आंखों के दबाव की जांच कराना जरूरी

         40 वर्ष की आयु के बाद आंखों के दबाव की जांच कराना जरूरी

                                                                                                                                                                        डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

उम्र के साथ-साथ आंखों पर भी असर पड़ता है। लक्षणों की अनदेखी न करते हुए समय पर जांच कराना, ग्लूकोमा व डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसी बड़ी समस्याओं को शुरू में ही पकड़ने में मदद करता है। कैसे करे देखभाल, क्या कहते हैं विशेषज्ञ-

                                                                                 

चालीस वर्ष की आयु के बाद समय-समय पर अच्छे नेत्र विशेषज्ञों से आंख की जांच कराना जरूरी हो जाता है। इस उम्र के बाद से ही ग्लूकोमा, मैक्यूलर डीजनरेशन और डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसी आंखों की समस्याओं के होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में नियमित जांच से लक्षणों की पहचान शुरू में हो जाती है और आंखों को स्थायी नुकसान से बचाने में मदद मिलती है। स्वस्थ आहार लें

विटामिन व पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित डाइट आंखों की सेहत को फायदा पहुंचाती है। एंटीऑक्सिडेंट, ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन ए, सी व ई से भरपूर खाद्य पदार्थ आंखों की क्षमता को बेहतर बनाए रखते हैं। पत्तेदार सब्जियां मछली, मेवे और खट्टे फल में ये तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं।

बीपी व शुगर रखें नियंत्रित

                                                                  

विशेषज्ञों के अनुसार हाइपरटेंशन और डायबिटीज, दोनों का लंबे समय तक अनियंत्रित रहना आँखों पर बुरा असर डालता है। शुगर बढ़ने पर रेटिना की रक्त कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। सूजन व ग्राव होता है। रक्त संचार बाधित होने से धुंधला दिखने लगता है। उपचार न कराने पर यह समस्या मोतियाबिंद और ग्लूकोमा बन सकती है। बीपी व शुगर की दवाएं लेते है तो लापरवाही न बरतें।

आंखों को अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाव

    आंखों को अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाना भी जरूरी है। धूप में अधिक रहते हैं तो धूप का चश्मा और चौड़ी किनारी बाली टोपी पहनें।

                                                                     

क्यों जरूरी है आई प्रेशर की जांच चिकित्सकों के अनुसार, आंखों को स्वस्थ बनाए रखने में आई प्रेशर एक महत्वपूर्ण कारक होता है। यह आंखों के अंदर फ्लूइड का प्रेशर है। हमारी आंखों को ढंग से काम करने के लिए एक निश्चित प्रेशर की जरूरत होती है। आंखों का बढ़ा हुआ दबाव ग्लूकोमा के खतरे को बढ़ाता है। ग्लूकोमा के लक्षणों की अनदेखी करने से दृष्टि भी जा सकती है। चूंकि प्रारंभिक अवस्था में इसके लक्षण सामने नहीं आते, इसलिए आंखों के दबाव को जांच जरूरी है। यह जांच आसान व दर्द रहित होती है।

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लेखक: डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।