कान बहना, पर्दे में छेद एवं बहरापन

                             कान बहना, पर्दे में छेद एवं बहरापन

                                                                                                                                                             डॉ0 राजीव सिंह एवं मुकेश शर्मा

पर्दे फटने के प्रमुख कारण क्या होते है-

                                                                           

1- कान यदि बार बार इन्फेक्शन हो जाता है तो कान का पर्दा फट जाता है।

2- कान में किसी प्रकार की चांटा या फिर किसी आघात के कारण कान के पर्दे फटने की चांसेस होते हैं, और यदि कोई कान के बाल पर गिर जाता हैं तो इससे भी कान के पर्दे के चांसेस होते है।

3- अचानक से यदि आपके कान के पास जोर की आवाज होती है तो इससे कान के पर्दे फटने के चांसेस होते है।

कान का बहना अपने आप में एक गम्भीर, असाध्य और दुरारोग्य बीमारी होती है। बहुत ही कम लोग जानते है कि इसका पूर्ण आरोग्य (सफल एवं स्थायी इलाज) होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति के अन्तर्गत ही सम्भव है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि सही जानकारी का अभाव एवं होमियोपैथी के विषय में कुप्रचार मरीज होम्योपैथी को अपने लिये उपयुक्त चिकित्सा पद्धति (होमियोपैथी) को चुनने से वंचित कर देता है।

ऐसे बहुत से रोग ऐसे हैं जो अन्य चिकित्सा पद्धतियों द्वारा असाध्य माने जाते हैं या केवल सर्जिकल आपरेशन के द्वारा ही ठीक हो सकते हैं, परन्तु होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति में उकका सफल एवं स्थायी उपचार संभव है। होमियोपैथिक सिद्धान्त के अनुसार किसी रोग का दबाया जाना स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं होता है ।

ऐसे में यदि किसी का कान बह रहा है तो हमें किसी तेज दवा (Drop) डालकर उसको दबाया नहीं जाना चाहिये। हम देखते हैं कि यदि किसी तेज दवा से कान बहना बन्द हो जाता है तो कान कुछ भारी-भारी सा महसूस होने लगता है और इससे हमारी सुनने की क्षमता कम हो जाती है। जबकि होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति में किसी भी रोग को दबाया नहीं जाता बल्कि उसके लक्षणानुसार उसके लिए उपयुक्त दवा का चयन करके कान के मध्य भाग (Midile Ear) के घाव को समाप्त कर दिया जाता है, जिससे मरीज को पुनः स्वास्थ्य प्राप्त हो जाता है।

                                                               

घाव के भर जाने के बाद, कान का पर्दा नैसर्गिक रूप से तैयार हो जाता है और मरीज बहरा होने से भी बच जाता है। सामान्यतः लोगों की आम धारणा है कि होमियोपैथिक कुछ दवा देर से काम करती है, लेकिन यह एक गलत धारणा है जबकि सत्य यह है कि यदि हमारी दवा का चयन होमियोपैथिक सिद्धान्तों के अनुसार हुआ है तो होमियोपैथिक दवा से तेज एवं शीघ्र असर करने वाली दवा अभी तक किसी चिकित्सा पद्धति में बनी ही नहीं है।

कान का बहना यदि होमियोपैथिक दवा से ठीक हो सकता है तो आपरेशन की क्या आवश्यकता। जबकि कान के मामले में सामान्यतया आपरेशन असफल ही होता है। अतः हमें कान के ऑपरेशन से सदैव ही बचने का प्रयास करना चाहिए।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस प्रकार की कान की समस्या से ग्रस्त है, होम्योपैथिक उपचार उनकां बहुत कुशलता के साथ उपचार करते हैं। वयस्कों और बच्चों द्वारा कान की परेशानी का अनुभव किया जा सकता है, और होम्योपैथिक उपचार उन सभी के इलाज के लिए अच्छे माने जाते हैं।

कभी-कभी, कान की समस्या के परिणामस्वरूप, किसी मरीज को गंभीर दांतों की परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है। कान की परेशानियों के कुछ सबसे प्रमुख लक्षण कान संक्रमण, कान बजने, तीव्र दर्द और अन्य समस्याएं हैं।

