खाद्यान्न में मिलावट का अभिशाप

                                                 खाद्यान्न में मिलावट का अभिशाप

                                                                                                                                          डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं मुकेश शर्मा

‘‘सामान्य रूप से बाजार में उपलब्ध सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों में मिलावट होने का संशय बना ही रहता है। दालें, अनाज, दूध, मसाले, घी से लेकर सब्जी एवं फल तक कोई भी खाद्य पदार्थ मिलावट के जहर से मुक्त नही है। वर्तमान में मिलावट का सर्वाधिक कुप्रभाव हमारे दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली आवश्यकताओं की वस्तुओं पर भी पड़ रहा है। शरीर के पोषण के लिए हमें प्रतिदिन खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रट्स, विटामिन एवं खनिज लवण आदि को प्रतिदिन के आहार में शामिल करना आवश्यक है और इन सभी पोषक तत्वों को एक संतुलित आहार से ही प्राप्त किये जा सकते हैं। यह तब ही सम्भव है, जब बाजार में मिलने वाली खाद्य सामगी, दालें, अनाज, दुग्ध उत्पाद, मसाले एवं तेल आदि सब मिलावट रहित हों। खाद्य-पदार्थों में मिलावब् करने से उनकी गुणवत्ता भी काफी कम हो जाती है। खाद्य-पदार्थों में सस्ते रंजक इत्यादि पदार्थों की मिलावट करने से वह उत्पाद बाहरी रूप से तो आकर्षक दिखाई देने लगता है, परन्तु इससे उसकी पोषकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसके चतले यह पदार्थ मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी होते हैं।’’

सामान्यतया जब किसी भी खाद्य पदार्थ में किसी बहरी तत्व मिला दिया जाता है अथवा उसमें से कोई मूल्यवान पोषक तत्व निकाल लिया जाता है या भोज्य पदार्थों को अनुचित तरीके से संग्रहीत किया जाये तो उसकी गुणवत्ता में कमी आ जाती है। इसी कारण से उस खाद्य पदार्थ को मिलावट युक्त खाद्य पदार्थ का दर्जा दिया जाता है।

भारत सरकार द्वारा खाद्य सामग्री या भोज्य में मिलावट की रोकथाम तथा उपभोक्ताओं को शुद्व खाद्य पदार्थों की आपूर्ति संनिश्चित् करना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का उत्तरदायित्व है। इसको ध्यान में रखते हुए उपरोक्त ‘खाद्य अपमिश्रण’ रोकथाम अधिनियम बनाया गया, जिसके मुख्य उद्देश्य हैः

  • जहरीले एवं हानिकारक खाद्य पदार्थों से जनता की रक्षा करना
  • घटिया खाद्य पदार्थों की बिक्री की रोकथाम
  • धोखाधड़ी प्रथा को नष्ट कर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना

अपमिश्रित खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले उनके दुष्प्रभाव

     खाद्य अपमिश्रण मूल खाद्य पदार्थ एवं मिलावटी खाद्य पदार्थ में अन्तर कर पाना एक दुष्कर कार्य होता है। अपमिश्रित खाद्य पदार्थ का उपयोग करने से हमारे शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा शरीर में विकार उत्पन्न होने की आशंका बढ़ जाती है।

खाद्य अपमिश्रण के द्वारा आँखों की रोशनी का जाना, हृदय से सम्बधित रोग, लीवर में विकार आना, कुष्ठ रोग, आहार तंत्र के रोग, पक्षाघात तथा कैंसर जैसे भयानक रोगों से गस्त हो जाने का खतरा बढ़ जाता हैं अनेक स्वार्थी उत्पादक एवं व्यापारी कम समय में अधिक लाभ कमाने के लिए खाद्य सामग्रियों में विभिन्न प्रकार के सस्ते घटकों की मिलावट करते हैं, जो कि हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव डालते हैं। सामान्यतः दैनिक उपभोग की जाने वाली खाद्य सामग्रियाँ जेसे दूध, छाछ, शहद, मसाले, घी, तेल, चाय-कॉफी, खोया और आटा आदि में अनेक प्रकार की मिलावटें की जा सकती हैं।

