डाटा सिक्योरिटी: ब्लूटूथ के उपयोग में सावधानी

                                  डाटा सिक्योरिटी: ब्लूटूथ के उपयोग में सावधानी

                                                                                                                                      डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

आजकल के दिनों ब्लूटूथ का उपयोग स्मार्टवाच, वायरलेस ईयरबड और स्पीकर के जैसे बहुत सारे गैजेट में किया जा रहा है। परन्तु अब वर्ष 2014 के बाद वाले ब्लूटूथ डिवाइस खतरे में हैं। यूरेकाम के सिक्योरिटी शोधकर्ताओं ने ब्लूटूथ सुरक्षा में कमियों का पता लगाया है, जो हैकर्स को डिवाइस को एक्सेस करने और मैन-इन-द- मिडिल अटैक की अनुमति प्रदान करती है।

डेनियल एंटोनियोली ने ‘ब्लफ्स’ (BLUFFS) नाम के छह नए अटैक्स का पता लगाया है। जिनमें से कुछ का उपयोग तो फाइलों के कंटेंट को डिक्रिप्ट करने के लिए भी किया जा सकता है।

विशेषरूप से जब यूजर डाटा भेज रहे होते हैं। ये खामियां किसी एक हार्डवेयर या साफ्टवेयर तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि यह आर्किटेक्चर के स्तर पर ब्लूटूथ को प्रभावित कर सकती हैं।

                                                       

ब्लीपिंग कंप्यूटर की रिपोर्ट बताती है कि ये खामियां ब्लूटूथ 4.2 वाले सभी डिवाइसेज को प्रभावित करती हैं, जो 2014 के अंत में जारी की गई थी। यह ब्लूटूथ 5.4 को भी प्रभावित करता है, जिसे इस साल की शुरुआत में पेश किया गया था।

इसमें एपल का एयरड्राप फीचर भी असुरक्षित है, क्योंकि यह ब्लूटूथ का उपयोग करता है। रिसर्च में कहा गया है कि सभी ब्लूटूथ इनेबल डिवाइस छह में से कम से कम तीन ब्लफ्स हमलों के प्रति संवेदनशील होते हैं।

                                                                       

क्या हो सकता है आपके साथ: ब्लूटूथ शेयरिंग को सीक्रेट कीज से सुरक्षित बनाया गया है, जो किसी डिवाइस के साथ पेयर करने में मदद करती हैं। हैकर्स डिक्रिप्शन से इन कीज को तोड़ सकते हैं। हैकर फाइल ट्रांसफर भी रोक सकता है और उस डाटा की एक कापी भी ले सकता है, जिसे आप अन्य डिवाइस के साथ साझा कर रहे होते हैं।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।