टिकाऊ रोजगार देने और आमदनी बढ़ाने में सहायक होगा यह बजट

        टिकाऊ रोजगार देने और आमदनी बढ़ाने में सहायक होगा यह बजट

                                                                                                                                                                  डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

अंतरिम बजट से बड़े पैमाने पर न केवल संगठित क्षेत्र में रोजगार मिलेगा बल्कि असंगठित क्षेत्र को भी इसका बड़ा फायदा मिल सकेगा। इस सोच के साथ वित्त मंत्री ने यह बजट शायद प्रस्तुत किया है-

                                                                                

असल में पूरे बजट का ही फोकस नौकरियों पर ही रहा है। सरकार बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करेगी जो लोगों को इस पैमाने पर रोजगार देगी। इसके अलावा टूरिज्म हो या तकनीक क्षेत्र हो या फिर इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की बात की जाए तो हर क्षेत्र में सरकारी योजनाओं से रोजगार के मौके बढ़ेंगे। लोगों को जो रोजगार मिलेंगे वह पक्के और टिकाऊ रहेंगे ना कि मनरेगा जैसी थोड़े दिन की नौकरियां मिलेंगी।

जब हम विकसित भारत की बात करते हैं तो लोगों को पूर्ण रोजगार देने की भी कोशिश करेंगे ना कि उन्हें कुछ दिन का काम देंगे। तभी तो प्रति व्यक्ति आमदनी में इजाफा हो सकेगा और यही सरकार की योजना है कि हर राज्य में एक प्रमुख पर्यटक स्थल तैयार किया जाए। जहां अभी बहुत लोग जाते हो यहां ऐसा ढांचा तैयार किया जाएगा कि लोग जाकर तुरंत लौट के बजाय दो या तीन दिन तक रुकें। इससे वहां केंद्र सरकार की मदद से राज्यों की तरफ से नया बुनियादी ढांचा खड़ा किया जाएगा जिससे लोगों का घूमना फिरना बढ़ेगा तो उससे भी आर्थिक चक्र सुचारू रूप से चलेगा और रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ जाएगी।

                                                                                   

इसके अलावा केंद्र सरकार विदेशी तकनीक पर भी काम करना चाहती है फिर चाहे वह किसी भी क्षेत्र की क्यों ना हो देश में बनी होनी चाहिए। अमेरिका जैसे देश में इन चीजों पर सरकार जोखिम उठाती है, हम एक सरकारी वित्तीय संस्थान को 50 साल के लिए ब्याज मुक्त एक लाख करोड रुपए का कर्ज देंगे जो प्रोजेक्ट के आधार पर समय के मुताबिक निजी क्षेत्र को तकनीक विकसित करने के लिए कर्ज देगा।

यह रक्षा आईटी किसी भी क्षेत्र के लिए हो सकती है और इस तकनीक को निर्यात भी किया जाएगा। इसके अलावा एक करोड़ घरों में सोलर पैनल लगाने के लिए कम से कम 1 लाख लोगों की टीम की जरूरत होगी। हमारा अनुमान है कि कम से कम एक टीम 100 घरों में पैनल लगाएगी तो उनकी देखभाल के लिए भी लोगों की जरूरत पड़ती है। इसमें काफी लोगों को रोजगार मिल सकेगा और बड़े पैमाने पर स्किल डेवलपमेंट के माध्यम से इस क्षेत्र में कुशल लोगों की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।