कृषि क्षेत्र में है रोजगार की असीम संभावनाएं: कुलपति प्रोफेसर के के सिंह

कृषि क्षेत्र में है रोजगार की असीम संभावनाएं: कुलपति प्रोफेसर के के सिंह

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आज थल और नौ सेनाा के सैनिक एवं अधिकारियों के द्वारा  कृषि विश्वविद्यालय कृषि में उपयोगी  तकनीक के अवलोकन हेतु परिसर का भ्रमण किया गया तथा विश्वविद्यालय की विभिन्न प्रयोगशालाओं में चल रहे शोध कार्यों का अवलोकन भी किया गया। यह कार्यक्रम एमएसएमई टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट सेंटर, मेरठ के द्वारा आयोजित किया गया था। यहां पर सैनिकों तथा अधिकारियों के द्वारा दो माह का प्रशिक्षण हाइड्रोपोनिक्स टेक्निक्स के द्वारा फसल उत्पादन कैसे किया जा सकता है, विषय पर प्रशिक्षण प्राप्त किया जा रहा हैं।

                                                                        

आज एमएसएमई टेक्नोलॉजी केंद्र के नरेंद्र सिंह राघव के नेतृत्व में 34 अधिकारियों का एक दल विश्वविद्यालय पहुंचा और उन्होंने विश्वविद्यालय में किया जा रहे शोध प्रसार एवं शिक्षक की गतिविधियों को देखा और विश्वविद्यालय द्वारा किसान हित में किया जा रहे कार्यों की कंठमुक्त प्रशंसा की। सैनिकों के इस दल ने कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति से मुलाकात की और इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर  के के सिंह संबोधित करते हुए कहा, कि कृषि के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं विद्यमान हैं।

लोग पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी, कस्टम हायर सेंटर, मशरूम उत्पादन, फिश कल्चर टिशु कल्चर, पशुपालन और बकरी पालन आदि को रोजगार एवं व्यवसाय के रूप में अपना सकते हैं। कुलपति ने बताया कि भारत में काफी हद तक कृषि उत्पादन नष्ट हो जाता है और यदि प्रोसेसिंग की सुविधा अच्छी उपलब्ध हो जाए और साथ ही इसकी मार्केटिंग की उचित व्यवस्था हो, तो इस क्षेत्र में काफी अच्छी रोजगार की संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि मोटे अनाज के कई उत्पाद बनाकर मार्केट में बेचे जा सकते हैं, जिनकी वर्तमान में मांग भी काफी बढ़ रही है और खपत भी बढ़ी है। इसी प्रकार खेती में धान, गेहूं और गन्ने से हटकर यदि किसी अन्य वृद्धि कारक को अपनाया जाएगा, तो किसानों की आय तथा  रोजगार दोनों में ही अपेक्षित बढ़ोतरी होगी।

                                                                        

इस अवसर पर प्रोफेसर  आर एस सेंगर ने सैनिकों को कृषि में बायोटेक्नोलॉजी की भूमिका तथा टिश्यू कल्चर द्वारा विकसित गन्ने एवं केले कि पौधों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।

प्रोफेसर कमल खिलाड़ी ने विश्वविद्यालय में चल रही धान की परियोजना के सम्बन्ध में जानकारी दी तथा धान की प्रजातियों को दिखाया। इसके अलावा विभिन्न फसलों के निमित्त रोड के द्वारा होने वाली हानि के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

डॉ गोपाल सिंह के द्वारा सेना के जवानों को मशरूम के बीज उत्पादन तथा मशरूम उत्पादन की जानकारी दी गई।

प्रोफेसर शालिनी गुप्ता ने धान की सीधी बुवाई तथा एरी परियोजना द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से बताया।

प्रोफेसर अरविंद राणा ने विश्वविद्यालय में ड्रैगन फ्रूट उत्पादन के बारे में जानकारी दी उन्होंने स्ट्रॉबेरी के उत्पादन और इससे जुड़ी रोजगार की संभावनाओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई।

                                                                            

इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों से आए सैनिक, जो कि पाकिस्तान बॉर्डर, चीन बॉर्डर और राजस्थान बॉर्डर पर पोसटेड है और उनके साथी देश के विभिन्न प्रदेशों जैसे आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान के रहने वाले हैं, वे सभी इस प्रशिक्षण में शामिल हुए।

विश्वविद्यालय में आज आंध्र प्रदेश के रामकृष्ण, केरल से हरीश, हिमाचल प्रदेश से अनिल कुमार, मेरठ से नरेंद्र कुमार, विकास कुमार और रोबिन आदि लोग मौजूद रहे। सभी सैनिकों ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय में जो उनको कृषि तकनीकी ज्ञान मिला है वह उनके लिए बहुत ही लाभकारी सिद्व होगा। विश्वविद्यालय द्वारा जो शोध का कार्य किये जा रहे है उनसे केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ही नहीं अपितु देश के अनेक भागों में सभी किसानों को बेहतर लाभ प्रापत् होगा।