सवाल आपके और जवाब डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर के-

                                       सवाल आपके और जवाब डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर के-

सवालः डॉ0 साहब मेरी आयु 43 वर्ष है। मेरे गले और तालू में दाने निकल आए है। मै जब तक दवा खाता रहता हूँ तो यह समस्या ठीक रहती है परन्तु बाद में फिर से खराश होने लगती है, कृप्या इसका समाधान बताएं।

उत्तरः- आपकी इस समस्या जिसमें गले और तालू में दाने निकलते हैं, को युवला की सूजन कहते हैं। जबकि चिकित्सीय भाषा में में इसे युविलाइटिस कहते हैं। यह समस्या किसी एलर्जी या संक्रमण, किसी ट्रॉमा अथवा किसी डर के कारण हो सकती है। इसका प्रकोप अक्सर कम आयु में अधिक देखा जाता है, जिसका एक बड़ा कारण ठण्ड़ा पानी पीना, ठण्ड़ी वस्तुओं का सेवन करना, धूम्रपान या तेज मसालों से बना खाने का सेवन करना होता है। डॉक्टर्स लोग आमतौर पर इस समस्या के लिए एंटी एलर्जिक, एंटीबायोटिक या एंटी इरिटेंट मेडिसिन प्रेसक्राइब करते हैं।

     हालांकि इस समस्या का उपचार विभिन्न घरेलू चीजों के माध्यम से भी किया जा सकता है, जैसे धूम्रपान कम करें, धूंए आदि से बचाव रखें, पानी का अधिक मात्रा में सेवन कर गले को हाइड्रेट रखें। नमक के पानी के साथ गरारे करें और विशेष रूप से तुलसी के पत्ते युक्त चाय का सेवन रात्री के समय करे। ऐसा करने से आपकी इम्यूनिटी मजबूत होगी और गलें में सूजन नही होगी।

सवालः- डॉ0 साहब मुझे लगभग हर दो से चार में सिरदर्द होता रहता है और दवा का सेवन करने बाद भी 6 से 7 घंटे के बाद आराम आता है। अब तो कैई बार दवा खाने से भी आराम नही मिलता है और यह दर्द कभी-कभी गर्दन के पिछले हिस्से में भी होता है। कृपया बताएं कि इस दर्द का क्या कारण हो सकता है और इसके लिए कोई उपचार बताएं?

उत्तर- यदि किसी व्यक्ति के सिर में अक्सर दर्द रहता है और दवा का सेवन करने बाद भी घंटों के बाद आराम मिलता है और यह दर्द कभी-कभी गर्दन के पिछले हिस्सें में भी महसूस होता है तो इसे चिकित्सीय भाषा में सरवाइको जेनिक हेडेक बाला जाता है। यह एक ऐसा सिरदर्द होता है जो कि सिर को अधिक देर तक झुकाए रखने जैसे मोबाइल या लैपटॉप आदि का अधिक यूज करने, अथवा लम्बी ड्राइविंग के कारण हो सकता है। ऐसे में सिर से रीढ़ की हड्डी तक जाने वाली नसों पर दवाब बढ़ने लगता है और नसों में सुन्नपन बढ़ने के साथ ही दर्द भी बढ़ने लगता है।

     इसके समाधान के लिए आप किसी न्यूरोलॉजिस्ट से मिलें और उनके द्वारा दी गई दवाईयों का ही सेवन करें। इसके साथ ही आप व्यायामक करने के साथ ही साथ शरीर में विटामिन डी और विटामिन बी12 की नियमित जांच कराते रहें। इसके साथ ही आप अपनी दिनचर्या को अच्छा बनाएं और कार्य करते समय एवं अन्य उपकरणों का उपयोग करते समय अपने पॉस्चार को अच्छा बनाएं रखें। अपने सोने तथा खाने की आदतों में जरूरी बदलाव करें और किसी फिजियोथेरेपिस्ट से उचित व्यायाम करना सीखें।

सवालः- जब भी मै कोई छोटा या बड़ा काम करता हूँ या फिर कोई मौसम बदलता है तो मुझे सांस लेने में दिक्कत आती है। इसमें कैई बार तो सीटी सी बजने की आवाज भी आती है। इस समस्या के समाधान के लि मुझे क्या करना चाहिए?

उत्तरः- जो भी लक्षण आपने बताएं है वे सभी लक्षण एलर्जिक साइनोसाइटिस अथवा अस्थमा के लक्षण भी हो सकते हैं। सीटी के बजने के जैसी आवाज का आना जिसे वीजिंग भी कहते हैं, यह बचपन में भी देखी जा सकती है। यह अधिक वजन, एलर्जिक या फिर प्रदूषण के सम्पर्क में अधिक समय तक रहने वाले लोगों में अधिक देखी जाती है। इसके लिए डॉक्टर आको नेबुलाइजर, मेडिसिन, एंटी इन्फ्लेमेंटरी, एंटी-एलर्जिक और एंटी-अस्थमैटिक और ठनहेलर दे सकते हैं। इससे आपकी सांसा की नली खुली रहेगी और एलर्जन्स उस पर अटैक नही कर पाएंगे।

     इस समस्या के समाधान के लिए आप अधिक ठंड़ा, मीठा और तला या भुने खाने का सेवन कम सक कम करें। व्यायाम या कोई वर्कआउट करते समय इनहेलर सदैव अपने पास ही रखें। इसके लिए आप पल्मोनरी टेस्ट नियमित रूप से कराएं, इससे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी का तुरंत ही लगाया जा सकता है।   

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा, जिला अस्पताल मेरठ के मेडिकल ऑफिसर हैं।

 

                                       खराब नींद से महिलाओं में हाइपरटेंशन का जोखिम

                                                                                                                                                                 डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                                                       

एक नए शोध में दावा किया गया है कि जो महिलाएं पर्याप्त नींद नहीं ले पातीं है, उनमें हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम बढ़ सकता है। हाइपरटेंशन के चलते कई शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य जटिलताएं पैदा हो जाती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि रात में सात-आठ घंटे की नींद जरूरी है।

अमेरिका के ब्रिघम एंड वुमन हास्पिटल के अध्ययन का निष्कर्ष हाल ही में हाइपरटेंशन जर्नल में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में बताया गया कि सोने में कठिनाई महसूस करने वाली महिलाओं में औसतन बाडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) अधिक था, शारीरिक गतिविधि कम थी और आहार कम था।

ब्रिघम एंड हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के फेलो शहाब हघायेघ ने कहा कि अनिद्रा के लक्षण वाली महिलाओं को हाइपरटेंशन का जोखिम बढ़ने पर प्रीमेप्टिव स्क्रीनिंग से लाभ हो सकता है।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा, जिला अस्पताल मेरठ के मेडिकल ऑफिसर हैं।