गर्दन और पीठ दर्द की वजह कहीं फोन तो नहीं

                      गर्दन और पीठ दर्द की वजह कहीं फोन तो नहीं

                                                                                                                                                        डॉ0 दिव्याँशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

जरूरत से ज्यादा मोबाइल के इस्तेमाल से शरीर में टेक्स्ट मेक सिंड्रोम मोबाइल उपकरणों का उपयोग करते समय खराब मुद्रा यानी की बॉडी पोशचर से उत्पन्न होता है।

                                                                     

वर्तमान में मोबाइल हमारी दैनिक जरूरत में शामिल हो गया है। आजकल इसलिए सभी लोग ज्यादा से ज्यादा समय मोबाइल को चलाने और देखने में लगे रहते हैं। परन्तु इसका ज्यादा उपयोग करने से टेक्स्ट नेक सिंड्रोम का कारण भी बन जाता है। यह एक ऐसी अवस्था होती है जिसमे गर्दन से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। यह सिंड्रोम मुख्य रूप से मोबाइल जैसे उपकरणों का उपयोग करते समय खराब मुद्रा के कारण उत्पन्न होता है।

जब हम स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं तो स्क्रीन देखने के लिए गर्दन और अपना सिर नीचे झुकाते हैं और जो लोग मोबाइल का प्रयोग करते समय अधिक झुकते हैं उनको इस स्थिति में गर्दन और पीठ के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों पर अत्यधिक गहरा दबाव पड़ता है, जिससे दर्द और परेशानी होती है।

                                                             

मोबाइल का उपयोग करते समय अपनी मुद्रा का ध्यान रखें और अपने फोन को अपनी आंखों के उचित स्तर पर ही रखें। जिससे गर्दन तथा आपकी स्थिति सॉफ्ट रहे और गर्दन तथा पीठ की मांसपेशियों को समय-समय पर स्ट्रेच करते रहें। इसके साथ ही नियमित रूप से ऐसे व्यायाम करें जो आपकी गर्दन और उसकी पीठ की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने से जुड़ा हो। अपने स्क्रीन के समय को सीमित करें और अपने स्मार्टफोन के उपयोग की प्रति सचेत रहें।

उचित मुद्रा बनाए रखने और गर्दन एवं पीठ का तनाव कम करने के लिए अपनी कुर्सी, मॉनिटर और कीबोर्ड को समायोजित करें। गर्दन और पीठ के लचीलीपन में सुधार और मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए कुछ जरूरी व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें। बॉडी पोस्चर में सुधार इस सिंड्रोम के जोखिम को कम कर सकता है। इसके लिए उपयोगी व्यायाम है उनको सुबह के वक्त जरूर कर लें। जिससे आपको गर्दन और पीठ के दर्द से निजात मिल सकती है।

लेखकः डॉ0 दिव्याँशु सेंगर, मेडिकल ऑफिसर, प्यारे लाल शर्मा, जिला अस्पताल मेरठ।