अलनीनो के कारण भारत में इस बार मानसून की कम हो सकती है बारिश

जून और जुलाई के महीनों में किसानों को बेसब्री से मानसून की वर्षा का इंतजार रहता है जिसके कारण भारत में अधिकतर क्षेत्रों में वर्षा आधारित खेती अभी भी की जाती है क्योंकि खरीफ की फसल के लिए बारिश की बहुत जरूरत होती है यदि कम वर्षा होती है तो किसान अपने खेत की बुवाई नहीं कर पाते जिसके चलते परेशानी बढ़ती है यदि वह नलकूपों से सिंचाई करते हैं तो उनकी लागत में बढ़ोतरी हो जाती है जो किसानों के लिए काफी कष्टदायक साबित होती है लेकिन इस बार अल नीनो से भारत के मानसून पर खतरा है इससे सामान्य से कम बारिश होगी यह जून से अगस्त के बीच सक्रिय हो सकता है अमेरिका की मौसम विभाग राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन no1 ने भारत को दोबारा जताते हुए यह रिपोर्ट जारी की है रिपोर्ट में इस अवधि के दौरान अलनीनो की स्थिति बनने का अनुमान 0\% और सामान स्थिति बनने का अनुमान 7% बताया गया है

 

एनआईए ने कहा कि भारत में अलनीनो का सीधा असर मानसून की बारिश पर पड़ेगा प्राप्त हो रही रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिकी मौसम एजेंसी की ओर से लगातार दूसरे महीने अलनीनो को लेकर यह अनुमान लगाया गया है इससे पहले जनवरी में भी एजेंसी की ओर से इसी तरह का अनुमान जताया गया था इसलिए ऐसी फसलों का चुनाव अभी से किसानों को करना चाहिए जो कम पानी में अच्छा उत्पादन दे सके या फिर ऐसी फसलें चुने जिसमें कम पानी की आवश्यकता होती है यदि समय से चुनाव करके खेती करेंगे तो उनका उत्पादन प्रभावित नहीं होगा और उनको अच्छी कीमत भी मिल सकती है जहां पर सिंचाई की सुविधाएं अच्छी नहीं है वहां के किसानों को कम पानी में उत्पादन देने वाली प्रजातियों का चुनाव करके और उनके बीज की व्यवस्था कर लेनी चाहिए.