आपको आता है वक्त के साथ बदलने का हुनर (स्किल)

आपको आता है वक्त के साथ बदलने का हुनर (स्किल)

प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार कामकाजी दुनिया में एडाप्टेबिलिटी यानी -अनुकूलन इस समय सबसे शीर्ष और अपेक्षित स्किल है। फ्रेशर हो या फिर पेशेवर. कंपनी में काम करने आए नए उम्मीदवार में नियोक्ता इसको ही प्राथमिकता दे रहे हैं। दरअसल यह आपके प्रतियोगिता में बने रहने की गारंटी भी है। क्या है ये स्किल और कैसे करें इसे विकसित, जानें हमारे विशेषज्ञ से।

कामकाजी दुनिया में आज प्रति दिन के साथ कुछ नया परिवर्तन आना एक सामान्य सी बात हो गई है। तेजी से बदलते बाजार में यदि अपनी जगह बनानी है, तो उतनी ही तेजी से खुद को भी बदलना होगा। यही है एडाप्टेबिलिटी का स्किल और एडाप्टेबिलिटी यानी अनुकूलन या समायोजन। लिंक्डइन की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार एडाप्टेबिलिटी स्किल वर्ष 2024 में शीर्ष के अपेक्षित दस स्किल में पहले नंबर पर रहेगा।

वहीं वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार वर्ष 2025 तक उम्मीदवारों में सबसे ज्याद अपेक्षित स्किल्स में यह तीन स्किल थिंकिंग प्रॉब्लम सॉलिं्वग और सीखने की स्वतः प्रेरणा महत्वर्पूएा होंगे। ये तीनों नए परिवेश में आपको सहज बनाने वाले स्किल्स है।

क्या है एडाप्टेबिलिटी स्किल, अनुकूलन के कौशल का मतलब है कि अपने आप को बदलने की क्षमता रखना, नई चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को स्वीकार करना और इनमें से सीखना। यह स्किल आपको नया नजरिया देता है, जिसके कारण आपको समस्या समाधान के लिए एक शानदार अंतर्दृष्टि मिलती है और इस तरह आप प्रतियोगिता में बने रहते हैं। प्रोजेक्ट वर्क में वर्क पाॅलिसी बनाने में और लक्ष्यों तक पहुंचने का रोडमैप तैयार करते समय एडाप्टेबिलिटी का होना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

इसमें कई सॉफ्ट स्किल का तालमेल होता है, जैसे ‘संवाद का स्किल, जो सही तरीके से प्रश्न करना, निर्देशों और अपेक्षाओं को सक्रियता से सुनना, स्पष्टता के लिए जरूरी है। यह आपको एक ऐसे कर्मचारी के रूप में ढलने में मदद करता है, जो सही और जल्दी प्रतिक्रिया देता है।

  • दूसरों से बेहतर तालमेल होना आपके कामकाज को आसान और तनावरहित बना देता है। अतः यदि आप इसको विकसित करेंगे, तो आप विविध कार्य संस्कृतियों में भी सहज रहेंगे।
  • समस्या समाधान का स्किल, कामकाज की वर्तमान से लेकर भविष्य तक की चुनौतियों का रचनात्मक समाधान खोजने में मदद करता है। रचनात्मक और स्ट्रेटेजिक थिंकिंग का स्किल, जिसके आधार पर आप बदलते माहौल में सीखने, बदलने और सही लक्ष्य तक पहुंचने की रणनीति बना पाते हैं।

क्यों है कंपनियों को यह पसंद

माना जा रहा है कि वर्ष 2030 तक सभी मौजूदा नौकरियों का लगभग 50 प्रतिशतवां हिस्सा ऑटोमेशन और टेक्नोलॉजी के चलते बदल जाएगा। इतनी तेजी से होने वाले इन बदलावों के बीच अच्छा व्यापार चाहिए, तो ऐसे लोग चाहिए होेगे, जो बदलती परिस्थितियों को समझ कर उसी अनुसार खुद को तैयार रखें और अपना अपेक्षित योगदान प्रदान कर सकें।

  • बार-बार रिकूटमेंट करना, कंपनियों के लिए कोई आसान काम नहीं है। इसीलिए कर्मचारियों की कार्यों के प्रति जिम्मेदारियां भी बहुआयामी होती जा रही हैं। अनुकूलनशील कर्मचारी हो, तो पुराना स्टाफ भी नए काम में बेहतर योगदान दे पाता है।
  • एडाप्टेबल व्यक्ति अस्पष्टता होने के बावजूद कुछ नया प्रयोग करने को प्रेरित रहता है, अतएव योगदान सहजता से कर पाता है।
  • नियोक्ता एडाप्टेबिलिटी स्किल वाले कर्मचारी को मूल्यवान असेट की तरह देखती है। उन्हें तुरंत बढ़ावा दिया जाता है और बड़ी जिम्मेदारी भी सौपी जाती है।

ऐसे करें खुद में विकसित

ऑनलाइन अपरिकलिंग कोर्स करते रहे। नई तकनीक के स्किल विकसित करें। जिन कामों को आप कर लेते हैं, उनके दायरे से बाहर निकलें। खुद को नए का खतरा उठाने की आदत डलवाएं। यानी अपनी इच्छा से नए काम करने की पेशकश करें। नए नजरियों को अपनाएं।

परिवर्तन के प्रति अपना सकारात्मक नजरिया विकसित करें, क्योंकि बदलाव हमेशा बुरा ही नहीं होता। इसके साथ ही अपनी गलतियों से सीखें।

विकास की मानसिकता को बनाएं रखें। चुनौतियों को देखें और एक लचीला रवैया विकसित कर सीखने और बढ़ने के अवसरों को आत्मसात करें।

लचीलेपन से है अलग

एडाप्टेबिलिटी व्यवहार में परिवर्तन या नई स्थिति के लिए नीतियों, नजरिए आदि के बदलाव से संबंधित है। इसमें कई स्तर पर बदलाव शामिल हैं। जबकि लचीलापन किसी व्यक्ति द्वारा दृष्टिकोण या व्यवहार को बदले बिना एक ही स्थिति में कुछ कम या ज्यादा प्रदर्शन करने से है। जैसे कोई अपना करियर शुरू करने के लिए किसी नए शहर में जाकर अनुकूलनशीलता दर्शाता है, जबकि निर्धारित तारीख पर मीटिंग के बजाय तारीख बदलने के लिए सहमत होना लचीलापन दर्शाता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।