एआई चैटबाट के माध्यम से बदलती दुनिया

                                        एआई चैटबाट के माध्यम से बदलती दुनिया

                                                                                                                                                            डॉ0 आर. एस. सेंगर, एवं मुकेश शर्मा

आधुनिक तकनीकी युग में तीन बड़ी उपलब्धियां शामिल हैं, इनमें से पहली, नेटस्केप, जिसने दुनिया के सामने इंटरनेट पेश किया, दूसरी, फेसबुक, जिसने इंटरनेट को पर्सनल बना दिया और तीसरी, आइफोन, जिसने दुनिया को मोबाइल फोन की ताकत का अहसास कराया। पिछले वर्ष इन्हीं दिनों में जब ओपेनएआई ने चौटजीपीटी लांच किया, तो यह अनुमान भी नहीं था कि अगले मात्र पांच दिनों में 10 लाख यूजर इसकी बेशुमार खूबियों के कायल हो जाएंगे।

अगले 60 दिनों में इसके यूजर्स की संख्या एक करोड़ को भी पार कर गई। उसके बाद तो ये आंकड़े हर हफ्ते रिकार्ड बनाने लगे। यदि पीछे मुड़कर बीते 12 महीनों के इतिहास को देखें, तो एक बात स्पष्ट है कि यह इतिहास में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली कंप्यूटर टेक्नोलाजी है और लांच के बाद चौटजीपीटी ने टेक्नोलाजी इंडस्ट्री को काफी बदल दिया है। वर्तमान में जेनरेटिव एआई क्लाउड कंप्यूटिंग से लेकर कस्टमर सर्विस और फिल्म एडिटिंग, स्क्रीन प्ले राइटिंग से लेकर कोडिंग, कंप्यूटिंग तक को बदल रहा है।

दिन प्रति दिन बेहतर होती तकनीकः चैटजीपीटी की शुरुआत वेब आधारित और चैट केंद्रित इंटरफेस के रूप में हुई। फिर अतिरिक्त फीचर्स के साथ पेड वर्जन भी आ गया। वेब सचिंग, डाक्यूमेंट विश्लेषण और इमेज बनाने (डैल-ई 3) जैसी क्षमताएं जुड़ीं। इसमें स्पीच रिकग्निशन और टेक्स्ट इमेज की समझ को विकसित किया गया। ओपेनएआई ने चौटजीपीटी में सुनने, बोलने, देखने और प्रतिक्रिया देने जैसी क्षमताओं को जोड़कर इसे अधिक ताकतवर बना दिया है।

‘‘इंसानों की तरह जवाब देने में सक्षम एआई चैटबाट का आविष्कार सबसे अनोखी खोजों में से एक है, जिसके विकास का गवाह रहा है वर्ष 2023। पिछले एक वर्ष में एआई चैटबाट के विकास और उपयोगिता के साथ ही हम इस पर उठे सवालों पर चर्चा कर रहे हैं प्रस्तुत लेख में .....’’

विविध क्षेत्रों में एआई की बढ़ती संभावनाएं

                                                                        

एआई चैटबाट के लांच होने के बाद जिस तरह बदलावों का जो सिलसिला चल रहा है, उसे देखते हुए यह कहना आसान नहीं है कि आने वाले एक वर्ष में एआई की दुनिया कहां से कहां पहुंच जाएगी। इसमें निवेश करने वाली हर कंपनी हमारे जीवन में एआई की उपयोगिता बढ़ाने के लिए तत्पर है। एलएलएम (लार्ज लैंग्वेज माडल) की गति और दायरा बढ़ाने के साथ-साथ एआई चिप और एआई डाटा सेंटर जैसे आयामों पर भी फोकस बढ़ता ही जा रहा है। हाल में एआई गैजेट के रूप में जिस तरह ‘ह्यूमेन एआई पिन’ ने चर्चा बटोरी है, उससे स्मार्टफोन के बाद के दौर की कल्पना भी की जाने लगी है।

एआई का बढ़ता आकर्षणः चैटजीपीटी ने दुनिया की शीर्ष तकनीकी कंपनियों को एआई और मशीन लर्निंग में निवेश के लिए विवश कर दिया है। ओपेनएआई की सहयोगी व निवेशक रही माइक्रोसाफ्ट ने एआई पावर्ड बिंग व कोपायलट पेश किया, तो कई बुनियादी तकनीकों से दुनिया को परिचित कराने वाले गूगल ने चैटबाट बार्ड को लांच कर चौटजीपीटी से मुकाबले की कोशिश की। इस दौड़ में अमेजन व मेटा जैसी कंपनियां भी हैं।

वर्तमान में कोई इमेज या वीडियो तैयार करना हो, नोट टेकिंग एप्स की आवश्यकता हो, आडियो मिक्सिंग टूल खोज रहे हों या फिर मीटिंग, पुस्तक या कानूनी दस्तावेजों का सारांश तैयार करना चाहते हैं, तो कोई न कोई नया और बेहतर एआई टूल रोज तैयार हो रहा है। हालांकि यह तो समय ही तय करेगा कि यह बूम है या बबल, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि तकनीकी जगत इतने लंबे समय तक एआई जैसे किसी एक शब्द के मोहपाश में कभी नहीं रहा।

कुछ सवाल ऐसे भी रहे-

                                                                        

गलत सूचनाएं और भ्रमः एआई चैटबाट द्वारा जटिल और अनजान विषयों पर दी जाने वाली जानकारियों की सत्यता पर सवाल तो शुरू से ही उठ रहा है। इसके अलावा इसके दुष्प्रभावों को लेकर भी विशेषज्ञ आगाह करते रहे हैं।

एआई चैटबाट के नैतिक निहितार्थः एआई चैटबाट की जानकारियों की पारदर्शिता, पक्षपातपूर्ण और अपूर्ण या भ्रामक डाटा आदि के सम्बन्ध में अभी तक कोई पुख्ता समाधान नहीं मिल पाया है और इसके साथ ही नैतिकता से जुड़ी चिंताएं भी अनुत्तरित ही हैं।

शैक्षणिक प्रभावः सुरक्षा और सटीकता के चलते कई देशों में स्कूल और कालेजों में चैटबाट के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके समर्थन में विशेषज्ञों का मानना है कि यह छात्रों की सीखने की क्षमता और तार्किक सोच के विकास में भी बाधक बन सकता है।

                                                                         

नौकरियों पर खतरा: कार्यस्थलों पर जिस प्रकार से यह इंसानों की तुलना में कम समय में तेजी से काम करने और आटोमेशन में सक्षम है, उसके प्रभाव से विभिन्न प्रकार की नौकरियों के खत्म होने की आशंका भी जताई जा रही है।

प्रतिबंध की मांग: चैटबाट की संभावित गलतियों को देखते हुए दुनिया की विभिन्न कंपनियों के द्वारा इसके प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही डाटा कलेक्शन और निजता के हनन की आशंकाएं भी अभी तक निर्मूल नहीं हो पायी है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।