आपको होम्योपैथिक का उपचार प्राप्त करने के लिए किसी होम्योपैथिक विशेषज्ञ से मिलना चाहिए, जो आपके संबंधित कान समस्या के उपचार के लिए सबसे अच्छा काम करता है।

होम्योपैथिक दवाएं जो कान की परेशानियों का इलाज करती हैं-

                                                                                 

1.   बेलाडोना: इस विशेष होम्योपैथिक दवा का उपयोग करके कान से सम्बन्धित तीव्र समस्याओं को आसानी से समाधान किया जा सकता है। रक्त वाहिकाओं को अत्यधिक संरक्षित किया जा सकता है, और दूसरी ओर कान के अवांछित लक्षणों से भी छुटकारा पाया जा सकता हैं, जिनमें दर्द, सूजन और अन्य समस्याएं शामिल होती हैं। इसके माध्यम से कानों को आवश्यक गर्मी प्रदान की जाती है, ताकि दर्दनाक परिस्थितियों से तत्काल राहत प्राप्त की जा सकें. स्थिति को खराब होने से रोकने के लिए इसे किसी भी समय लागू कर सकते हैं। 

2.   पल्सेटिलाः कान की कुछ विशेष समस्याएं होती हैं, जिन्हें केवल इस दवा के द्वारा कम किया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप उच्चतम उपचारात्मक शक्ति प्राप्त होती है जिसके परिणामस्वरूप ओटिटिस एक्स्टर्निया का प्रभावी ढंग से उपचार किया जा सकता है। सूजन, गर्म और लाल कान की समस्या केवल इस दवा से इलाज किया जाना चाहिए। दर्दनाक दर्द, गंभीर डार्टिंग और फाड़ना आदि इसके सबसे आम लक्षण हैं, जिन्हें संबंधित होम्योपैथिक दवा द्वारा अच्छी तरह से उपचार किया जा सकता है।

यदि मरीज को कान-खुजली की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, और वह किसी भी टूथपिक का उपयोग करने की सोच रहे हैं, तो यह बिल्कुल गलत हैं क्योंकि मरीज को इस समस्या के समाधान के लिए केवल इस दवा का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

3.   कैमोमिलाः इन्फैंटाइल कान के दर्द को इस होम्योपैथिक दवा का उपयोग करके राहत प्राप्त की जा सकती है। ऐसे कई लोग हैं जो अक्सर की कान विभिन्न प्रकार परेशानी का अनुभव करते हैं, विशेष रूप से ठंड के कारण। ऐसी समस्याओं के मामले में, होम्योपैथिक की यह दवा सबसे अच्छा विकल्प होती है. कान की नसों का उपचार भी इस दवा के साथ आसानी से किया जा सकता है।

4. एकोनाइटः अत्याधिक संवेदनशीलता, कानों में थ्रोबिंग वाले दर्द, डंक और अन्य असहनीय लक्षणों को आसानी से इस दवा को लागू करके इलाज किया जा सकता है। पल्सेटिला या कैमोमिला की तुलना में यह दवा अधिक बेहतर और प्रभावी होती है। अचानक तापमान में परिवर्तन के कारण, कान का दर्द शुरू हो सकता हैं और यदि उचित सावधानी पूर्वक उपाय नहीं किए जाते हैं तो यह दर्द काफी गंभीर भी हो सकता है। इस मामले में, सही आवेदन करने का समय पता होना चाहिए,. अन्यथा मरीज को आवश्यक परिणाम प्राप्त नहीं होंगे।

5. मर्क्यूरियस सॉल्यूबिलिस- जब मरीज को किसी संक्रमण के कारण कान से पस/मवाद निकलता हुआ दिखाई दे तो इसके उपचार के रूप में मर्क्यूरियस सॉल्यूबिलिस का सुझाव दिया जाता है। ज्यादातर रात के समय होने वाला चिपकने वाला दर्द और बाहरी नलिका में सूजन आदि लक्षण इस दवा का स्पष्ट संकेत देते है।

लेखक: मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवाए दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग.अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।