फूलों की खेती वैज्ञानिक विधि से करने पर दोगुना लाभ कमाएं

          फूलों की खेती वैज्ञानिक विधि से करने पर दोगुना लाभ कमाएं

                                                                                                                                           डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं मुकेश शर्मा

Cultivation of Flowers: यदि आनाज के स्थान पर किसान फूलों की खेती तो वे इससे अच्छा लाभ कमा सकते हैं। हालांकि, इसके लिए कुछ बातों में ध्यान में रखना जरूरी होता है। यदि किसान वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार फूलों की खेती करते हैं, तो उनकी पैदावार और मुनाफा दोनों ही दोगुना हो जाएंगं।

Cultivation of Flowers: यदि आप भी फूलों की खेती कर रहे हैं या फिर फूलों की खेती करने के बारे में सोच रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए सहायक हो सकता है। फूलों की खेती करने वाले यदि इस लेख में बताई गई वैज्ञानिकों विधि से करेंगे तो उन्हें अधिक लाभ प्राप्त होगा। दरअसल, पिछले दिनों कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित किसान कार्यक्रम के अन्तर्गत वैज्ञानिकों ने किसानों को खेती के उत्तम तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। इस दौरान किसानों को बताया गया कि वे अनाज की खेती को छोड़कर फूल और सब्जियों की खेती करने के लिए अग्रसर होते हैं तो इससे उनकी आय में आशातीत वृद्धि हो सकेगी।

                                                                           

इस दौरान वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि किसान को अपनी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए फसल अवशेष का इस्तेमाल करना चाहिए। फसलों के बचे हुए अवशेष को वर्मी कंपोस्ट के साथ मिलाकर खाद के रूप में उपयोग करना चाहिए। इससे खेत की उर्वरक क्षमता बढती है और मिट्टी स्वस्थ पर भी अच्छा प्रभाव होता है, क्योंकि उसमें जीवाणुओं की संख्या बढ़ जाती है, जिसके चलते पैदावार भी अच्छी होगी केवल इतना ही नहीं किसानों को बाजार से रासायनिक खाद और कीटनाशक आदि को भी नहीं खरीदना पड़ेता है।

उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि हरी खाद के रूप में ढैंचा लगाएं और सनई का उपयोग करें और खेत को कभी भी खाली न छोड़ें, उसकी जुताई कर दें ताकि पैदावार में कमी ना आए। उन्होंने बताया कि खेत खाली छोड़ने से मिट्टी की उपज क्षमता (उर्वरता) कम हो जाती है।

गेंदे और गुलाब की खेती करें किसान

                                                        

यदि किसानों को अपनी आय बढ़ानी है तो खेती के अलावा उन्हें पशुपालन और फूलों व सब्जियों की बागवानी आदि भी करनी चाहिए। इसके लिए किसान गेंदे और गुलाब की खेती कर सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक ने उदाहरण देते हुए बताया कि जनपद में ऐसे कई किसान हैं जो पिछले 15 सालों से गुलाब की खेती कर रहे हैं और प्रति एकड़ ढाई से तीन लख रुपए तक कमा लेते हैं। गेंदे के फूल की खेती में गुलाब के मुकाबले लागत कम लगती है।

गुलाब की खेती करने वाले किसान अपने गांव में गुलाब का अर्क निकालने का एक छोटा प्लांट भी लगा सकते हैं, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार मेंथॉल की खेती के लिए किसान प्लांट लगाते हैं और इसके बाद किसान इस गुलाब के अर्क को बेंच सकते हैं और एक्सपोर्ट भी कर सकते हैं और अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। गुलाब से निकले अर्क का गुलाब जल और इत्र बनाया जाता है और इससे किसानों को काफी लाभ कमा सकते हैं।

पाले से कैसे निपटें किसान

                                                                              

कृषि वैज्ञानिक सेंगर ने आगे बताया कि खेतों में अक्सर ठंड के कारण पाला पड़ जाता है। ऐसे में फसलों को पाले से बचाने के लिए किसान तुरंत सिंचाई करेंगे तो इससे तापमान मेंटेन रहेगा। इसके अलावा फफूंदी नाशक कार्बन दाइजीन और मेटालिक्जिन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करते हैं तो पाले का असर नहीं होता है। अब आगे गर्मी का मौसम आ रहा है, ऐसे में किसान सब्जियों की खेती करेंगे. खेत में खरपतवार ना लगे इसके लिए किसान मेढ़ के बीच में जो खाली जगह होती है वहां फसल के अवशेष डाल दें तो खरपतवार नही उपजते हैं, इसकी दूसरी तकनीक यह है कि पन्नी लगाकर उसमें छेद कर दें, तो खरपतवार बिल्कुल ही नहीं उगती है।

वहीं, अगर नीम का तेल इस्तेमाल करके छिड़काव कर दिया जाए, तो फसल में कीट एंव रोग नहीं लगता। नीम की लकड़ी की राख को सब्जी की फसलों के ऊपर डाल दिया जाए तो कीड़े पत्ते नहीं खाते. वहीं क्यूनॉल फास दवा को एक लीटर पानी में मिलाकर हर 10 से 12 दिन में छिड़काव करते रहने से फसल पर कोई रोग नहीं लगता है।

मौसम की जानकारी बेहद जरूरी

वरिष्ठ वैज्ञानिक ने आगे बताया कि जलवायु का परिवर्तन कभी भी हो जाता है, जिससे फसल पर बहुत बुरा असर पड़ता है. ऐसे में किसानों को सतर्क रहना चाहिए और उन्हें इंडियन मेटियोरोलिजकल ऐप डाउनलोड करके समय-समय पर मौसम की जानकारी लेते रहना चाहिए। जिससे वह अपनी फसल की देखरेख सही तरीके से कर सकेंगे।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।