आयुर्वेदिक सलाह

                    आंवला खाएं और आंखों की रोशनी बढ़ाए

                                                                                                                                                                         डॉ0 आर. एस. सेंगर

                                                                      

आंवला में विटामिन ए, बी कांप्लेक्स और कैल्सियम आदि पाए जाते हैं और यह कई बीमारियों को दूर करता है। आंवला कई औषधि तत्वों से भरपूर माना जाने जाने वाला एक किफायती खाद्य पदार्थ है, जो शरीर की इम्युनिटी को मजबूती प्रदान कर हमारे शरीर की विभिन्न बीमारियों को दूर करता है। आंवला में विटामिन ए, बी कांप्लेक्स, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन और ड्यूरेटिक एसिड पाए जाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट की उच्चतम सांद्रता वाले खाद्य पदार्थों में से एक है आंवला में एंटी बैक्टीरिया, एंटी इन्फ्लेमेटरी, क्वालिटी होने के चलते यह बैक्टीरिया और फंगल इंफेक्शन से लड़ने की ताकत प्रदान करता है, तो वजन प्रबंधन में भी सहायता करता है।

                                                                    

यह शरीर में शुगर लेवल को नियंत्रित कर मधुमेह के रोगियों के लिए बेहतर न्यूट्रिएंट्स का काम करता है। आंवला में विटामिन सी, आहार फाइबर, पाली फिनोल्स, अल्कलॉइड्स और फ्लेवोनॉयड जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट उपलब्ध होते हैं। विटामिन ए, के प्रो विटामिन की उपस्थिति के कारण आंखों की रोशनी में सुधार के साथ-साथ बालों को मजबूत बनाने वाले न्यूट्रिएंट्स भी हमारे शरीर को मिलते हैं। आंवला में मौजूद फाइटो न्यूट्रिएंट्स और एंटीऑक्सीडेंट मस्तिष्क कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़ने में सहायता करते हैं।

मस्तिष्क के लिए भी आंवला काफी अच्छा होता है। इसके साथ ही आंखों की रोशनी को मजबूती प्रदान करने के लिए भी आंवले का सेवन करना अतिलाभकारी बताया गया है। आंवला खाने से पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं और इससे इम्यूनिटी भी मजबूत बनती है। सर्दी के मौसम का सुपर फूड कहे जाने वाले आंवला से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे अपने नियमित संतुलित आहार में शामिल करने की आवश्यकता होती है।

यदि आप लगातार अपने भोजन में आंवला की संतुलित मात्रा ले रहे हैं तो आपका स्वास्थ्य ठीक बना रहेगा और आंखों की रोशनी को भी मजबूती प्राप्त हो सकेगी।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।