स्वास्थ्य के आयुर्वेदिक समाधान

                                                                                          स्वास्थ्य के आयुर्वेदिक समाधान

                                                                    

अच्छी नींद चाहिए तो जाएं योगा की शरण में

सवाल: डॉ0 साहब मेरी आयु 38 वर्ष है, पिछले तीन महीनों से मुझे पर्याप्त नींद नही आ रही है। हर समय मेरी आँखों भारीपन और थकान रहती है, परन्तु नींद नही आती और मै नींद की गालियाँ खाना नही चाहता हूँ। ऐसे में बताए्र कि मै क्या करूँ?

उत्तर: दैनिक जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन और नियमित रूप से योग एवं आसन करने से आपको नींद आ सकती है। अतः इसके लिए निम्न योगासनों को अपनी दिनचर्या में शामिल करे-

1.   श्वासन: नींद के लिए लाभकारी- सोने से पहले मन को शान्त और अपने शरीर को नींद के लिए तैयार करने के लिए यह आसन सवश्रेष्ठ है। अतः इसका नियमित अभ्यास करें।

                                                  

सुप्त भद्रासन: अनुलोम विलोम एवं भ्रामरी प्रणायाम के जैसे श्वास व्यायाम का नियमित रूप से अभ्यास करें।

ध्यान: सोने से पूर्व कुछ गहरी सांसे ले और उन्हें धीरे-धीरे छोड़ें। अपने ध्यान को सांसों की गति पर केन्द्रित करें।

2.   जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव:

  • अपने शरीर की जैविक वाच को ठीक करने के लिए आप नियमित समय पर शयन करें और समय पर नींद से उठें।
  • सोने से आधा घंटा पूर्व से फोन एवं टी0वी0 आदि का उपयोग न करें।
  • सोने के समय अपनी रूचि के अनुरूप किसी किताब का अध्ययन करें। इसके अलावा आप गर्म पानी से स्नान भी कर सकते हैं और रात में कैफन एवं एल्कोहल का सेवन न करें।
  • सोने के लिए एक शान्त एवं कूल स्थान का ही चयन करें। ध्यान रहें नींद की स्थिति में सुधार करने के दौरान कुछ समय लग सकता है अतः अपने धैर्य को बनाए रखें और इन आदतों का पालन करते रहें।

सवाल: मेरे पुत्र की आयु 16 वर्ष है। वह अपनी पढ़ाई के चलते तनाव में रहता है और उसका कद भी कुछ कम है। अतः आपसे प्रार्थना है कि इसके लिए कुछ योगासन एवं आयुर्वेदिक समाधान बताएं?

उत्तर:  विभिन्न प्रकार के योग का अभ्यास करने से बच्चों में तनाव की समस्या कम होती है और उनकी शारीरिक मजबूती भी बढ़ती है। इसके लिए कुछ आसन इस प्रकार हैं-

बालासन: इस आसन को करने से शरीर को आराम मिलता है और तनाव एवं चिन्ता से भी राहत मिलती है।

पश्चिमोत्तानपासन: यह आसन रीढ़ की हड्डी के फैलाव को बढ़ता है और तनाव एवं चिन्ता को कम करता है।

श्वासन: श्वासन से मन एवं शरीर को शान्ति प्राप्त होती है और मन एवं शरीर दोनों ही ताजगी से परिपूर्ण हो जाते हैं।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम: श्वास लेने की यह तकनीक हमारे नर्वस सिस्टम को संतुलित करने एवं तनाव को कम करने में काफी मदद कर सकती है।

                                        

भ्रामरी प्राणायाम: यह प्राणायाम श्वास एवं ध्वनि पर ध्यान केन्द्रित कर मन को शान्त एवं तनाव को कम करने में मुख्य भूमिका निभाता है।

जड़ी-बूटीः अश्वगंधा, ब्राह्मी और आंवला आदि का सेवन करना अच्छा रहता है। इसके साथ ही रात में गर्म दूध के साथ ण्क चुटकी केसर भी बच्चे को पीने के लिए दें। इससे नींद एवं तनाव दोनों में ही राहत प्राप्त होगी।

कद: व्यक्ति की ऊँचाई का निर्धारण करने में आनुवांशिकता का भी एक विशेष रोल होता है। वैसे इसके लिए ताड़ासन एवं यटिकासन जैसे आसन शारीरिक विकास को बढ़ावा देने का काम करते हैं। इसके साथ ही संतुलित आहार, नियमित रूप से व्यायाम और पर्याप्त रूप से नींद लेना भी लाभदायक होता है।

सवाल: सर मुझे पिछले दो महीनों से लगातार खाँसी की समस्या चल रही है। इसके लिए कफ सिरप और दवा आदि लेने से कुछ समय की तो राहत मिल जाती है, परन्तु उसके बाद फिर वही स्थिति हो जाती है। इस समस्या से मुक्ति हेतु कोई उपाय बताएं?

उत्तर: इस समस्या के हल के आपको निम्न क्रियाओं को अपनाना चाहिए-

योग आसन: हस्तपादासन, त्रिकोणासन, ऊष्ट्रासन, सेतुबन्धासन और मकरासन जैसे आसनों को नियमित रूप से करें। यह आसन फेफड़ों के साथ ही हमारे श्वसन तन्त्र को भी बेहतर बनाते हैं।

प्राणायाम: अनुलोम-विलोम और कपालभाति के जैसे प्राणायाम और गहरी सांस लेने का नियमित रूप से अभ्यास करें।

आहार व्यवहार

सिट्रस फ्रूट्स: अपने आहार में संतरा, नींबू और अंगूर आदि के जैसे खट्टे फलों को शामिल करें। विटामिन सी से शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता अर्थात इम्यूनिटी बेहतर होती है।

जल नेति: इस प्रक्रिया में खारे पानी की सहायता से नासिका के मार्ग को साफ किया जाता है। जिससे खाँसी के साथ ही गले में भी आराम होता है।

जीभ मूल शोधन: जीभ एवं गले के टॉक्सिन्स को बार करने के लिए जीभ की सफाई की जाती है।

भाप लें: नियमित रूप से सिर पर कपड़ा लपेटकर भाप लेने से सर्दी-खाँसी में आराम आता है।

                                             

हाइड्रेशन: स्वयं एवं गले को हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में तरल का सेवन करें। इसके लिए आप हर्बल चाय, सूप तथा गर्म फ्लुईड का सेवन करते रहें।

उत्तेजक पदार्थों से रखें दूरी: सदैव एलर्जी को ट्रिगर करने वाली वस्तुओं से अपना बचाव रखें। इनमें धूल, धुआँ, मसाले एवं इत्र आदि को शामिल किया जा सकता है।

पर्याप्त रूप से आरम करें: हमारे उत्तम स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मात्रा में शरीर को आराम एवं अच्छी नींद बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।