महिलाओं में मूत्र-पथ संक्रमण अर्थात यूटीआई

                                                          महिलाओं में मूत्र-पथ संक्रमण अर्थात यूटीआई

                                                                                                                                              डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

संकेत एवं लक्षणः- यूटीआई के लक्षणों में निम्नलिखित प्रकार से हो सकते हैं-

                                            

- महिलाओं के पेशाब करने के पूर्व, दौरान या फिर बाद में जलन या दर्द हो सकता है।

- सामान्य से अधिक बार पेशाब करने की इच्छा।

- पेशाब के दौरान आवश्यकता होने का अहसास होना।

- पेशाब में मवाद/पस अथवा रक्त का आना।

- पेट के निचले हिस्से में दर्द या ऐंठन का होना।

- ठण्ड़ लगना या बुखार होना, जबकि बच्चों और शिशुओं में सिर्फ बुखार होना ही एकमात्र लक्षण हो सकता है।

- तीव्र गन्ध वाले मूत्र का निकलना।

- सम्भोग के दौरान असहनीय अथवा हल्का दर्द होना।

- मतली, उल्टी एवं अस्वस्थता।

मूत्र पथ संक्रमण के कारण

- नया यौन साथी अथवा एक से अधिक यौन साथी।

- अधिक, लगातार अथवा तीव्र सम्भोग करना।

- मधुमेह।

- गर्भावस्था।

- एस्चेरिचिया कोलाई (ई-कोलाई)।

- स्टैफिलोकोकस सैप्रोफाइटिक्स

- परेशान कर देने वाले विभिन्न उत्पादों का उपयोग करना, जैसे कठोर त्वचा सफाई करने वाले।

- परेशान करने वाले गर्भ-निरोधकों का उपयोग, जैसे डायफ्राम और शुक्रणुनाशक इत्यादि।

- जन्म नियन्त्रक गोलियों का अत्याधिक उपयोग।

- मूत्र मार्ग में अवरोधक जैसे सौम्य द्रव्यमान या ट्यूमर इत्यादि।

- विभिन्न प्रकार की एंटीबायोटिक दवाओं का अत्याधिक उपयोग।

- यूटीआई का इतिहास, विशेषरूप से यदि संक्रमण का दोहरान 6 महीने से कम अन्तराल पर होता है।

- मूत्र असंयम का होना।

मूत्रपथ संक्रमण का होम्योपैथिक उपचार-

                                                    

    कुछ अध्ययनों के माध्यम से महिलाओं में मूत्रपथ संक्रमण के होम्योपैथिक उपचार की प्रभावशीलता की जाँच की है। होम्योपैथी चिकित्सक अथवा कोई अच्छा जानकार, अपने ज्ञान एवं नैदानिक अनुभव के आधार पर यूटीआई के लिए निम्नलिखित उपचारों में से कोई एक या एक से अधिक के सेवन करने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, होम्योपैथी की कोई भी दवा निर्धारित करने से पूर्व प्रभावित व्यक्ति/महिला की शारीरिक, भावनात्मक एवं उसकी बौद्विक स्थिति का आंकलन करते हैं। किसी व्यक्ति/महिला विशेष के लिए किसी भी दवाई का निर्धारण करने से पूर्व एक अनुभवी होम्योपैथ के लिए इन सभी स्थितियों का आकलन करना महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि होम्योपैथी चिकित्सा पद्वति में प्रत्येक व्यक्ति/महिला चिशेष होता/होती है।

महिलाओं में मूत्रपथ संक्रमण के लिए कुछ चयनित दवाईयाँ अग्रलिखित हैं-

                                                         

- एपिस मेलिफिकाः- ऐपिस मेल के मरीज में चुभने या जलन वाले ऐसे दर्द जो कि रात और गर्मी में बढ़ जाते है। यह दवाई ऐसे लोगों के लिए भी उपयुक्त होती है जो पेशाब करने की तीव्र इच्छा का अनुभव करते हैं परन्तु इसके उपरांत भी उनको पेशाब केवल बॅून्दों में ही होता है।

- एकोनाइटम- यूटीआई के प्रारम्ळिाक लक्षणों के लिए विशेषरूप से जब दर्दनाक पेशाब के साथ वह तेज गर्म भी होता है।

- बर्बेरिस- पेशाब के दौरान होने वाली जलन या तीव्र दर्द वाले युटीआई के लिए जो कि श्रोणि अथवा पीठ तक जाता है। पेशाब करने के बाद मूत्राश्य में दर्द की अनुभूति है जो प्रभावित के हिलने-डुलने से बढ़ जाती है।

