2023 में श्री अन्न का वैभव

                                         2023 में श्री अन्न का वैभव

                                                                                                                                                          डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं राजेश सिंह सेंगर

यदि भारत को एक विकसित देश बनाना है तो उसे खेती को लाभ का सौदा बनाना ही होगा और इसी के तहत केंद्र सरकार खेती और किसानी से जुड़े लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। इस वर्ष भारत के विविध मौसम और मिशन में कम लागत से भरपूर उत्पादन में सक्षम श्री अन्न के वैश्विक प्रचार-प्रसार से यह अवसर प्राप्त हुआ। भारत की पहल पर ही संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा घोषित श्री अन्न वर्ष रहा।

                                                                                       

आजकल हर कोई श्री अन्य की मांग कर रहा है, जिसके कारण एक बार फिर से इनकी खेती का रकबा बढ़ा है और कम लागत में पैदा होने वाली यह फैसले किसानों की आय को बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम बन रही है। इस समय, जब खेती में बढ़ते उर्वरक और कीटनाशकों के इस्तेमाल के सेहत पर दुष्प्रभाव दिखने लगे और दुनिया भर में शुद्ध और प्राकृतिक कृषि उत्पादों की बात की जा रही तो उसमें भी भारत के किसान ही अव्वल साबित हुए।

आज हम ऑर्गेनिक खेती करने वाले दुनिया के सबसे बड़े देश हैं और कोई भी देश ऐसा नहीं है जहां 44 लाख से अधिक किसान ऐसी खेती कर रहे हैं और करीब 60 लाख हेक्टेयर में उगाई जा रही हैं।

आर्गेनिक उत्पादों का सेवन करने से भारतीयों सहित दुनिया की लोगों की सेहत तो सुधर ही रही है। कृषि की इस विघा से भारतीय किसानों की कृषि लागत में भी उल्लेखनीय कमी आई है तथा साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित हो रहा है। भारतीय कृषि की कुछ परंपरागत कमियों को भी दूर करने की कोशिशें अब काफी तेज हो गई है।

छोटी जोत जैसे खामी तो स्थाई है, लेकिन लागत कम किए जाने के प्रयास भी अब सफल हो रहे हैं, नैनो यूरिया इसी दूरदृष्टि का एक परिणाम है। स्थानीय स्तर पर बाजार और बुनियादी संरचनाओं का विकास भारतीय किसान के जीवन को उन्नत बनाने में अग्रणीय भूमिका निभा रहे हैं।

                                                                                

देश की 55 प्रतिशत श्रमशक्ति खेती किसानी से ही जुड़ी हुई है। फिर भले ही सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 18 प्रतिशत हो, लेकिन इससे जुड़ी आबादी के कल्याण से देश कहां से कहां पहुंच सकता है इसका तो बस सहज अनुमान ही लगाया जा सकता है। सरकार के प्रयासों से देश का कृषि क्षेत्र पिछले 6 साल से सालाना और सन 4.6 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।

                                                              

किसी समय अनाज के एक-एक दाने के लिए विदेश का मुँह ताकने वाला देश आज 50 अरब डॉलर से ज्यादा कीमत का शुद्ध कृषि उत्पादों का निर्यात भी करने लगा है। यह क्रांति सरकार के अथक प्रयासों और किसनों की आय दुगनी करने के पक्के इरादे का ही सुफल है। केवल यही नहीं 11 करोड़ से अधिक किसानों को हर साल मिल रही ₹6000 प्रधानमंत्री किसान निधि भी किसानों के लिए एक स्थाई आय साबित हो रही है। दुनिया की सबसे बड़ी फसल सिंचाई योजना का सीधा लाभ 5.5 करोड़ से अधिक किसानों को प्रत्यक्ष प्राप्त हो रहा है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।