ग्लोबल वार्मिंग का दुष्प्रभाव: दुग्ध उत्पादन में कमी और गायों के थनों का सूख

वैश्विक गर्माहट (ग्लोबल वार्मिंग) के चलते निरन्तर भीषण गर्मी और सूखे के कारण विश्व के विभिन्न देशों में दूध के उत्पादन में निरन्तर कमी दर्ज की जा रही है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया तथा अमेरिका के सहित विभिन्न देशों में दूध के उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है। जिसके कारण मक्खन से लेकर बेबी मिल्क पाउडर तक की आपूर्ति में कमी आने की आशंका है। निरन्तर बढ़ती जा रही इस गरमी के कारण भारत में भी गौ-वंशीय पशु बहाल हैं। जैसा कि हम सभी जाने हैं कि भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। इस रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया वर्षों से पड़ रही भीषण गर्मी से परेशान होकर कई किसानों के द्वारा दुग्ध उत्पादन का कार्य बन्द कर दिया गया है। इसी कारण से आॅस्ट्रलिया का दुग्ध उत्पादन लगभग 5 लाख मीट्रिक टन कम हो गया है।

सूखे के चलते फ्राँस में गायों को भरपूर खाने को नही प्राप्त हो रहा है जिसके कारण उत्पादकों को एक विशेष प्रकार के उच्च गुणवत्ता वाले पनीर का निर्माण बन्द करना पड़ा। इस सम्बन्ध में रायोबैक की वैश्विक डेयरी रणनीतिकार मैरी लेडमैन का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते वैश्विक खाद्य-सुरक्षा को खतरा हो सकता है और इससे बचने के लिए विभिन्न कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। महँगे प्रयासों के उपरान्त भी कोई राहत प्राप्त नही हो रहीः किसान अपनी गायों को गर्मी एवं सूखे के कुप्रभावों से बचाने के लिए नित नई नई तकनीकों को अपना रहे हैं। ब्लमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार कि अनेक महँगे प्रयासों के उपरान्त भी किसान अपने पशुओं को इस गर्मी से नही बचा पा रहे हैं। देश में गर्मी एवं सूखे की स्थिति से बचने के लिए छोटे किसान भी अब एसी एवं कूलर्स आदि के लगाने के बारे में सोचने के लिए विवश हैं। कैलिफोर्निया के टिपटन में पिछले 45 वर्षों से पशु-पालन कर रहे टौम बारसेलोस के खेत में शीतलन प्रणाली है, इसके साथ ही खेत में पंखे तथा धुँध मशीन भी लगी हुई है। इसके उपरान्त भी रात के गरम होने पर उत्पादन प्रभावित हो रहा है। टौम बारसेलोस का कहना है कि शाम के समय तापमान अपने उच्च स्तर पर रहता है, तो गाय भी 20 प्रतिशत तक कम दूध देती है।

भारत में गुजरात के निवासी शरद पांड्या एवं उनके भाई के पास 40 से अधिक गाय है। उन्होने अपनी गायों को गर्मी से बचाने के लिए फोगर सिस्टम के साथ एक शैड भी रखा है, जो कि एक पम्प के माध्यम से पानी को धुँध में परिवर्तित कर देता है, परन्तु इसके बाद भी उनके फार्म पर दूध के उत्पादन में 30 प्रतिशत से भी अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। ऑस्ट्रेलिया में 1/4 रह गई है डेयरी फार्मों की संख्याः ऑस्ट्रेलिया में दुग्ध उत्पादन में तेजी से गिरावट आ रही है। वर्ष 1990 में वैश्विक डेयरी व्यापार में ऑस्ट्रेलिया की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत थी जो कि वर्ष 2000 में कम होकर मात्र 6 प्रतिशत रह गई है।

ऑस्ट्रेलिया में वर्ष 1980 से लेकर 2020 तक डेयरी फार्मों की संख्या लगभग एक चैथाई ही रह गई है।

अकेले अमरिका में ही 2.2 अरब डाॅलर के नुकसान की आशंकाः वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन के कारण वर्तमान सदी के अंत तक अकेले अमेरिका में ही डेयरी उद्योग हो प्रतिवर्ष 2.2 अरब डाॅलर का नुकसान होगा जो कि ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन के कारण बढ़ा हैै। इन कारणों से होती है दूध के उत्पादन में कमीः गर्मियों में वृद्वि होने के कारण पशु चारा कम खाना आरम्भ कर देते हैं स्थिति तो यह है कि तापमान में प्रति 1 डिग्री की बढ़ोत्तरी होने के कारण पशु लगभग 850 ग्राम खुराक कम लेता है। वहीं पशुओं में टिश्यू हाइपरथर्मोया अथार्त ऊतकों का अधिक गर्म हो जाना भी इसका एक कारण होता हैं। यह रिसर्च नेशनल लाइब्रेरी आॅफ मैडिसिन जर्नल में प्रकाशित की गई थी।