दिल पर भारी पड़ सकती है, डायबिटीज की बीमारी

                दिल पर भारी पड़ सकती है, डायबिटीज की बीमारी

                                                                                                                                                           डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                              

हृदय रोग और डायबिटीज के बीच गहरा संबंध है। दोनों बीमारी बीपी, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे के बढ़ने के कारण से हो सकती है, इसलिए अगर समय रहते डायबिटीज को कंट्रोल नहीं किया जाता है, तो हार्ट डिसीज होना निश्चित है।

अनियंत्रित एवं 5 वर्षों से ऊपर डायबिटीज से दिल और दिमाग को खून की सप्लाई करने वाली नसों पर असर पड़ने लगता है, और वह संकरी/पतली हो जाती है। दिल तक खून पहुंचाने वाली नसों में खून का थक्का जमने से दिल का दौरा पड़ जाता है। अतः डायबिटीज रोगी में इसकी आंशका दोगुनी हो जोती है। डायबिटीज के कारण दिमाग की नसों को होने वाले नुकसान से स्ट्रोक/लकवा का खतरा बढ़ जाता है।

हृदय रोगों का तेजी से बढ़ना और उससे होने वाली मौतों के आंकड़ों को देखते हुए हृदय के प्रति गंभीर रवैया अपनाने की आवश्यकता है। इसके लिए जरूरी है कि हृदय के प्रति सावधानियां अपनायी जाएं और उनका सख्ती से पालन भी किया कुछ जाए।

ऐसे रखें अपने हृदय को स्वस्थ:-

                                                               

प्रतिदिन अन्य कार्यों की तरह ही व्यायाम के लिए भी समय आवश्यक रूप से निकालें। सुबह और शाम के समय पैदल टहलें। भोजन में नमक और वसा की मात्रा कम करें। ताजे फल और सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें। तनाव अधिक होने पर योगा व ध्यान आदि के माध्यम से इस पर नियंत्रण करें। धूम्रपान का सेवन बिल्कुल बंद कर दें।

यह हृदय के साथ ही कई बीमारियों का कारक है। डॉक्टर से नियमित जांच कराना भी न भूलें। दिल की बीमारियों की पहचान के लिए सालाना जांच जरूर कराएं।

हृदय रोगी ठण्ड़ी हवाओं में रखें अपने दिल का ख्याल

                                                                             

    आजकल की गलत जीवनशैली, गलत खान-पान, मोटापा, तनाव एवं विभिन्न प्रकार के नशे आदि के कारणों से दुनियाभर में बहुत से लोग विभिन्न गम्भीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं, जिनमें से कई बीमारियां जानलेवा भी होती हैं और ऐसी कुछ बीमारियों में से एक है दिल से सम्बन्धित बीमारीयाँ- जिनके चलते बहुत से लोगों की मौत भी हो जाती है।

पूर्व में जहाँ दिल से सम्बन्धित बीमारियाँ उम्रदराज लोगों में ही देखी जाती थी, परन्तु वर्तमान में हृदय संबंधी बीमारियाँ कम उम्र में भी होने लगी हैं। दिल सम्बन्धित बीमारियों के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से ही प्रतिवर्ष 29 सितम्बर को विश्व हृदय रोग दिवस के रूप में मनाया जाता है।

बदलते मौसम में सर्द और ठंडी हवाओं के कारण हृदय रोगियों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ठण्ड़ी हवाएं व्यक्ति के शरीर पर विभिन्न प्रकार से बुरा प्रभाव डालती हैं। जैसे रक्तचाप का बढ़ना, दिल की धड़कनों का बढ़ना और इसी के साथ हार्ट अटैक और पक्षाघात आदि हो जाते हैं।

हृदय रोगी पूरे वर्षभर तो स्वस्थ रहता है परन्तु सर्दियों का मौसम आते ही वह गम्भीर हो जाता है। अतः आन्नददायक सर्दियों का मौसम हृदय रोगी के द्वारा लापरवाही बरतने के कारण उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

                                                                   

हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्दियों के मौसम में हमारी रक्त वाहिकाएं बिलकुल सिकुड़ जाती हैं, जिसके कारण रक्त प्रवाह बहुत कम हो जाता है और रक्त प्रवाह के कम हो जाने के कारण हृदय रोगियों के लिए चुनौतिपूर्ण हो सकता है। अतः हृदय रोगियों को सलाह दी जाती है कि वे इस मौसम पूण सावधानियाँ बरतते हुए स्वस्थ रहें।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर हैं।