प्रद्वत सारणी-1 में विभिन्न खाद्य-पदार्थों में सम्भाविम मिलावटी पदार्थ और उनसे होने वाले रोगों के नाम वर्णित किए जा रहे हैं।

भोज्य पदार्थों में अपमिश्रण की जाँच

व्यावहारिक रूप से खाद्य सामग्रियों में अपमिश्रण की जाँच, केन्द्रीय खाद्य ‘प्रयोगशालाओं’ में की जाती है। खाद्य अपमिश्रण के परीक्ष्ण के लिए मैसूर, पुणे, गाजियाबाद तथा कोलकाता में भारत सरकार के द्वारा चार केन्द्रीय प्रयोगशालाएं व्यवस्थित रूप से स्थापित की गई हैंः

  • केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, मैसूर, कर्नाटक-570013 के अन्तर्गत क्षेत्र आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिनाडु, लक्ष्यद्वीप एवं पुडुचेरी आदि।
  • केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, पुणे, महाराष्ट्र-400001 के अन्तर्गत क्षेत्र गुजरात, मध्य प्रदेश, दादर नगर हवेली, गोवा, दमन एवं दियू आदि।
  • केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, गाजियाबाद,-2011001, उत्तर प्रदेश के अन्तर्गत क्षेत्र, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मु-कश्मीर, पंजाब, राजस्थन, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड़, चण्ड़ीगढ़ एवं दिल्ली आदि।
  • केन्द्रीया खाद्य प्रयोगशाला, काोलकाता-700016, पश्चिम बंगाल के अन्तर्गत क्षेत्र, असोम, बिहार, मणिपुर, मेघालय, नागालैण्ड़, ओडिशा, त्रिपुरा, अण्ड़मान एवं निकोबार द्वीप समूह, अरूणाचल प्रदेश एवं मिजोरम इत्यादि।

सारणी-1: मिलावटी खाद्य पदार्थों के कारण होने वाले रोग

क्र0सं0

खाद्य समाग्री

मिलावटी तत्व

शरीर पर दुष्प्रभाव

1.

खाद्यान्न/दालें/गुड़/मसालें

कंकड़, पत्थर, मिट्टी, रेत एवं बुरादा

पेट से सम्बन्धित रोग तथा आहार तंत्र के रोग।

2.

सरसों का तेल

आर्जिमोन तेल

आँखों की रोशनी का जाना, हृदय सम्बन्धित रोग, एपिडेमिक ड्रॉप्सी (अनियंत्रित ज्वर एवं आहा तंत्र प्रभावित)।

3.

चना/अरहर की दाल/बेसन

खेसरी दाल

लकवा एवं कुष्ठ रोग, जल शोथ एवं लेथारस रोग।

4.

बेसन/हत्दी

पीला रंग (मेटानिल)

प्रजनन तंत्र, पाचन तंत्र, यकृत एवं गुर्दे प्रभावित।

5.

बादाम का तेल

मिनरल तेल

यकृत सम्बन्धित रोग एवं कैंसर।

6.

समस्त भोज्य पदार्थ

कीटनाशक अवयव

शरीर के प्रमुख अंगों का निष्क्रिय होना, भोज्य पदार्थों की विषाक्तता।

7.

दालें

टेलकम पाउडर एवं एस्बेस्टस पाउडर

पाचन तंत्र प्रभावित तथा गुर्दे की पथरी की आशंका।

8.

लाल मिर्च

रोड़ामाइन-बी

यकृत, गुर्दे तथा तिल्ली प्रभावित होना।

9.

हल्दी

सिन्दूर (लैड क्रोमेट)

एनीमिया (रक्त अल्पता), अँधापन एवं गर्भपात।

10.

