कीटनाशक उपयोग करते समय अपनाायी जाने वाली अपेक्षित सावधानियाँ कीटनाशकों का प्रयोग करते समय सावधानियाँ-

कीटनाशक उपयोग करते समय अपनाायी जाने वाली अपेक्षित सावधानियाँ

                                                                                                                                                                         डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 कृषाणु

कीटनाशकों का प्रयोग करते समय सावधानियाँ-

                                                                        

फसलों की कीटों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए फसल रक्षा रसायनों अर्थात कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। ये कीटनाशक जहरीले तथा मूल्यवान होते हैं जिनके प्रयोग की जानकारी न होने के कारण इनसे नुकसान भी हो सकता है। इसलिए इनका प्रयोग करते समय कुछ बातों का ध्यान रखने के साथ-साथ इनके प्रयोग के समय क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए. इसकी जानकारी किसानों को होना बहुत ही आवश्यक है।

कीटनाशकों के घातक प्रभाव से बचने के लिए आवश्यक होता है कि उन पर लिखे हुए निर्देशों को पढ़कर उनका पालन सही ढंग से किया जाए। जिसमें किसी प्रकार की लापरवाही न बरती जानी चाहिए। क्योंकि थोड़ी सी भी असावधानी होने से बहुत बड़ा नुकसान भी हो सकता है।

कीटनाशकों का प्रयोग से पहले बरती जाने वाली सावधानियाँ-

                                                                         

1.   किसी भी कीटनाशी का प्रयोग करने से पूर्व कीटों की अच्छी तरह पहचान कर लेना चाहिए। यदि कीटों की पहचान संभव नहीं हो पा रही हो तो स्थानीय स्तर पर उपस्थित कीट विशेषज्ञ से कीट की पहचान कराकर ही कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए।

2.   कीट नाशक का प्रयोग केवल तभी करना चाहिए जब कीट की आर्थिक क्षति स्तर सीमा बढ़ गयी हो।

3.   कीट को मारने के सही उपाय के बारे में पता कर लेना चाहिए।

4.   प्रकोपित कीट के लिए संस्तुत की गई कीटनाशी रसायन का ही प्रयोग करना चाहिए।

5.   कीटनाशियों के विषाक्तता को प्रदर्शित करने के लिए कीटनाशक के डिब्बों पर तिकोने आकार का हरा या नीला या पीला अथवा लाल रंग का निशान बना होता है। जब कई कीटनाशी उपलब्ध हो तो लाल निशान वाले कीटनाशी का प्रथम प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि लाल निशान के कीटनाशी समस्त स्तनधारियों पर सबसे ज्यादा नुकसान करती है। लाल निशान वाले कीटनाशी की अपेक्षा पीले रंग के निशान वाली कम और पीले रंग वाली की अपेक्षा नीले रंग के निशान वाली कम नुकसान पहुँचाती है तथा सबसे कम नुकसान हरे रंग के कीटनाशी से होता है।

6.   कीटनाशक खरीदते समय हमेशा उसके बनने की तिथि एवं उपयोग करने की अन्तिम तिथि को अवश्य पढ़ लेना चाहिए ताकि पुरानी दवा को खरीदने से बचा जा सके।

7.   कीटनाशी की पैकिंग के साथ एक उपयोग करने की पुस्तिका अर्थात लीफलेट भी उसके साथ ही आता है। अतः किसान भाईयों को उसको भी अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए और उसमें दी गई चेतावनी का पालन अक्षरसः करना चाहिए।

8.   कीटनाशियों का भण्डारण सदैव ही साफ-सुथरी एवं हवादार एवं सूखे स्थान पर करना चाहिए।

9.   यदि अलग-अलग समूहों के कीटनाशियों का प्रयोग करना है तो इनका प्रयोग एक के बाद दूसरे का प्रयोग करना चाहिए।

10.  ऐसे कीटनाशियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जिसका प्रयोग करने से फसल की पत्तियों में रासायनिक अम्न बनता हो।

कीटनाशकों का प्रयोग करते समय बरते जानी वाली सावधानियाँ-

                                                                               

1.   कीटनाशक का छिड़काव करने वाले व्यक्ति को अपने शरीर को बचाने वाले कपडे ठीक ढंग से पहन लेने चाहिए। जिससे यदि उनमें कीटनाशी लग जाए तो उन्हें बदल कर दूसरे कपड़े पहन लेने चाहिए और इसके साथ ही छिड़काव करने वाले व्यक्ति को अपने हाथों में रबड़ के दस्ताने अवश्य ही पहन लेना चाहिए।

2.   कीटनाशी का छिड़काव करने वाले व्यक्ति को छिड़काव करने के सम्बन्ध में पूरी जानकारी होना चाहिए तथा इसके साथ ही उसके शरीर पर कोई घाव आदि भी नहीं होना चाहिए।

3.   बहुत अधिक जहरीले कीटनाशी को प्रयोग करते समय कभी अकेले नहीं रहना चाहिए।

4.   कीटनाशी का घोल बनाते समय किसी बच्चे या अन्य आदमी या जानवर आदि को अपने पास में नहीं रहने देना चाहिए।

