सर्दियों में अच्छी सेहत के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिए

             सर्दियों में अच्छी सेहत के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिए

                                                                                                                                                               डॉ दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

आजकल सार्दियां दिन प्रति दिन बढ़ती चली जा रही हैं और जैसे ही सर्दियां बढ़ती हैं लोग पानी पीना भी कम कर देते हैं जो कि अपने आप ठीक नहीं है। ठंड में पानी की प्यास भी कम लगती है पर इसका मतलब यह नहीं है कि शरीर को भी पानी की अब जरूरत नहीं है। पानी की कमी शरीर के हर अंग की कर क्षमता पर असर डालती है और इतना ही नहीं हमारे मूड एवं काम करने की क्षमता पर भी इसका सीधा असर पड़ता है।

                                                                         

जब शरीर में पानी की कमी होती है तो कोशिकाएं दिमाग को संकेत भेजती हैं, जिससे किडनी को खून से कम पानी निकालने का संदेश मिलता है। इसी कारण हमें पेशाब कम मात्रा, गाढ़ा और गहरे रंग का आने लगता है। खून को फिल्टर करने के लिए किडनी को पर्याप्त तरल पदार्थों की जरूरत होती है और ऐसे में पानी की कमी शरीर में विषाक्त तत्वों को बढ़ा देती है। जिसका असर शरीर के सभी अंगों की कर क्षमता पर पड़ता है और इससे शरीर का इलेक्ट्रोलाइट संतुलन भी गड़बड़ा जाता है।

हमारे शरीर में संक्रमण का एक प्रमुख कारण जीवाणु या वायरस होते हैं, परन्तु पानी की कमी होने से शरीर की रोगों से लड़ने वाली हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो जाती है जिसके कारण गले और यूटीआई के जैसे संक्रमणों की चपेट में आने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में गला खराब, खांसी व बुखार आदि के लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं, इसलिए सभी को पर्याप्त एवं संतुलित मात्रा में पानी का सेवन करते रहना चाहिए।

दिल के लिए भी जरूरी है पानी

                                                                      

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, दुनिया भर में ठंड में उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा और स्ट्रॉक आने के मामले बढ़ जाते हैं। चूँकि सर्दियों में रक्त गाढ़ा होने लगता है, जिससे दिल के पंपिंग सिस्टम पर दबाव बढ़ जा़ता है।

पानी पीते रहने से खून को पतला बनाए रखना और धमनियों में संकुचन की समस्या कुछ हद तक दूर रखने में मदद मिलती है, जो उच्च रक्तचाप के खतरे को कम रखता है एचए के अनुसार, ठंड में पर्याप्त पानी (लगभग दो से ढाई लीटर पानी, एवं दूसरे तरल पदार्थ जैसे सूप व जूस आदि के सहित) पीना अच्छा रहता है। ‘‘वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन’’ के अनुसार दिल की अच्छी सेहत के लिए शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी होता है, इससे सोडियम के स्तर को नियमित रखने में सहायता मिलती है जो कि हृदय रोगों के खतरे को कम करता है। खान-पान में नमक का सेवन कम से कम रखना चाहिए।

ध्यान देने योग्य तथ्य

हाई बीपी और हृदय रोगों से ग्रस्त मरीजों को ठंडी के मौसम में खाली पेट ठंडा पानी का सेवन बिल्कुल नही करना चाहिए। क्योंकि अधिक ठंडा पानी, ऐसे लोगों की धमनियों व नसों पर बुरा प्रभाव भी डाल सकता है। उच्च रक्तचाप व दिल के दौरे के जोखिम को दूर करने के लिए गुनगुने पानी का सेवन करें और डॉक्टर के द्वारा बताई गई दावाओं का समय के अनुसार ही सेवन करते रहना चाहिए।

शरीर के जोड़ों को भी चाहिए पर्याप्त नमी

                                                                 

पुराने जोड़ो और मांसपेशियों के दर्द से जुझने वाले लोगों की तकलीफे ठंड के दिनों में अधिक बढ़ जाती है और उस पर पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन न करने से जोड़ों में मौजूद फ्लुएड कम होने लगता है। ऐसे में जोड़ों के आपस में टकराने की आशंका बढ़ जाती है, जो दर्द व सूजन को बढ़ाती है। पर्याप्त पानी का सेवन नही करने से मांसपेशियों को जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स नहीं मिल पाते हैं जिससे उनमें दर्द और ऐंठन बढ़ जाती है।