- कैन्थरिस- यूटीआई के लिए कैन्थरिस को सबसे अधिक प्रभावी होम्योपैथिक की दवा के रूप में जाना जाता है। जो व्यक्ति/महिला बेचैन रहते हैं, जलन का अनुभव करते हैं और पेशाब करने की तीव्र इच्छा के उपरांत भी पेशाब के प्रवाह में कमी रहती है तथा इन लक्षणों के बावजूद भी उनमें यौन क्रिया की इच्छा में वृद्वि होती है।

- मरक्यूरिस- पेशाब करने की तीव्र इच्छा और जलन का अनुभव और यह लक्षण रात में, ठण्ड़ लगने और पसीना आने के साथ ओर बिगड़ जाते हैं, पेशाब का रंग गहरा होता है, उसमें गन्ध कम रहती है और पेशाब थोड़ी मात्रा में ही निकलता हैं। जब सम्बन्धित व्यक्ति पेशाब नही कर रहा होता तो अक्सर जलन बढ़ जाया करती है।

- नक्स वोमिका- जिन लोगों को बार बार पेशाब करने की इच्छा होती है और दर्द सुंई की तरह से होता है, यह दवा उन लोगों के लिए अच्छा कार्य करती है। इसके अतिरिक्त इस दवाई के लक्षणों में पेशाब करने की इच्छा के साथ ही मल त्यागने की इच्छा भी हो सकती है। कुछ लोगों में पेशाब करने के बाद, गर्म स्नान करने के बाद हल्की सी राहत महसूस हो सकती है जबकि शराब, कॉफी और नशीली दवाओं के सेवन से इन लक्षणों की शुरूआत हो सकती है।

- पल्सेटिला- गर्म मौसम में अचानक ठण्ड़ लगने के कारण होने वाली मूत्राश्य के सूजन के लिए इस दवा का उपयोग किया जाता है। यह दवाई ऐसे लोगों के लिए सबसे अधिक उपयुक्त होती है जिन्हे पेशाब करने की तत्काल इच्छा हासेती है, वे भावुक और ध्यान आकर्षित करने वाले होते हैं, जो हँसने, खाँसने, छींकने और आश्चर्यचकित होने के बाद पेशाब कर देते हैं।

- सारसापैरिला- जिन महिलाओं को पेशाब करने के अंत में तेज दर्द होता है, जो कभी-कभी उन्हें पेशाब करते समय खड़े होने के लिए भी विवश कर देता है।

- स्टैफिसैग्रिया- आमतौर पर यौन सम्भोग के इौरान अत्याधिक शर्मिन्दगी, अपमान जो जो कि यौन शोषण से जुड़ा होता है यह दवाई सबसे अधिक ऐसी महलाओं के लिए मुफीद होती है, उनमें पेशाब करने की इच्छा बहुत अधिक तीव्र होती है और पेशाब करने के उपरंत भी उन्हें ऐसा अनुभव होता है कि अभी भी पेशाब की कुछ बून्दे बाकी है।

होम्योपैथिक उपचार के दौरान क्या करें-

- प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट और सप्ताह में कम से कम 5 दिन व्ययााम करें।

- कॉफी तथा अन्य प्रकार के उत्तेंजक पदार्थों, शराब एवं तम्बाकू आदि से दूर रहें।

- प्रतिदिन कम से कम 6 से 8 गिलास पानी का सेवन अवश्य ही करें।

- कीगल व्ययाम करें, इसके लिए आप जैसे पेशाब को रोकने की क्रिया को अपनाते हैं ठीक उसी प्रकार इस क्रिया को दोहराते रहें।

- खाना पकाने के लिए नारियल या जैतून के तेल के जैसे तेलों का उपयोग करें।  

- फलों में ब्लूबेरी, चेरी तथा टमाटर और सब्जियों में स्क्वैश और शिमला मिर्च आदि को शामिल करें, अर्थात एंटीऑक्सीडेन्ट्स युक्त पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में करें।

- जिस किसी भी वस्तु का सेवन करने से एलर्जी हो उसका सेवन न करें।

- प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें जैसे कि हर्बल चाय तथा पानी आदि। मीठे फलों के रस और अन्य प्रकार के मीठे पेय का सेवन न करें।

विशेषः मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवा, दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

ऐसा भी हो सकता है कि आपकी दवा कोई और भी हो सकती है और कोई दवा आपको फायदा देने के स्थान पर नुकसान भी कर सकती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के किसी भी दवा का सेवन न करें।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकगण के अपने हैं।