मन को बीमार ना होने दें

                                                                      मन को बीमार ना होने दें

                                                                                                                                                                                 डॉ आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

मस्तिष्क हमारे शरीर का कन्ट्रोल सेन्टर होता है और अधिकतर लोग मन की सेहत के बारे में विचार ही नही करते हैं, जैसे बेचैनी, अवसाद तथा अन्य दूसरी गम्भीर समस्याों कों रोग ही नही मानते हैं, सम्भवत यही कारण है जिसकी वजह से लोग इनके उपचार के लिए आगे ही नही आ पाते हैं।

वर्तमान परिवेश में बढ़ता तनाव, स्वस्थ जीवन-शैली का अभाव, अकेलापन एवं अति-महत्वकाँक्षा आदि कारक हमारे मन को बीमार बना रहें हैं। अतः अपने मन को सही रखने के लिए हमें अपनी दिनचर्या को सही रखना बहु आवश्यक है, परन्तु वर्तमान दौर में अति व्यस्तता के कारण लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक नही हैं और इस अकेलेपन के चलते ही उनका मन बीमार हो जाता है, जससे उन्हें बचने की आवश्यकता है।

तनाव से कैसे बचे

तनाव के दौरान शरीर में विभिन्न प्रकार के बदलाव होते हैं शरीर में एड्रीनलीन और कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इस कारण दिल का तेजी से धड़कनाए पाचन क्रिया मंद पड़ जानाए रक्त प्रभाव प्रभावित होनाए नर्वस इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी होना व  कमजोर होना जैसे लक्षण होने लगते हैं। तनाव प्रबंधन सीखेए समस्याओं को नाट्यरूप ना दें अगर किसी समस्या का तुरंत हल नहीं मिल रहा है तो धैर्य बनाए रखें परिवार व प्रोफेशनल्स की मदद लें, सही खान.पान ने और समय निकालकर व्यायाम अवश्य करते रहें।

अपने को सामाजिक बनाएं और एकाकीपन से बचें

आजकल देखा गया है कि लोग व्यस्तता में रहने के कारण अकेला रहना पसंद करते हैंए लेकिन यह अकेलापन कभी.कभी मानसिक रूप से काफी प्रभावित करता है। बढ़ता अकेलापन अवसादए एंग्जाइटी और तनाव जैसी मानसिक विकारों का खतरा बढ़ा देता है। शिक्षा और नौकरी के लिए युवा अकेले रह रहे हैंए गैजेट्सए सोशल मीडियाए धूम्रपान व दूसरी नशीली चीजों पर बढ़ती उनकी निर्भरता मानसिक सेहत को नुकसान पहुंचा रही है जरूरी है।

अतः वर्चुअल दुनिया के बजाय लोगों से मिलते जुलते रहेए अपनी सामाजिक समरसता को बढ़ाएंए जब भी समय मिले तो अपने करीबियों के साथ अच्छा समय बिताने की कोशिश करें और यदि समय नहीं बचा सकते तो कम से कम उनसे चर्चा करके अपने मन को एकाकी होने से बचाएं।

कोशिश करें कि प्रकृति और संस्कृति से जुड़े रहें

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार कृत्रिम रोशनी में अधिक समय बिताना बढ़ते मानसिक विकारों का एक प्रमुख कारण है। घर में बना खाना खाएं, नियमित खुले में टहलने की कोशिश करेंए पक्षियों की आवाजें सुनेए नियमित सूरज की धूप व खुली हवा में सांस लेना तनाव कम करता है। हर चीज टीवी इंटरनेट पर देखने की बजाए कलाए संगीत व सांस्कृतिक प्रोग्राम में शामिल होने की आदत भी बनाएए इससे सच मानिए कि आप अपने मन को बीमार होने से बचा सकेंगे और यदि मनए बीमार नहीं होता तो आप हमेशा स्वस्थ बने रहेंगे।

हमेशा कोशिश करें की अपने मन को तनाव से बचाने के लिए उसका प्रबंधन अच्छी प्रकार से करके सामाजिक बनने की कोशिश करें और जब भी समय मिले तो अपने करीबियों से चर्चा करते रहे।

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खानपान से संबंधित गलत धारणाओं से बचना है जरूरी

