पेनक्रियाज ग्लैंड को कैसे रखें स्वस्थ

                                            पेनक्रियाज ग्लैंड को कैसे रखें स्वस्थ

                                                                                                                                                         डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                                                         

इंसुलिन नामक हार्मोन के बारे में तो लोग आमतौर पर जानते ही हैं, परन्तु यह हार्मोन  पेनक्रियाज अर्थात आमाश्य से स्रावित होता है। इसके बारे में जानकारी बहुत ही कम लोगों को होती है। हमारे शरीर में स्थित यह ग्रंथि पाचन तंत्र के क्रियाकलापों को एंजाइम्स के जरिए संचालित करने की एक जरूरी भूमिका निभाती है, इसे पैंक्रियाज का एग्जॉक्रिन फंक्शन कहते हैं। पैंक्रियाज का दूसरा कार्य है इंसुलिन हार्मोन के माध्यम से आपका ब्लड शुगर लेवल को काबू रखना होता है जिसे एंडोक्राइन फंक्शन कहा जाता है। इंसुलिन के कम मात्रा में स्रावित होने से शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है, जो कि कालांतर में डायबिटीज होने के खतरे में वृद्वि करा देती है।

पेनक्रियाज हार्मोन का क्या है महत्व

इंसुलिन पर्याप्त इंसुलिन के बगैर रक्त में शर्करा के स्तर को बढ़ता है, जो डायबिटीज को बुलावा देता है और यह हार्मोन पेनक्रियाज की बीटा कोशिकाओं में बनता है।

ग्लूकेगन, पेनक्रियाज की अल्फा कोशिकाओं से ग्लूकेगन नामक हार्मोन जारी होता है तो ब्लड शुगर काफी कम हो जाता है तो ग्लूकेगन लीवर में संचित शुगर को जारी करने का संदेश प्रेषित कर शुगर लेवल को बढ़ाने में मदद करता है।

एमाइलिंन

पेनक्रियाज की बीटा कोशिकाओं में बनने वाला यह हार्मोन भी शुगर कम करने में सहायक होता है।

क्या है पेनक्रिएटिक एंजाइम्स के कार्य

जब खाना पेट में पहुंचता है तो पेनक्रियाज में एंजाइम उत्पन्न होते हैं जिन्हें पेनक्रिएटिक जूस कहते हैं, जो खाना पचाने में मदद करते हैं।

प्रमुख एंजाइम हैः एमीलेस पेनक्रियाज से प्राप्त होने वाला यह एंजाइम, कार्बोहाइड्रेट्स युक्त चीजों को पचाता है।

लाइफ पेजः यह एंजाइम पाचन प्रक्रिया के दौरान आहार में बसायुक्त खाद्य पदार्थों को बचाता है। लिपसे कम होने पर आँते वसायुक्त खाद्य पदार्थ सहायता से ग्रहण नहीं कर पाती प्रोटीन या एंजाइम हाथों की क्षति पहुंचाने वाले जीवाणुओं से सुरक्षा करता है साथ ही पाचन के दौरान प्रोटीन युक्त खाने को तोड़ता है।

क्या कारण व समस्याएं होती हैं

द इंटरनेशनल फाउंडेशन का गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर्स के अनुसार पेनक्रियाज रोगों का एक बड़ा कारण खराब जीवन शैली है इससे क्यूट व क्रॉनिक पेनक्रिएटिक एवं पेनक्रिएटिक कैंसर जैसी समस्याएं सामने आती है। जंक फूड या वसायुक्त चीज शारीरिक सक्रियता को काम कर देती है। अधिक वजन धूम्रपान व लंबे समय तक शराब का सेवन पेनक्रियाज पर बुरा असर डालते हैं इसके अन्य कारण है उसमें वायरल संक्रमण हेपेटाइटिस ए ए का संक्रमण ऑटोइम्यून डिसऑर्डर और मंप्स आदि के कारण भी पेनक्रियाज विकारग्रस्त हो जा सकता है।

काफी दिन तक पित्त की पथरी का बने रहना भी कालांतर में पेनक्रियाज से संबंधित समस्या उत्पन्न कर सकता है। वहीं पेनक्रिएटिक कैंसर का एक मुख्य कारण जेनेटिक न्यूट्रिशन यानी व्यक्ति के जिन में आए बदलाव से हो जाता है।

इन लक्षणों पर रखें विशेष नजर

हाई ब्लड शुगर और पेनक्रियाज में खराबी

                                                           

अमेरिकन पेनक्रिएटिक संगठन के अनुसार अगर पेनक्रियाज में गड़बड़ी है तो ब्लड शुगर काफी बढ़ जाता है। शरीर में इंसुलिन कम या बिल्कुल न बनने के कारण ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।

पेट दर्द

अगर किसी को बार-बार अचानक पेट दर्द रहता है तो यह पेनक्रियाज में सूजन से हो सकता है।

पेट का फूलना

अगर खाना खाने के कुछ देर बाद पेट फूलने की समस्या होती है तो यह पाचक एंजाइम की कमी से हो सकता है। इससे खाद पदार्थ ढंग से पचते नहीं और बदहजमी होने लगती है।

वजन का घटते जाना

पेनक्रिएटिक सोसाइटी ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि पेनक्रियाज में गड़बड़ी से जब पेट ढंग से खाद्य पदार्थ अवशोषित नहीं करता तब पौष्टिक आहार करने के बावजूद वजन कम होने लगता है। पीड़ित को कमजोरी और थकान लगने लगती है।