इस दौरानं यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि केवल पानी पीने से ही जोड़ों के दर्द या गठिया की समस्या दूर नहीं हो जाएगी, परन्तु अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखकर इस समस्या को अधिक बढ़ाने से रोका जा सकता है। शरीर में सूजन व संक्रमण बढ़ने वाले विषैला तत्वों को पानी के माध्यम से शरीर से बाहर निकलने में मदद मिलती है।

ध्यान दें, कि गठिया एवं जोड़ों की अन्य समस्याओं से जुझ रहे लोगों को ठंडे पानी के स्थान पर गुनगुना व सामान तापमान के पानी का सेवन करना चाहिए। कुछ लोग हर समय बहुत तेज गर्म पानी पीते हैं ऐसा करना सही नहीं है।

वायुमार्ग को ठीक रखने में मिलती है सहायता

विभिन्न रोग जैसे कि दमा, क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), साइनोसाइटिस आदि की समस्याएं भी ठंड के मौसम में बढ़ जाती है। वातावरण में बढ़ा हुआ प्रदूषण, ठंडी एवं शुष्क हवाएं और तापमान में गिरावट का प्रभाव फेफड़े और उससे जुड़ी सांस नलियों पर भी पड़ता है और इससे वायु मार्ग संकीर्ण होने लगता है तथा इससे उत्पादित होने वाले बलगम की मात्रा बढ़ जाती है। घरघराहट व सांस फूलने जैसे लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं। पर्याप्त पानी का सेवन करने से नाक के श्लेष्मा को गाढ़ा होने से रोकने में मदद मिलती है। शरीर में पर्याप्त पानी की पूर्ति होने से गहरी सांस लेने में भी पर्याप्त मदद मिलती है।

इस पर भी ध्यान दें

सांस की तकलीफ या गले में टॉन्सिल आदि हैं तो ठंडा पानी के साथ-साथ अन्य ठंडे पेय तथा खाद्य पदार्थों से भी परहेज करना ही उचित रहता है। जबकि जूस आदि पेय पदार्थों की ठंडक दूर करके पीना ही बेहतर रहता है। ऐसे ठंडे तरल पदार्थ श्लेष्मा को अधिक गाढ़ा भी कर सकते हैं अतः इसके बचाव के लिए गुनगुने पानी का ही सेवन करना चाहिए। इनहेलर व दवा आदि को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही नियमित रूप से जरूर लेते रहें और धूम्रपान भी परहेज करें।

प्रोस्टेट किडनी का करता है बचाव

सर्दियों में प्रोस्टेट की समस्या से जूझ रहे लोगों को गर्मियों की तुलना में पेशाब अधिक आता है। इसका एक कारण यह भी है कि गर्मियों में जहां आमतौर पर लगभग 700 से 800 मिली पानी हमारे शरीर से पसीने के रूप में निकल जाता है, तो वहीं सर्दियों में पसीना कम निकलने के कारण यह अतिरिक् पानी भी पेशाब के द्वारा ही शरीर से बाहर निकलता है। ऐसे में यदि किसी को प्रोटेस्ट की समस्या है तो वह दिन में तो अधिक पानी का सेवन कर सकते है परन्तु शाम के बाद अपनी आवश्यकता के अनुसार पानी का सेवन करें।

यह अपने आप में सत्य है कि किडनी को अपने कार्यों को सुचारू रूप से करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की जरूरत होती है, परन्तु यदि किसी को किडनी की किसी तरह की समस्या है तो ऐसे मरीजों को अपने डॉक्टर के द्वारा बताई गई सीमा के अनुसार ही पानी का सेवन करना चाहिए। ऐसे लोगों का बार-बार और अधिक मात्रा में पानी का सेवन करने से अस्पताल जाने की नौबत को बढ़ा देता है। सामान्य स्थितियों में प्रातः काल खाली पेट गुनगुना पानी पीना और नियमित व्यायाम करना किडनी के विषाक्त तत्वों, आंत व मूत्र मार्ग के माध्यम से बाहर निकानले में मदद करता है।