पेय-पदार्थ

निषिद्व रंग एवं रंजक

यकृत सम्बन्धित रोग, रक्त अल्पता एवं कैंसर।

11.

वर्क

ऐल्युमिनियम

पेट से सम्बन्धित रोग।

12.

चाय पत्ती एवं कॉफी

लौह चूर्ण/रंग

आहार तंत्र एवं पाचन तंत्र प्रभावित।

खाद्य मिलावट अधिनियम

     इस अधिनियम के अन्तर्गत मिलावटयुक्त भोज्य पदार्थों को अपमिश्रित माना जाता है ओर निम्नवत् भोज्य पदार्थों को मिलावट युक्त होंगे-

  • यदि दुकानदार, ग्राहक की माँग के अनुसार गुणवत्ता युक्त भोज्य पदार्थ देने में सक्षम नही है।
  • किसी खाद्य पदार्थ में उसके अभिन्न पदार्थों के अतिरक्त किसी अन्य पदार्थ की उपस्थिति उस खाद्य सामग्री को मिलावट युक्त बना देती है। इसके अतिरिक्त मानक स्तर से कम स्तर वाला भोज्य पदार्थ भी अपमिश्रित माना जाता हैं।
  • किसी खाद्य सामग्री में कोई अवयव अथवा पदार्थ को इस प्रकार से संशोधित किया गया हो, जिससे मूल पदार्थ की संचना, प्रकार तथा गुणवत्ता आदि के स्तर पर इस प्रकार के बदलाव आ जायें जो कि शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
  • भोज्य पदार्थ से कोई अवयव या पदार्थ पुर्ण रूप से या आंशिक रूप से निकाल लिया गया हो।
  • अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में तैयार, पैक एवं अनुचित तरीके से संग्रहीत भोज्य पदार्थो को भी मिलावट युक्त ही कहा जायेगा।
  • यदि भोज्य पदार्थ पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से गंदा, दुर्गन्धयुक्त, सड़ा हुआ या रोगग्रस्त प्राणी अथवा वनस्पति से प्रात किया गया हो अथवा वह खाद्य सामग्री कीड़ों आदि से संक्रमित हो तो उसे मानव उपयोग के लिए अपमिश्रित माना जाता है।
  • यदि आदेशित मानक रंजक कं अतिरिक्त कोई अन्य रंजक पदार्थ अथवा आदेशित सीमा से भिन्न मात्रा उक्त खाद्य पदार्थ में उपलब्ध हो तो उसे अपमिश्रित माना जाता है।
  • यदि किसी खाद्य सामग्री में प्रतिबन्धित संरक्षक पदार्थ मिला हो या आदेशित रंजक एवं संरक्षक पदार्थ का मानकों से अधिक प्रयोग किया गया हो।

खाद्य पदार्थों में मिलावट की जाँच के लिए इन केन्द्रीय प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त राज्य सरकार के खाद्य खाद्य निरीक्षक, भोज्य पदार्थों के नमूने को सरकारी/लोक विश्लेषक के पास भेजते हैं। एक गृहणी प्रत्येक खाद्य पदार्थ को परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में जाँच के लिए नही भेज सकती। अतः यह आवश्यक है कि गृहणियों को मुख्य खाद्य पदार्थों में की जाने वाली मिलावट का अनुमान अवश्य हो। खाद्य अपमिश्रण की जाँच के कुछ सरल एवं घेरलू परीक्षध, जिनके द्वारा कोई भी उपभोक्ता आसानी से उनकी शुद्वता की जाँच कर सकता है, का संक्षिप्त विवरण सारणी-2 में दर्शाया गया हैः-

सारणी-2: विभिन्न खाद्य-पदार्थों में मिलावट किये जाने वाले पदार्थ एवं उनकी जाँच

क्र0सं0

खाद्य पदार्थ का नाम

मिलावटी तत्व

अपमिश्रण की जाँच एवं परिणाम

1.

