डिप्रेशन से कैसे बचाएं

                         डिप्रेशन से अपने को कैसे बचाएं

                                                                                                                                                  डॉ0 दिव्याँशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

डिप्रेशन ने आपके जीवन में तरक्की का रास्ता रोक दिया है, क्या उदासी और हताशा पूरी क्षमता से अपना काम करने में बाधा बन गई है, क्या भावनात्मक पीड़ा और संवेदनशीलता ने आपके संबंधों को बिगाड़ दिया है, इस दुनिया में सबसे आम समस्या भावनात्मक पीड़ा है उदासी हताशा बिनावजह के होना यह सभी इसी के उदाहरण है और हद से ज्यादा उदासी ही अवसाद होता है।

                                                                          

हम सभी के जीवन में अकेला छोड़ दिए जाने, धोखा देने और ठुकरा दिए जाने की भावना पैदा होती है। इसलिए यदि आपकी उदासी लंबे समय तक रहती है तो आपके साथ एक ऐसी भावनात्मक समस्या पैदा होती है जो शारीरिक संकट का रूप ले लेती है। डिप्रेशन को देखने का हमारा नजरिया हमारे स्वस्थ होने के अंतर ज्ञान का हिस्सा है जो बताता है कि कुछ ज़रूरतें पूरे नहीं हो रही हैं। हम जब दुख या क्रोध महसूस करते हैं तो यह हमें बस में कर सकता है, हमारी जान ले सकता है और हमारे संबंधों को युद्ध क्षेत्र में बदल सकता है।

अगर जीवन में पर्याप्त खुशी और प्रेम ना हो तो यही अवसाद के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण बन जाता है। ऐसे में हमें यह समझना होगा कि स्वयं से प्रेम करने से अच्छे भावनात्मक एवं शारीरिक स्वास्थ्य की शुरुआत होती है। डिप्रेशन या उदासी अंतर ज्ञान के एक संकेत की तरह है जो बताती है कि आपके आसपास कुछ तो है जो बहुत बड़ा करने वाला है और उसे बदलने की आवश्यकता है।

                                                                     

इसलिए अगली बार जब आपका मन बैठे तो वहीं रुक जाएं, उसके विषय में सोचें यह पता लगाने की कोशिश करें कि अंतर ज्ञान का यह अलार्म क्यों बजा, क्या कोई संबंध बिगड़ने वाला है, क्या किसी की सेहत गिरने वाली है। जब कोई भावना डिप्रेशन या चिड़चिड़ा पान में जाने लगती है तब अंतर ज्ञान से ही हमें रुकना है और खुद से पूछना है कि हमारे जीवन में क्या गलत हो रहा है।

यदि आप अपने भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर करना चाहते हैं तो आपको अपने मनोभावों के पीछे छिपे अंतर ज्ञान के संदेश को समझना होगा यह डिप्रेशन को बढ़ाने से और आपके मन व शरीर पर उसकी पकड़ बनाने से रोकेगा। आप स्वयं को जब भी उतावला या चिड़चिड़ापन महसूस करें।

यहां तक की सीखने की हद तक पहुंच जाए तब ध्यान रखें कि आप उसे भावना को क्रोध को रोक सकते हैं उसे हताशा या चिड़चिड़ापन नाराजगी के बावजूद कुछ मिनट तक चुपचाप बैठे रहे मन ही मन सोचें कि आप उसे अपने मस्तिष्क के दाएं से बाएं और भेज रहे हैं। इस भावना के पीछे अंतर ज्ञान के संतोष का पता लगेगा, किंतु उससे भी बेहतर यह पता लगे कि किस विचार के कारण क्रोध का यह बटन आपके मस्तिष्क में अटक गया है।

                                                               

आमतौर पर इसके लिए खुद को हमेशा सही और दूसरों को गलत बनाने की सोच जिम्मेदार होती है और उसी के कारण यह सब दिक्कतें पैदा होती है। इसलिए आपको अपने को बदलने की आवश्यकता है और आप बदलकर डिप्रेशन से अपने को बचा सकते हैं। जब भी आप पर नकारात्मक हावी हो और आप उदासी व चिड़चिड़ापन महसूस करें तो कुछ समय तक शांत रहें और उसके कारण को खोजने की कोशिश करें। जीवन में प्रेम और खुशी की तलाश करें और ऐसा आप प्रेम और खुशी बिखर कर ही कर सकते हैं। ऐसा करके आप उसे अवसादग्रस्त विचार को अधिक सकारात्मक शांत देने वाले और विश्वास दिलाने वाले विचार से बदल सकते हैं।

लेखकः डॉ0 दिव्याँशु सेंगर प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ, में मेडिकल ऑफिसर हैं।