आधी आबादी को मिलता पूरा सम्मान

                           आधी आबादी को मिलता पूरा सम्मान

                                                                                                                                             डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं मुकेश शर्मा

                                                                   

मीरा मांझी, उज्जवला योजना की दस करोड़वीं लाभार्थी है। केंद्र सरकार की यह योजना सबसे ज्यादा चर्चित योजनाओं में से एक रही है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या गए तो अचानक ही वे मीरा मांझी के घर पहुंच गए थे और उन्होंने चाय का स्वाद भी लिया। अक्सर नरेंद्र मोदी अपनी चुनावी रैलियों में इस योजना का जिक्र कर आधी आबादी के बहुत बड़े वर्ग को यह बताने की कोशिश करते रहे हैं कि इस योजना की बदौलत ही चूल्हे से फुंकनी का रिश्ता खत्म कर महिलाओं को धुएं से छुटकारा दिला दिया।

अब केंद्र सरकार अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने की ओर बह रही है। सबका साथ, सबका विकास का नारा देकर सत्ता में आई मोदी सरकार में महिलाओं से जुड़े मुद्दे अब तक चर्चा का विषय रहे हैं। मुस्लिम समाज से ट्रिपल तलाक जैसी कुरीति को न सिर्फ समाप्त करना बल्कि उसे दंडनीय अपराध करार देकर मुस्लिम महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा की गारंटी की गारंटी केंद्र सरकार द्वारा दी गई। इसके बाद आधी आबादी को पूरा सम्मान दिलाने के लिये केंद्र सरकार ने जो योजनाएं संचालित की, उसका असर जमीन पर साफ देखा जा सकता है।

                                                                            

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, जनधन योजना के तहत बैंक में खाता खुलवाना आदि यह वो योजनाएं है, जिनके माध्यम से 20 करोड़ से भी ज्यादा महिलाओं, पांच करोड़ से ज्यादा स्कूलों और 11 करोड़ से ज्यादा कामकाजी महिलाओं को लाभ पहुंचा है। ये चंद योजनाएं हैं, जिनका जिक्र अक्सर होता रहा है लेकिन महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए केंद्र सरकार ने सिर्फ यही योजनाएं नहीं बल्कि अगर हम गिनने बैठे तो 28 योजनाएं ऐसी है जिनका सीधा लाभ महिलाओं को ही हुआ है। उनमें से चंद योजनाओं का जिक्र यहां करना जरूरी हो गया है, उनमें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टैंड अप इंडिया स्कीम, महिला कोहर योजना, महिला समृद्धि योजना और ट्रेड स्कीम ये वह योजनाएं हैं, जिनकी चर्चा उतनी नहीं हो पाई जितनी कि अन्य योजनाओं की हो पाई है। जबकि ये ऐसी योजनाएं हैं जिनकी लाभार्थी महिलाएं ही हैं।

                                                                     

महिलाओं के लिये ही संचालित की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना महिलाओं को बिना कोई चीज गिरवी रखे 10 लाख रुपये तक का कर्ज देती है। इस कर्जा पर व्याज की दर भी बेहद कम है। इस योजना के जरिए महिलाओं को सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के लिए लोन दिया जाता है। अब तक ऐसा होता था कि महिलाओं के जेवर साहूकार के यहां गिरवी रखे जाते थे। लेकिन प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने महिलाओं को बिना कोई चीज़ गिरवी रखे कर्ज लेने की योजना चलाकर महिलाओं के सम्मान को बरकरार रखा, उसे साहूकार की तिजोरी में गिरवी नहीं रखने दिया।

लगभग दस साल के कार्यकाल में केंद्र सरकार ने महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण के लिये 28 योजनाएं चलाई, वह आजाद भारत के इतिहास में पहली बार देखा गया कि कोई प्रधानमंत्री महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए ना सिर्फ चिंतित है बल्कि उनके उत्थान के लिए तमाम प्रयास भी गम्भीरता के साथ कर रहा है। जो आजाद भारत के इतिहास में कभी नहीं हो पाया था। देश की आधी आबादी को उसका हक मिल रहा है, सम्मान मिल रहा है। मौजूदा सरकार में 11 महिला मंत्री है, यह संख्या भी अपने आप में ऐतिहासिक है और बताती है कि भारतीय लोकतंत्र महिलाओं को उनकी आबादी के अनुपात में उनका हक देने के लिये तत्पर है।

                                                                      

कोई भी समाज इस आधी आबादी को विकास की दौड़ से बाहर रखकर विकसित नहीं हो सकता, इस बात को केंद्र सरकार बखूबी समझती है, इसीलिए सरकार ने ऐसी योजनाएं चलाई जिससे विकासशील देश से विकसित राष्ट्र की तरफ बढ़ते भारत को रफ्तार मिल सके। इसकी शुरुआत भी सबसे पहले रसोई से की गई, रसोई में रखी अधजली लकड़ियों, और धू-धू कर जलने वाले ईंधन को रसोई से बाहर कर वहाँ उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर पहुंचाया गया। ताकि रसोई के धुएँ की समस्या से महिला को छुटकारा मिले, और आखिरकार छुटकारा मिल भी गया।

महिलाओं को प्राथमिक समस्याओं से छुटकारा दिलाकर उनके लिए आगे के रास्ते खोल दिए गए। सबका साथ और सबके विकास की नई इबारत महिलाओं के विकास के तहत ही लिखी जा रही है, जो विकसित होते भारत को विश्वगुरु बनाने में मील का पत्थर साबित होगी।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।