दूध

पानी, स्टार्च, वाशिंग पाउडर एवं यूरिया

1. दूध में पानी के मिलावट की जाँच लैक्टोमीटर के द्वारा की जाती है इसकी रीडिंग 28 से 34 होनी चाहिए। यदि इसकी रीडिंग 28 से कम है तो पानी की मिलावट प्रमाणित हो जाती है। 2. दूध की एक बूँद को पॉलिश की उर्ध्वाधर सतह पर रखने से शुद्व दूध मंद गति के साथ बहता है और एक सफेद निशान छोड़ जाता हैं, जबकि पानी मिला हुआ दूध बिना कोई निशान छोड़ें हुए तेजी के साथ बह जाता है। 3. कमलावट करने वाले लैक्टोमीटर की रीडिंग बढ़ाने के लिए चीनी तथा स्टार्च आदि को मिला देते हैं। इसकी जाँच के लिए दूध में आयोडीन को मिलाकर गर्म करें, यदि दूध का रंग नीला हो जाता है तो इसका अर्थ है कि दूध में स्टार्च उपरिस्थत है। 4. दूध में यूरिया की मिलावट की पहिचान के लिए एक परीक्षण ट्यूब में 5 मि. मी. दूध में दो बूँद ब्रोमोथाइमोल/ अल्कोहॉल मिलाएं दूध का रंग दस मिनट के बाद नीला हो जााये तो इसका अर्थ है कि दूध में यूरिया की मिलावट है।

 

2.

सरसों के बीज

आर्मिजोन

आर्जीमोन के बीज की सतह खुरदरी होती है। सरसों के बीज को दबाकर देखने से पता चलता है कि यह बीच में से पीला होता है, जबकि आर्जीमोन के बीज का रंग अन्दर से सफेद होता है।

3.

सरसों का तेल

आर्मिजोन के बीज

नमूनें में साँद्र नाइट्रिक अम्ल मिलाकर मिश्रण को हिलाएं। थोड़ी देर के बाद एसिड की लाल परत में लाल-भूरे रंग की परत दिखाई दे तो यह आर्जिमोन की मिलावट होने का सकेत होता है। 

4.

आइसक्रीम

वाशिंग पाउडर

आइसक्रीम में नींबू के रस की कुछ बूँदें डालने पर यदि बुलबुले बनते हैं तो यह वाशिंग पाउडर मिलाने के संकेत हैं।

5.

चाँदी का वर्क

एल्युमीनियम

चाँदी के वर्क में एल्यूमीनियम के मिलावट की जाँच आसानी से की जा सकती है, क्योंकि चाँदी के वर्क को जलाने पर वह एक छोटी सी गेंद के रूप् में आ जाता है, जबकि मिलावट वाले चाँदी के वर्क का रंग गहरे ग्रे रेग का अवशेष बचता है।

6.

चाय की पत्ती

रंगीन पत्ते, लोहा फिलिंग रंग

1. चाय की पत्ती को सफेद कागल पर रगड़ने से रंग के निशान कागज पर आ जाते हैं। 2. चाय पत्ती के नमूनें के ऊपर चुम्बक को फिराने से लौह-अस्यक उसके साथ चिपक जाते हें। 3. चायपत्ती की शुद्वता की जाँच के लिए किसी चीनी मिट्टी के बर्तन या शीशे की प्लेट पर नींबू का रस डालकर उसके ऊपर चाय की पत्ती का बुरादा डाल दें। यदि नींबू के रस का रंग नारंगी अथवा किसी अन्य रंग को हो जाता है तो इससे मिलावट सिद्व होती है। इसके विपरीत यदि चाय की पत्ती मिलावअ रहित है तो इसका रंग हरा-पीला होगा।

7.

शहद

चीनी पानी (चाशनी)

एक रूइ्र के फाहे को शहद में डुबोर उसे माचिस की तिल्ली से जलाएं। अब यदि शहद असली है तो रूई का फाहा जल उठेगा और यदि शहद अपमिश्रित है तो यह नही जलेगा।

8.

