परंपरिक ‘‘होम स्टे विलेज’’ के कारण रूकता पलायन

                   परंपरिक ‘‘होम स्टे विलेज’’ के कारण रूकता पलायन

                                                                                                                                                           डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

                                                        

    भारत में गाँवों से होने वाला पलायन अपने आप में एक बड़ी समस्या है, क्योंकि आय अर्जन के उद्देश्य से युचाओं के द्वारा शहरों की ओर रूख करने से गाँव के गाँ वीरान हो रहे हैं। इस समस्या के हल के लिए विभिन्न निजी संगठनों के माध्यम से की गई एक पहल अहम साबित हो रही है। इसी के परिणामस्वरूप उत्तरकाशी जिले का रैथल गाँव एक मॉडल बनकर उभरा है। इस गाँव में पारंपरिक होम स्टे योजना के माध्यम से आय सृजन कर पलायन को रोकने में काफी हद सफल सिद्व हो रही है।

    इस गाँव के 12 युवाओं के द्वारा इस योजना का आरम्भ की जिसने अन्य युवाओं को भी इसके लिए प्रेरित किया। इसका परिणाम यह हुआ कि अब इस गाँव में 20 से अधिक होम स्टे हैं और इनके माध्यम से युवा घर में रहकर ही 50 हजार रूपये तक आय का सृजन कर रहे हैं। इसके चलते अब यह गाँव अब होम स्टे विपेज के नाम से प्रसिद्व हो रहा है।

                                                                             

कंक्रीट के नही बल्कि अब हैं पर्वतीय शैली के घरः होम स्टे संचालक पृथ्वीराज सिंह राणा बताते हैं कि पारंपरिक पर्ववतीय शैली से निर्मित घरा में ठहरना और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद उठाना पर्यटकों को खूब रास आ रहा है। एमकॉम उत्तीर्ण पृथ्वीराज ने अपने पुस्तैनी घर को ही होम स्टे का रूप प्रदान किया है। तो वहीं एक अन्य युवा सुमित रतुड़ी भी बताते हैं कि होम स्टे से बेहतर कोई अन्य रोजगार हो ही नही सकता।

                                                                      

    ऐसे में यदि घर पुराना है तो इसके प्रति पर्यटकों का आकर्षण अपने आप ही बढ़ जाता है। इससे पेरित होकर गाँव के अन्य बेरोजगार युवा भी होम स्टे आरम्भ करने का विचार कर रहे हैं। गाँव निवासी सोबत सिंह राणा कहते हैं कि अब देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए पर्वतीय सँस्कृति, सभ्यता, खानपान आर रहन-सहन आदि से परिचित कराया जाता है और अतिथि देवो भव के भाव से पर्यटकों का सत्कार किया जाता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।