5.   कीटनाशी को मिलाने के लिए लकड़ी का डण्डा ही प्रयोग किया जाना चाहिए।

6.   कीटनाशी के साथ मिली हुई प्रयोग पुस्तिका को दुबारा से पढ़ कर उसके अनुदेशों का उचित तरीके से पालन सुनिश्चित करना चाहिए।

7.   कीटनाशक छिड़कने वाले यंत्र की जांच अच्छी तरह से कर लेना चाहिए। यदि उसमें कोई खराबी है तो समय रहते ही पहले उसकी मरम्मत कर लेनी चाहिए।

8.   कीटनाशी का छिड़काव करने के बाद छिड़काव करने वाले व्यक्ति को अपनी त्वचा को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए।

9.   तरल कीटनाशियों को सावधानीपूर्वक मशीन में डालना चाहिए और यह ध्यान देना चाहिए कि यह किसी प्रकार मुह, कान, आंख, नाक आदि में न जाने पाए। यदि ऐसा होता है तो तुरन्त साफ पानी से बार-बार धोना चाहिए ।

10.  छिड़काव के समय साफ पानी की मात्रा पास में रखनी चाहिए।

11.  कीटनाशी का प्रयोग करते समय कोई खान-पान या धूम्रपान आदि नहीं करना चाहिए।

12.  कीटनाशी मिलाते समय जिधर से हवा आ रही हो उसी तरफ खड़ा होना चाहिए।

13.  कीटनाशी का प्रयोग करते समय यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि कीटनाशी की मात्रा पूरी तरह पानी में मिल गई है।

14.  रसायन का धुंआ सांस के द्वारा अन्दर नहीं जाने देना चाहिए।

15.  हवा के विपरीत दिशा में खड़े होकर छिड़काव या बुरकाव नहीं करना चाहिए।

16.  नोजल की सफाई मुँह से या मुँह के पास लाकर नहीं करना चाहिए।

17.  एक बार में जितनी जरूरत हो उतनी ही कीटनाशी ले जाएं।

18.  छिड़काव के लिए उपयुक्त समय सुबह या सायंकाल होती है तथा यह ध्यान रखना चाहिए कि हवा क गति 7 किमी./घंटा से कम होना चाहिए तथा तापमान 21 डिग्री सेंटीग्रेट के आस-पास रहना सर्वाेत्तम होता है।

19.  फूल आने पर फसलों पर कम छिड़काव करना चाहिए और यदि छिड़काव करना हो तो हमेशा सायंकाल में ही करना चाहिए। जिससे मधुमक्खियां रसायन से प्रभावित न हों।

20.  कीटनाशियों का व्यक्ति पर प्रभाव दिखने पर डॉक्टर के पास ले जाएं साथ में कीटनाशी का डिब्बा भी ले जाएं ।

कीटनाशियों के प्रयोग के बाद सावधानियाँ

                                                                              

  • बचे हुए कीटनाशक की शेष मात्रा को सुरक्षित भण्डारित कर देना चाहिए।
  • कभी भी कीटनाशी का घोल पम्प में नहीं छोड़ना चाहिए।
  • पम्प को ठीक से साफ करके ही भण्डार गृह में रखना चाहिए।
  • छिड़काव करने के बाद अपने आपको स्वच्छ करने के बाद साफ कपड़े पहन लेना चाहिए।
  • जो भी कीटनाशी छिड़के उसका ब्योरा लिखकर रख लेना चाहिए।
  • कीटनाशी छिड़काव के बाद छिड़के गये खेत में किसी अन्य आदमी या जानवर को कुछ देर तक नहीं जाने देना चाहिए।
  • कीटनाशी छिड़काव के बाद 6 घंटे तक वर्षा नहीं होनी चाहिए। यदि 6 घंटे के अन्दर वर्षा हो जाती है तो पुनः छिड़काव करना चाहिए।
  • अन्तिम छिड़काव व फसल की कटाई या तुड़ाई में दवा में बताए गये अन्तर का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।

विष का उपचार:

सभी सावधानियां रखने के बावजूद भी यदि कोई व्यक्ति इन कीटनाशियों का शिकार हो जाए तो निम्नलिखित सावधानियां अपनानी चाहिए:-

                                                                        

1.   खाली डिब्बे को किसी अन्य काम में न लें, बल्कि उसे तोड़कर 2 फिट गहरे मिट्टी में दबा देना चाहिए।

2.   कागज या प्लास्टिक के डिब्बे को यदि जलाना है तो उसके धुंए के पास नहीं खड़ा होना चाहिए।

3.   कीटनाशी छिड़काव के समय प्रयोग किए गए कपड़े, बर्तन आदि को ठीक प्रकार से धोकर ही रखना चाहिए।

4.   कीटनाशी का छिड़काव करने के बाद ठीक से स्नान करें और रोगी के शरीर से विष को शीघ्रातिशीघ्र निकालने का प्रयास करना चाहिए।

5.   इसके लिए विषमारक दवा का प्रयोग करना चाहिए।

6.   रोगी को तुरन्त किसी पास के अस्पताल या डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

7.   यदि किसी व्यक्ति ने जहर खा लिया है तो उसे एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच नमक मिलाकर उल्टी करानी चाहिए अथवा गुनगुने पानी में साबुन घोलकर देना चाहिए अथवा एक गिलास गुनगुने पानी में 1 ग्राम जिंक का पउडर देना चाहिए।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।