कुछ ऐसे रोग जिनका महिलाओं को रहता है खतरा

                      कुछ ऐसे रोग जिनका महिलाओं को रहता है खतरा

                                                                                                                                                           डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा

शर्म के चलते अंदर ही अंदर इन रोगों से तड़पती रहती हैं सभी लड़कियां-

हम सब को इस बात को समझना ही चाहिए कि लड़कियों के शरीर की बनावट ही कुछ ऐसी है कि उन्हें पुरुषों के मुकाबले अधिक शारीरिक समस्या होने का खतरा रहता है। ऐसे मे महिलाओं से अपील है कि उन्हें अपने शरीर से सम्बन्धित किसी भी समस्या को छिपाने के स्थान पर उसके बारे में बात करनी चाहिए और इससे आराम पाने के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

यदि हम महिलाओं हेल्थ प्रॉब्लम्स के बारे में बात करें, तो ऐसी विभिन्न बीमारियाँ है, जिनका खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है। इसके अलावा भी कई ऐसी समस्याएं हैं, जिनका सिर्फ और सिर्फ महिलाओं को ही सामना करना पड़ता है। इसके अन्तर्गत सबसे बड़ी परेशानी तो यह है कि महिलाएं अपनी अधिकतर बीमारियों को छिपाने की बहुत कोशिश करती हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक 4 में से लगभग 3 महिलाएं डॉक्टर के पास जाने से बचती हैं क्योंकि इसके लिए या तो वह संकोच करती हैं या फिर अपनी समस्या को छोटा समझकर उसे नजरअंदाज कर देती हैं।

सभी लोगों को इस बात को समझना चाहिए कि लड़कियों के शरीर की बनावट ही ऐसी हुई है कि उन्हें पुरुषों के मुकाबले अधिक शारीरिक समस्याओं का खतरा रहता है। लेकिन आपको किसी भी समस्या को छिपाने के बजाय उसके बारे में बात करनी चाहिए और आराम पाने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह भी लेनी चाहिए।

प्रत्येक वर्ष 28 मई को इंटरनेशनल विमेंस हेल्थ डे (International Women’s Health Day) मनाया जाता है। स्त्री रोग विशेषज्ञों के अनुसार महिलाओं में होने वाले कुछ ऐसे रोग होते हैं हैं, जिन्हें अक्सर तब तक नजरअंदाज कर दिया जाता है, जब तक कि वे किसी बड़ी स्वास्थ्य समस्या रूप धारण नहीं कर लेते हैं। अतः आपको सलाह दी जाती है कि अगर आप स्वयं हेल्दी एंड फिट रहना चाहती हैं, तो आपको अपनी इन समस्याओं का समय रहते ही इनका उपचार आवश्यक रूप से कराना चाहिए। हमारे इस लेख में कुछ इसी प्रकार की समस्याओं का वर्णन किया जा रहा है, जो अगलिखित हैं-

स्पॉटिंग की समस्या

                                                                                 

मैन्सुरेशन साइकिल के दौरान होने वाली स्पॉटिंग को कभाी भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यह समस्या ओवेरियन सिस्ट, बर्थ कंट्रोल पिल्स का सेवन बन्द कर देने या फिर यहां तक कि तनाव के कारण भी हो सकता है। इससे बचने के लिए सम्बन्धित महिला गर्म पानी से नहाएं, मालिश करें और यदि यह समस्या बिना किसी कारण विशेष के हो रही है, तो अपनी गायनोकोलॉजिस्ट से इसके बारें में बात करें।

योनिशोथ

                                                                

यह एक प्रकार की सूजन है जो खुजली, गंध, डिस्चार्ज और दर्द का कारण बन सकती है, इसके कई कारण हो सकते हैं। टैम्पोन, साबुन और लुब्रिकेंट आदि का प्रयोग करना भी इसका कारण बन सकते हैं। इससे बचाव के लिए महिलाओं को चाहिए कि वह खुशबू वाले विभिन्न उत्पादों का उपयोग कम से कम करें और नैचुरल साबुन से धीरे धीरे अपने प्राईवेट पार्ट की सफाई करें।

सिस्ट का खतरा

                                                         

आमतौर पर सिस्ट समय के साथ दूर हो जाते हैं। वुल्वर सिस्ट बाहरी त्वचा पर दिखाई देते हैं, जबकि वैजाइनल सिस्ट आंतरिक योनि की दीवार पर दिखाई देते हैं। इसके लिए सबसे अच्छा घरेलू उपाय सिट्ज़ बाथ है। परन्तु इन्फेक्शन के बढ़ने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य ही करना चाहिए।

टाइट-सिंथेटिक अंडरवियर के कारण होने वाला इन्फेक्शन

                                                                 

इसमें कोई शक नही कि सिल्की पैंटीज देखने में बहुत ही सुन्दर और प्यारी होती हैं, लेकिन अनेक शोध के माध्यम यह पता चला है कि टाइट अंडरगारमेंट्स पहनने से उनसे घर्षण और गर्मी पैदा हो सकती है, जिससे बैक्टीरिया पैदा हो सकता है और सम्बन्धित महिला में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।

सूखापन के कारण होने वाली बेचैनी

                                                               

जननांग में सूखेपन के कारण से होने वाली परेशानी का अनुभव किसी भी लड़की या महिला के लिए अत्यन्त ही दुखदायी होता है। स्त्री को अनुभव होने वाला यह अजीब सा सूखापन हॉर्मोनल असंतुलन, रजोनिवृत्ति, प्रसव या स्तनपान आदि के कारण कभी भी और किसी भी आयु में हो सकता है।

लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलगण्अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।