सदमें में आसमान

                                   सदमें में आसमान

उस रात हीरोशीमा/नागासाकी का आसमान सदमें में था ।

उस रात पड़ी थीं पिघली हुई-

तीन लाख चालीस हजार लाशें !

ढका हुआ था आसमान

मानव मांस की बू से

सदमें में था आसमान ।

उस रात की तैयारी में

न जाने कितने वर्षों से लगे थे-

खोजकर्ता

उस रात प्रशिक्षण का दिन था

उस रात सदमें में था आसमान ।

उस रात पानी के टैंकों में लाशें थी,

नदी में जली लाशें थी,

मकानों के मलबे तले;

कतरे-कतरे छिटकी हुई,

हर जगह लाशें थी-

और सदमें में था आसमान ।

उस शहर के अन्धेरे कोने में

स्तब्ध आकाश को-

एक नन्हीं बच्ची ताक रही थी

ठहरी पलकों के बावजूद

उस रात सदमें में था आसमान।

सौजन्य: डॉ0 आर. एस. सेंगर

प्रस्तुति: मुकेश शर्मा