कॉफी

खजूर/ईमली के बीज, चिकोरी पाउडर

कॉली पाउडर को गीले ब्लॉटिंग पेपर पर छि़कें। इसके ऊपर पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड की कुठ बूँदें डाल दें। यदि कॉफी के आसपास का रंग भूरा हो जाए तो समझें कि कॉफी अपमिश्रित है।

9.

लाल मिर्च पाउडर

रोडमाइन कल्चर, ईंट पाउडर एवं रंग

एक परीक्षण ट्यूब में 2 ग्राम लाल मिर्च पाउडर का नमूना लें और इसमें 5 मि.मी. एसीटोन डालें इसमें तत्काल काल रंग का आना यह दर्शाता है कि इसमें रोडमाइन का मिश्रण हैं। 2. नमूने को पानी में डालने के बाद ईंट पाउडर पानी के तले में एकत्र हो जाता है। 3. एक चम्मच मिर्च के पाउडर को पानी भरे ग्लास में डालें, यदि पानी रंगीन हो जाता है तो यह सिद्व करता है यह पाउडर मिलावटी है।

10.

हल्दी पाउडर

रंग (मेटानिल पीला रंग)

एक चम्मच हल्दी पाउडर को एक परखनली में डालकर उसमें साँद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूँदों को डालें, मिश्रण का रंग बैंगनी हो जाता है और पानी डालने पर यह रंग गायब हो जाता है तो हल्दी असली है, और यदि यह रंग बना रहता है तो यह संकेत है कि हल्दी अपमिश्रित है।

11.

चने/अरहर की दाल

खेसरी दाल/मेटानिल पीला रंग

दाल को एक परखनली में डालकर उसमें पानी डालें तथा हल्के हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूँूदें डालकर हिलाने पर यदि मिश्रण का रंग गहरा हो जात है तो यह संकेत होता हे कि दाल को पीले मेटालिक रंग से रंगा गया है। इसी प्रकार खेसरी दाल का परीक्षण, इस दाल कध्यानपूर्वक देखकर किया जा सकता है। खेसरी दाल हल्के पीले रंग और हरे रंग मिश्रित रंग की होती है और इसमें अरहर की दाल की अपेक्षा चिकनापन भी अधिक होता है।

12.

केसर

असली और नकली

केसर में किसी प्रकार की कोई लिावट नही की जा सकती अपितु पूरी केसर को ही बदल दिया जाता है, और नकली तथा असली केसर की पहिचान बहुत आसानी के साथ कि जा सकती है। नकली केसर को मकई की बाली को सुखाकर, चीनी मिलाकर कोलतार डाई से बनाया जाता है। नकली केसर पानी में डालग छोड़ देता है, जबकि असली केसर को पानी में घण्टों रखने के बाद उस पर को फर्क नही पड़ता है। 

13.

शुद्व घी व मक्खन

वनस्पति घी

एक परखनली में पिघला हुआ घी अथवा मक्खन तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को बराबर मात्रा में डालें और एक चुटकी चीनी इसमें डालने पर इसमें यदि लाल रंग की परत दिखाई दे तो यह संकेत होता है कि यह अपमिश्रित हैं

14.

काली मिर्च

पपीते के सूखे बीज

पपीते के बीज हल्के हरे एवं भूरे रंग के होते हैं, जबकि कालीमिर्च का रंग गहरा काला होता है। परीक्ष्ण के लिए काली मिर्च को पानी में डाल दें इससे पपीते के बीज पानी में तैरने लगते है जबकि काली मिर्च डूब जाती है।

15.

साधारण नमक

चॉक पाउडर

एक चम्मच नमक को पानी में घोलने पर असकी सारी अशुद्वियाँ लती में एकत्र हो जाती है।

16.