अपनी सेहत को यदि ठीक बनाए रखना है तो निश्चित रूप से इसमें एक बहुत बड़ी भूमिका हमारे खानपान की होती है। अपने खाने.पीने के चुनाव को लेकर कई ऐसी गलतियां हो जाती हैं जो हम बार.बार दोहराते रहते हैं। इसका दोष हम अक्सर अपनी व्यस्त जीवनशैली को देते हैंए पर क्या सच में ऐसा है या इसक लिऐ कुछ बातों को ढंग से समझना बहुत जरूरी है यदि आप कुछ बातों पर ध्यान देंगे तो निश्चित रूप से आपकी सेहत ठीक बनी रहेगी।

आहार में नमक को नियंत्रित करना

चिंताजनक बात यह है कि हम ऐसे बहुत सारे लोग खाना पकाने के बाद भी उस में ऊपर से नमक डालकर खा रहे हैंए कई चीजें हैं जो बड़ी आसानी से बिना नमक के खाई जा सकती हैं पर हम ध्यान नहीं देते अगर ऐसा नहीं भी करते हैं तो भी प्रोसेस चीजों में नमक का छुपा हुआ स्तर आपके सेवन को खतरनाक स्तर तक बढ़ा सकता है। हम जो प्रसिद्ध चीजें खाते हैं उसमें पर्याप्त मात्रा में नमक छुपा होता है यह हर चीज में है चिकन, सूप, अचार, पापड़, पीनट, बटर, ब्रेडए मैक्रोनी, पनीर, पिज्जा, सलाद, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ आदि कई चीजें हैं जिसमें काफी मात्रा में नमक होता है और वह हमें दिखाई नहीं देता।

हालांकि एक पीढ़ी है जो कैलोरी वसा और कोलेस्ट्रॉल की उलझन में लेबल्स पर ध्यान देने लगी है पर वह भी सोडियम की अनदेखी कर देते हैं यह कम लोगों को पता है कि लेवल पर जो सोडियम की मात्रा लिखी है उसका 2.5 गुना नमक उस उत्पाद में है। मसलन 130 के डिब्बे पर 0.8 ग्राम सोडियम होने का दावा लिखने का मतलब है कि उसमें 2 ग्राम नमक है कुल मिलाकर लेबल्स ध्यान से पढ़ें घर का बना खाना अधिक है। हमारे नमक का 85% हिस्सा प्रोसैस्ड फूड से आता है इस पर ध्यान देने की जरूरत है यदि आप नमक को नियंत्रित कर लेंगे तो निश्चित रूप से आप स्वस्थ रहेंगे।

फैट फ्री डाइट दिल के लिए होती है अच्छी

बात केवल संतृप्त वसा की नहीं है जिस से कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ता हैए अमीनो एसिड्स होमोसिस्टाइन का बड़ा स्तर पर बुरा असर डालता है विटामिन बी शरीर में इमो 16 से बनने वाले अमीनो एसिड्स का इस्तेमाल करता है ऐसे में अगर ीवउव16 बहुत बड़ा हुआ है तो संभव है कि आप विटामिन बी युक्त चीजें कम खा रहे हैं बेहतर है कि फोलिक एसिड युक्त चीजें जैसे गहरे हरे पत्तेदार सब्जियां मूल सब्जियां फल दालों को अपने आहार में बढ़ावा दें खाने में संतुलन बनाए रखें तो आप स्वस्थ बने रहेंगे।

मधुमेह का मुख्य कारण चीनी का अधिक सेवन है यह भी एक मिथियक  सवाल है

मोटापा मधुमेह का मूल कारण है पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़ रहे टाइप टू डायबिटीज के मामले जीवन शैली से जुड़े हुए हैं अगर वजन बहुत अधिक बढ़ रहा है तो डायबिटीज होने का जोखिम भी ज्यादा बढ़ जाता है। लंबे समय तक अधिक कैलोरी का सेवन मोटापे के साथ डायबिटीज के खतरे को भी बढ़ाता है इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि केवल चीनी ही मधुमेह के लिए दोषी नहीं है इसके अलावा आपका अन्य खानपान भी मधुमेह को बढ़ाने में दोषी है। कोशिश करें कि कम मात्रा में कैलोरी लें यदि आप कैलोरी को नियंत्रित कर लेंगे और अपने खाने को थोड़ी.थोड़ी मात्रा में कई बार लेंगे तो आप मधुमेह से बचे रह सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वद्यिालय में प्रोफेसर एवं जैव प्रौद्योगिकी विभागाध्यक्ष हैं।