कक्षा में कमजोर बच्चों को आगे लाएं

                             कक्षा में कमजोर बच्चों को आगे लाएं

                                                                                                                                                                    डॉ0 आर. एस. सेंगर

                                                                                    

शिक्षकों से अपील                                                                                                                                                                                      

शिक्षक का बच्चे के जीवन में सबसे अहम योगदान है। बच्चों का मानसिक विकास भी इसी अवस्था से होता है। आप बच्चों को जैसा चाहें वैसा बना सकते हैं। शिक्षक भाग्य विधाता और राष्ट्र का निर्माता हैं। शिक्षक बच्चों को अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए उनका इस तरह से निर्माण करें कि वे भविष्य में देश के निर्माण में अपना अहम योगदान दे सकें।

शिक्षण का पेशा केवल जीविकोपार्जन का एक माध्यम भर ही नहीं है, और ऐसे में शिक्षकों से अपील है कि वे इसे जीवकोपार्जन मात्र का ही कार्य ना समझें। शिक्षक जीविकोपार्जन के साथ समाज एवं राष्ट्र निर्माण का महत्वपूर्ण काम भी कर रहे हैं और यह एक महान पेशा है। शिक्षक भगवान तुल्य हैं। हमारे वेदों और पुराणों में भी गुरू को एक अति महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया गया है। तो वहीं कबीर भगवान एवं गुरू दोनों में पहले गुरू के चरण वन्दन करने की बात कहते हैं। परन्तु इसके साथ ही हमें कुछ विशेष मुद्दों पर भी अपना ध्यान देना होगा।

                                                                              

जब हम राष्ट्र निर्माण की बात करते हैं तो हमें अपने अन्दर की कुछ खामियों को भी सुधारना होगा। क्योंकि जब तक जीवन में ईमानदारी नहीं है तो म एक सच्चे राष्ट्र निर्माण नहीं कर सकते। विदेशों में भी हर जगह भारतीय ही हैं जो उस राष्ट्र को आगे ले जा रहे हैं, लेकिन हम भारत में ही रहते हुए अपने भारत को वहां तक लेकर क्यों नहीं ले जा पा रहे। इस पर गम्भीरतापूर्वक विचार करना ही होगा कि ऐसा आखिर क्यों ?

इसका कारण यह है कि हमारे अंदर कुछ कमियां हैं। अतः मेरी शिक्षकों से अपील है कि वे कक्षा के कमजोर बच्चों को पहचानें और उन्हे आगे लाएं। आज हर प्रोफेशन में अनेक मौके हैं। केवल डॉक्टर, इंजीनियर या आईएसस ही बनना है, ऐसा ही नही हैं। कई बार डॉक्टर, इंजीनियर या आईएएस बनने के चक्कर में हम कुछ भी नही बन पाते हैं और यदि देखा जाए तो टीचर से उत्तम कोई भी प्रोफेशन नही हैं।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।