अल-नीनो से छोटी हो गई सर्दी, पश्चिमी विक्षोभ भी पड़ा कमजोर

           अल-नीनो से छोटी हो गई सर्दी, पश्चिमी विक्षोभ भी पड़ा कमजोर

                                                                                                            Dr. R. S. Sengar, Dr. Krishanu singh and Mukesh Sharma

मौसम चक्र बिगड़ा... बसंत आने के आसार बेहद कम, अब सीधे गर्मी ही आएगी और 6 महीने तक चलेगी।

                                                                        

अल-नीनो के चलते इस बार फिर मौसम चक्र बिगड़ चुका है। इसके कारण सर्दी का सीजन छोटा हो गया है। आधी जनवरी बीत चुकी है, फिर भी पहाड़ बर्फ से सूने ही बने हैं। ऐसे में उत्तराखंड में 75 प्रतिशत, कश्मीर में 79 प्रतिशत तो हिमाचल प्रदेश में 85 प्रतिशत बारिश व बर्फबारी कम हुई है। जो पश्चिमी विक्षोभ आए थे वह भी कमजोर ही रहे। इसका प्रभाव अब अगले सीजन पर पड़ने वाला है।

आईएमडी की मौसम वैज्ञानिक सोमा सेन गुप्ता के अनुसार, अल-नीनो अभी पॉजिटिव टैंड से न्यूट्रल की दिशा में बढ़ रहा है। जिसका अर्थ यह है कि अप्रैल माह तक इसका असर रहेगा और इसीके बीच गर्मी भी जल्द ही दस्तक देगी। विश्व मौसम विज्ञान संगठन का पूर्वानुमान है कि इस बार सर्दी के बाद बसंत का मौसम नहीं आएगा। 15 फरवरी के बाद सीधे गर्मी दस्तक दे देगी, जो इस बार 6 महीने तक चलेगी। बता दें कि अल-नीनो एक जलवायु संबंधी घटना होती है, जो पूर्वी प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से गर्म होने के कारण होती है।

                                                                        

धधक रहा हिमालयः उत्तराखंड में 10 दिन में 35 बार जंगलों में आग, जो कि अभी तक देश में सबसे ज्यादा रही है।

अभी तक उत्तराखंड में 10 दिन के अन्दर जंगलों में आग लगने की 35 घटनाएं हो चुकी हैं, जो कि अभी तक पहाड़ी राज्यों में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है। पहाड़ी राज्यों में फायर सीजन 15 फरवरी से 15 जून तक चलता है, लेकिन इस बार यह डेढ़ महीने पहले ही शुरू हो गया। पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. आर. के. सिंह के अनुसार, कम बारिश और बर्फबारी के चलते चमोली, नैनीताल, पिथौरागढ़ और बागेश्वर आदि जिलों के जंगलों में नमी सूख चुकी है और इसके चलते बार-बार आग लगने की घटनाएं हो रही है।

असरः हिमालय से निकली नदियां जल्द सूखने लगेंगी-

                                                                    

जियोलॉजिस्ट ए. एन. डिमरी कहते है कि इस बार पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर रहने से इस सीजन में मात्र 6-7 इंच बर्फ ही गिरी, जो कि जल्द ही पिघल भी गई। बर्फबारी कम होने से बर्फ के वार्षिक चक्र को भी प्रभावित होता है, जिसका अर्थ है कि हिमालय से निकलने वाली नदियों में पानी का स्तर तेजी से घटेगा।

औली में 20 प्रतिशत बुकिंग रद्द. तो कश्मीर में हाउस बोट सूनीः

                                                                   

औली के ब्लू पोपी रिसॉर्ट के मालिक कुशाल सांगवान ने बताया कि औली में 20 प्रतिशत बुकिंग कैंसिल हो चुकी है। वहीं, कश्मीर के श्रीनगर में झेलम नदी में सिर्फ 0.86 फीट ही पानी बचा है और ऐसे हालात वर्ष 2017 के बाद पहली बार बने हैं। फिलहाल लगभग सभी हाउस बोट्स खाली ही पड़े हुए हैं।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।