हींग

मिट्टी एवं रेत

हींग को पानी में डालने पर उस लगे मिट्टी एवं रेत बरतन की तली में चिपक जाते हैं। शुद्व हींग को लौ पर जलाने से लौ अधिक चमकीली हो जाती है। हींग को स्वच्छ पानी में धोने पर पानी का रंग सफेद दूधिया हो जाता है तो यह संकेत है कि हींग शुद्व है।

17.

नारियल का तेल

खनिज तेल

नरियल के तेल को ठण्ड़ा करने पर वह जम जाता है और खनिज तेल उसकी ऊपरी सतह पर तैरने लगता है।

18.

जीरा

घास के बीज (काले रंगे हुए)

नमूनें को दोनों हथेलियों के मध्य रगड़ने से हथेलियाँ काली रंग की हो जाती हैं तो यह जीरा के अपमिश्रित होने की ओर सकंेत करता है।

19.

चीनी का बूरा

चॉक पाउडर

नमूनें को एक गिलास पानी में मिलाने से इसमें मिला चॉक पाउडर पात्र के तलें में एकत्र हो जाता है।

20.

चावल

रंग

चावल में मिलावट की जाँच करने के लिए थोड़े से चावलों को दोनों हाथों के बीच में रखकर रगड़ें यदि चावल अपमिश्रित हैं तो हाथों में पीला रेग लग जायेगा। चावलों को पानी में भिगोएं और उसमें साँद्र हाइड्रोक्लोरिक की कुछ बूँदे डालें। इसमें बैंगनी रंग की उपस्थिति पीले रंग की मिलावट को प्रदर्शित करती है।

 

ध्यान रखने योग तथ्य

     महिलाएं हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के स्थान पर घरलू कार्यों में उपयोग किए जाने वाले एसिड़ और एसीटोन के स्थान पर नेल पॉलिश रिमुवर का प्योग कर सकती हैं।

     मिलवाटी खाद्य पदार्थों से बचने और अपमिश्रण की पहिचान के लिए गृहणियों का जागरूक होना अति आवश्यक है, खाद्य अपमिश्रण एक अपराध है। खाद्य अपमिश्रण अधिनियम (Prevention of Food Adultration Act, 1954) के अन्तर्गत किसी भी व्यापार अथवा विक्रेता के दोषी पाए जाने पर 6 महीने का कारावास, जो कि आगे तीन वर्ष तक के लिए बढ़ाया जा सकता है, का प्रावधान है। इसके अलावा तानदण्ड़ का प्रावधान भी किया गया है। खाद्य-पदार्थों में मिलावट मानव स्वास्क्य के लिए अहितकर होती है और इसकी रोकथाम में उपभोक्ताओं की भूमिका बहुत अहम होती है। प्रत्येक उपभोक्ता (विशेष रूप से गृहणियों) का अपमिश्रण से बचाव हेतु जागरूक होना अति आवश्यक है।

 इसके लिए उन्हें निम्न बिन्दुओं का विशेष रूप ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे कि कोई भी खुली हुई खाद्य सामग्री न खरीदें, अधिकतर मानक प्रमाण चिन्ह (एगमार्क, एफपीओ, आईएसआई तथा हॉलमार्क) आदि अंकित सामग्री को क्रय करें, तथा खरदे जाने वाली सामग्री के गुणों, रंग, शुद्वता आदि के बारें में पूर्ण जानकारी रखें। सामान की खरीददारी परिचित दुकानदार अथवा सत्यपित कम्पनियों से ही खरीदें और जहाँ तक सम्भव हो सके पैकेज्ड़ सामान का उपयोग करने से पूर्व कम्पनी का नाम, पता, खाद्य पैकिंग की तिथि एवं उसके उपयोग में लाने की अन्तिम तिथि, सामान का वजन, गुणवत्ता के लेबल अवश्य ही चैक कर लें क्योंकि स्वस्थ्य और निरोगी जीवन ही सफलता की कूँजी है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभागए सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।