नयी तकनीक ड्रोन भारतीय कृषि क्रांति की तीसरी लहर

           नयी तकनीक ड्रोन भारतीय कृषि क्रांति की तीसरी लहर

                                                                                                                                                       डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 कृषाणु एवं मुकेश शर्मा

पंजाब के हरे-भरे खेतों से गुजरते हुए, हमारा ध्यान कहीं दूर गूंजती एक आवाज ने अपनी ओर आकर्षित किया। ऐसे में यह स्वाभाविक ही जिज्ञासा हुई कि आखिर इस आवाज का स्रोत क्या है? जब हम वहां पहुंचे तो वहाँ हमारा स्वागत खेतों में काम कर रहे दो किसानों ने किया। ये किसान ड्रोन के जरिये नैनो यूरिया का छिड़काव अपने खेतों कर रहे थे। देश के धुर ग्रामीण क्षेत्र में किसानों द्वारा एक नई तकनीक को इतने उत्साहपूर्वक स्वीकार किए जाने को देखकर हमें बहुत ही सुखद अनुभूति हुई। हमें लगा कि यह देश के कृषि क्षेत्र के लिए वह ‘ड्रोन क्षण’ है, जिसने देश में ‘ड्रोन आंदोलन’ की शुरुआत की। इन किसानों ने हमें बताया कि उन्हें कृषि ड्रोन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उनके गांव में ही ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के दौरान प्राप्त हुई। यह नई तकनीक उनके खेतों में कुशल तरीके से तरल उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव करने के लिए बहुत उपयोगी सिद्व हुई है।

                                                                             

कृषिगत कार्यों में ड्रोन के इस उपयोग को मैं कृषि क्रांति की तीसरी लहर के रूप में देख रहा हूँ। कृषि ड्रोन तकनीक हमारी कृषि पद्धतियों को आधुनिक बनाने और बदलने में एक कारगर तकनीक साबित हो रही है। हैंड पंपों के माध्यम से कीटनाशकों और तरल उर्वरकों के थकाऊ छिड़काव के दिन अब पुराने हो चुके हैं। अब इस प्रक्रिया का स्थान ड्रोन की मदद से छिड़काव की अधिक कुशल तकनीक ले रही है। अपनी पहली हरित क्रांति में नए कृषि उपकरणों, एचवाईवी (उच्च उत्पादकता किस्में) के बीज, कीटनाशक और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग की शुरुआत भी हम सभी ने देखी है। पिछले कुछ वर्षों में हमारे पर्यावरण, मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उर्वरता की दीर्घकालीन स्थिरता बनाए रखने के लिए, उर्वरकों के संतुलित उपयोग को सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता काफी समय से अनुभव की जा रही है। स्वयं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2019 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से इसका आह्वान किया था। इसी से प्रेरित होकर सरकार ने जैव, नैनो और जैविक उर्वरक जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए पीएम प्रणाम एवं गोबरधन के जैसी कई पहलें आरम्भ की है। इन नए प्रयासों के बारे में अधिक जागरूकता बढ़ाने और किसानों को  एकीकृत समाधान प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र की स्थापना की गई है।

स्वदेशी रूप से विकसित किए गए नैनो उर्वरक बेहतर हैं, क्योंकि यह पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों का पर्यावरण अनुकूल और प्रभावी विकल्प प्रदान करने में सक्षम हैं। इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने और फसल की उपज में अपेक्षित सुधार करने में सहायता प्राप्त हो रही है। इसके साथ ही पोषक तत्वों की बेहतर उपयोग दक्षता और आसान प्रबंधन जैसे कई अन्य फायदे भी प्राप्त हो रहे हैं। इसकी व्यापक स्वीकार्यता सुनिश्चित करने में अगली चुनौती कुशल अनुप्रयोग प्रणाली की एक विधि को विकसित करना, उसे आसानी से अपनाने के लिए एक इको -सिस्टम बनना और कृषक समुदाय तक लाभों को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करना था। भारत के युवा और गतिशील स्टार्टअप द्वारा किसान ड्रोन का विकास, तरल उर्वरकों के इस्तेमाल के लिए एक प्रभावी और कुशल तकनीक प्रदान करता है। इसके माध्यम से महज कुछ मिनटों में एक एकड़ कृषि भूमि में छिड़काव करने की क्षमता के चलते, अपने खेतों में घंटों मेहनत करने वाले किसानों के लिए यह किसी वरदान से कम नही है। किसानों के पास अधिक खाली समय होने से किसान अपनी कमाई को बढ़ाने के लिए अधिक उत्पादक कार्य कर सकते हैं।

                                                                                  

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लक्ष्य देश के विकास में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाने का है। 30 नवंबर को विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान उन्हांेने स्वयं नमो ड्रोन दीदी का शुभारम्भ किया था। इस योजना का उद्देश्य कृषि कार्य के लिए किसानों को किराये पर ड्रोन उपलब्ध कराना है। इसके लिए नमो ड्रोन दीदी के तहत 15,000 चुनिंदा महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान किया जाना है। यह अनूठी पहल न केवल किसानों को तरल उर्वरक के छिड़काव के लिए ड्रोन उपलब्ध कराएगी, बल्कि महिला सशक्तीकरण और ग्रामीण समृद्धि में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगी।

प्रभावी संवाद किसी भी पहल के सफल क्रियान्वयन के लिए एक सबसे अधिक महत्वपूर्ण क्रिया होती है। 15 नवंबर, 2023 से शुरू हुई देशव्यापी विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान ड्रोन एक प्रमुख आकर्षण का केन्द्र रहें। यात्रा के दौरान देश के समस्त राज्यों में 50,000 से अधिक ड्रोन प्रदर्शन किए गए हैं। इन प्रदर्शनों के माध्यम से किसानों के भीतर अपनी खेती में इस नई उच्च-स्तरीय तकनीक को अपनाने के सम्बन्ध में अधिक रुचि जगाई है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।