कैसे पानी के क्या है फायदे होते हैं-

                                                                         

गुनगुना पानी

गुनगुना पानी हल्का और सुपाच्य होता है जो पाचक अग्नि को सशक्त बनाता है और ऐसा पानी पेट साफ करने में भी सहायक होता है। इसके साथ ही पाचन तंत्र के लिए भी अत्यंत लाभप्रद होता है। इससे भोजन के अवशोषण में मदद मिलती है और इससे कब्ज भी दूर होता है, परन्तु गुनगुने पानी का सेवन भोजन करने से एक घंटा पहले किया जाना चाहिए। खाली पेट गुनगुना पानी का सेवन कर सकते हैं अथवा खाने के बाद कुछ अंतराल के बाद गुनगुना पानी पिया जा सकता है।

गर्म पानी

तेज गर्म पानी कभी भी अधिक एक कप से अधिक ना पिए और ऐसे पानी को चाय की तरह घुट घुट कर पीना चाहिए। गर्म पानी शरीर के विषाक्त तत्वों को बाहर निकलता है। ऐसा पानी उनके लिए अच्छा रहता है जिनकी पाचन शक्ति कमजोर है और कफ दोष रहता है। जिन्हें कैफ प्रधान रोग जैसे नाक गले एवं फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं, मोटापे से ग्रस्त या जोड़ों में दर्द रहता है ऐसे लोगों को गर्म पानी पीना चाहिए। पानी में अदरक, जीरा वह सौंफ आदि को भी लिया जा सकता है। लेकिन हर समय तेज गर्म पानी या काढ़ा पीना कब्ज बढ़ा सकता है। इसे ध्यान में रखकर ही पानी को पीना चाहिए। भोजन करते हुए आधा कप गर्म पानी पीने से खाना जल्दी पच जाता है।

ठंडा पानी

सर्दियों में ठंडा पानी का सेवन करने से जठराग्नि या पाचक अग्नि को मंद या कमजोर करता है, इससे अपच, गैस, कब्ज और एसिडिटी आदि पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। सर्दियों में ठंडा पानी का सेवन करने से कफ व वात दोष का प्रकोप भी बढ़ता है। कफ दोष के कारण नाक, गला व फेफड़ों में बलगम जमा होने लगता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। सर्दियों में ठंडे पानी से जुकाम, खांसी और गले में खराश जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं और इन्हें ठीक होने में भी अधिक समय लगता है। केवल इतना ही नही वात दोष के कारण त्वचा में रूखापन, जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों में अकड़न का खतरा भी बढ़ जाता है, इसलिए ठंड के मौसम में ठंड़े पानी का सेवन करने से यथोचित बचना ही चाहिए।

इन बातों का रखें ख्याल

                                                             

  • पानी को जल्दबाजी में खड़े होकर या एक साथ बहुत सारा पीने से बचना चाहिए।
  • पानी ऐसे पीना चाहिए जैसे कोई ठोस चीज चबा रहे हैं, इससे पानी में मुंह में मौजूद लार एवं तमाम रस शरीर में पहुंच जाते हैं।
  • सुबह खाली पेट एक कप हल्के गर्म पानी में नींबू और शहद मिलाकर पीने से विषाक्त तत्व बाहर निकलते हैं और कब्ज में भी राहत मिलती है।
  • खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। ऐसा करने से इस स्थिति में शरीर के पाचक रस समुचित रूप से सक्रिय नहीं हो पाते हैं। अतः खाना खाने के 1 घंटे बाद ही खुलकर पानी पिएं तो आपके लिए अच्छा रहेगा।
  • अगर सेहत संबंधी कोई समस्या नहीं है तो ठंड में समान तापमान या गुनगुना पानी ही उचित है। हर समय तेज गर्म पानी या ठंडा पानी पीने से बचें। यदि आप गुनगुने पानी का सेवन करेंगे तो निश्चित रूप से आपको कई रोगों से निजात मिल सकती है।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ के मेडिकल ऑफिसर हैं।