने वाले दर्द के चलते आपको देर-सबेर अपने पैर गंवाने भी पड़ सकते हैं। अक्सर लोगों को यह भ्रम रहता है कि मधुमेह का पैरों से कोई संबंध नहीं है। मधुमेह का रोग सिर्फ हृदय से संबंधित होता है। उसी तरह से धूम्रपान के आदी लोग यह समझते हैं कि धूम्रपान से सिर्फ फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है और कैंसर हो जाता है।

                                                                

परन्तु अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि धूम्रपान के आदी व तंबाकू के व्यसनी लोगों में पैरों में गैंगरीन होने का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। मधुमेह का मरीज अगर धूम्रपान भी करता है या तंबाकू का सेवन करता है तो वह वही कहावत हो गई ‘‘करेला वो भी नीम चढ़ा’’ मधुमेह व धूम्रपान दोनों मिलकर पैरों का सत्यानाश कर देते हैं। इसलिए टांगों व पैरों को स्वस्थ व क्रियाशील रखने के लिए इन दोनों पर अंकुश रखना अत्यंत आवश्यक है।

पैरों की रक्त धमनी के ठीक से काम न करने के कई कारण होते हैं-जैसे मधुमेह रोग, जिसमें रक्त धमनी की दीवारों पर लगातार चर्बी व कैल्शियम जमा होने लगता है और इससे रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। रक्त धमनी के बीमार होने का दूसरा कारण धूम्रपान व तंबाकू का सेवन करना होता है। तंबाकू में एक रासायनिक तत्व निकोटिन पाया जाता है जो धमनी की छोटी-छोटी शाखाओं में सिकुड़न पैदा कर देता है और पैर को जाने वाले रक्त प्रवाह को कम कर देता है।

अगर मधुमेह व धूम्रपान के मरीज को पैर में दर्द होना शुरू हो जाए तो उसे बिना देरी के कार्डियोवैस्क्युलर विशेषज्ञ से संपर्क कर रक्त धमनी की जांच करवानी चाहिए। पैरों में दर्द होने पर किसी जनरल सर्जन वा हड्डी विशेषज्ञ के बजाय किसी वैस्क्युलर सर्जन से परामर्श लेना उचित है और उनकी निगरानी में रक्त धमनियों या शिराओं की जांच कराएं। इनकी जाचों को डॉपलर स्टडी, एमआर वीनोग्राम, एमआर आर्टिरियोग्राफी व एजियोग्राफी, डिजिटल सब्टैऊक्शन एंजियोग्राफी की जरूरत जड़ती है।

                                                                      

इसलिए ऐसे किसी अस्पताल में जाएं जहां किसी वैस्क्युलर सर्जन की चौबीसों घंटे उपलब्धता हो व इन सब जांचों की सुविधा हो, क्योंकि इन सब जांचों के आधार पर ही इलाज की सही दिशा तय की जाती है।

    पैरों में दर्द के लिए अगर रुग्ण धमनियां जिम्मेदार हैं तो पैरों में रक्त प्रवाह को फिर बहाल करने के लिए कई विधाओं का सहारा लेना पड़ता है, जैसे धमनी पुनर्निर्माण, धमनी बाईपास व एजियोप्लास्टी, स्टेटिंग आदि। लेकिन यदि टांग में दर्द का कारण शिरा सम्बन्धी कोई रोग है तो वॉल्व पुनर्निर्माण, धमनी बाईपास व पंजियोप्लास्टी, स्टेटिंग आदि की आवश्यता हो सकती है।

अगर टांग में दर्द का कारण शिराओं का रोग है तो बॉल्व पुनर्निर्माण व वेन्स बाईपास सर्जरी का सहारा भी लेना पड़ सकता है। शिराओं के रोग में ज्यादातर मामलों में अन्य तरकीबें, जैसे क्रमित दबाव जुराबें, न्यूमेटिक कॉग्रेशन डिवाइस व कुछ विशेष व्यायाम व आसन आदि भी लाभदायक हो सकते हैं।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा, जिला अस्पताल मेंरठ में मैडिकल ऑफिसर हैं।