जी मिचलाना उल्टी और दस्त की समस्या

खाने के बाद बाद जी मिचलाने या फिर उल्टी की समस्या रहती है तो इसका एक प्रमुख कारण है कि बसायुक्त चीजों को आप ढंग से बचा नहीं पा रहे हैं। अधिक बसायुक्त चीज खाने पर ऐसा अधिक होता है अक्षर दस्त रहना भी पेनक्रियाज की गड़बड़ी का संकेत हो सकता है, ऐसा एंजाइम की कमी के कारण होता है।

कुपोषण की समस्या

भोजन ढंग से नहीं पचने से शरीर में जरूरी विटामिन व मिनरल्स की कमी हो जाती है और कुपोषण की संख्या बढ़ जाती है।

पीलिया होना

जब पेनक्रियाज विकारग्रस्त होता है तो व्यक्ति बार-बार पीलिया ग्रस्त हो जा सकता है यदि बार-बार पीलिया हो रहा है तो समझे कि आपका पेनक्रियाज ठीक से कार्य नहीं कर रहा है।

क्या करें उपचार

पेनक्रियाज में सूजन कम करने के लिए दवाई दी जाती है। एक्यूट पेनक्रिएटिक का कारण वायरस और हेपेटाइटिस ए वी आई का संक्रमण भी हो सकता है। इसके लिए एंटीबायोटिक इंट्रावेनस फ्रूट्स और लक्षणों के आधार पर जैसे पेट दर्द उल्टी व अन्य समस्याओं की दवाई दी जाती है।

क्रॉनिक पेनक्रिएटिक के कारण अत्यधिक मात्रा में अल्कोहल लेना और धुप्पन करना है, जिससे पेनक्रियाज में सूजन बराबर रहती है। कुछ अज्ञात कर्म से भी ऐसा हो सकता है लक्षणों के आधार पर एंजाइम्स व एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में पहुंच जाते हैं। क्रॉनिक पेनक्रिएटिक वालों को कम वसायुक्त चीज खानी चाहिए ज्यादा देर खाली पेट नहीं रहना चाहिए। कैंसर की स्थिति में लक्षण व गंभीरता के आधार पर कीमत हैप्पी सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी से उपचार किया जाता है।

पेनक्रियाज को स्वस्थ रखने के लिए इन बातों का रखें ख्याल

                                                       

मोटापे पर करें नियंत्रण

वार्ड ओबेसिटी फेडरेशन के एक अध्ययन के अनुसार जो लोग मोटापे से ग्रसित हैं या जिनका वजन अधिक है वह अगर अपने कुल वजन का 7 से 10% वजन कम कर लेते हैं तो इस स्थिति में पेनक्रियाज में होने वाली गड़बड़ियों को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। जिस तरह से लीवर के ऊपरी भाग पर बस संचित हो जाती है। ठीक उसी प्रकार मोटापे के परिणाम स्वरुप पेनक्रियाज पर भी अतिरिक्त बस संचित हो जाती है। यह स्थिति पेनक्रियाज को की कर प्रणाली में बाधक है, वजन कम रखने के लिए व्यायाम व खानपान पर ध्यान देना चाहिए।

ब्लड शुगर को रख नियंत्रित

इंसुलिन के पर्याप्त मात्रा में ना बने या फिर बिल्कुल न बनने के कारण ब्लड शुगर बढ़ जाती है। इंसुलिन की प्रक्रिया सही रहे इसके लिए नियमित व्यायाम करें फाइबर युक्त चीज अधिक मात्रा में खाएं पर्याप्त मात्रा में पानी को पीट रहे एक साथ अधिक मात्रा में खाने से बचें तनाव मुक्त रहें वह अच्छी नींद ले।

चिकनाई आर्टिफिशियल स्वीटनर्स से बनाई दूरी

विख्यात मेडिकल जनरल थे लीजेंड में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार जंक फूड्स का अधिक मात्रा में सेवन नुकसानदेह होता है। साथ ही अत्यधिक चिकनाई युक्त खाद पदार्थ से जहां तक संभव हो परहेज करना पेनक्रियाज की सेहत के लिए लाभप्रद रहता है। चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थों को बचाने के लिए पेनक्रियाज पर अधिक दबाव पड़ता है।

आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां मौसमी ताजी फल सलाद एवं रेशेदार खाद्य पदार्थ या फाइबर्स को वरीयता देनी चाहिए। खान-पान में नेचुरल मिठास जैसे खजूर, शहद और गुड़ आदि शामिल करें। डिब्बा बंद चीजों में मीठा अधिक होता है शुगर फ्री का मतलब यह नहीं है कि अमुक खाद्य पदार्थ कैलोरी फ्री भी हो इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।

धूम्रपान एवं शराब से रखें परहेज

जिन लोगों का पेनक्रियाज सही से कार्य नहीं कर रहा है उनको शराब एवं धूम्रपान से दूर रहना चाहिए। अमेरिकन पेनक्रिएटिक संगठन के अनुसार पेनक्रियाज में सूजन से बचाव के लिए यदि शराब और धूम्रपान से दूर रहा जाए तो इसमें सुधार हो सकता है। लंबे समय तक इसका सेवन क्रॉनिक पेनक्रिएटिक बन सकता है।

ब्लड शुगर की नियमित कर जांच

  • अगर कोई समस्या नहीं है तो भी 40 के बाद साल में एक बार ब्लड शुगर की जांच करते रहे।
  • खाने में शामिल करें हर पत्तेदार एवं रेशेदार सब्जियां।

लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ के मेडिकल ऑफिसर हैं।