दीपावली पर पटाखे जलाना हानिकारक हो सकता हैं, रखें अपने स्वाद और सेहत का ख्याल

                                     दीपावली पर पटाखे जलाना हानिकारक हो सकता हैं, रखें अपने स्वाद और सेहत का ख्याल

                                                                     

                                                                                                                                                                     डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर

वैसे तो दीपावली की तैयारी विगत कई दिनों से लगातार ही चल रही थी, अब आज और कल दीपावली का त्यौहार पूरे धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दौरान लोगों ने अपने घरों पर दीप प्रज्वलित करने की व्यवस्था करने के साथ ही लाइटिंग आदि की व्यवस्था भी की हुई है। लेकिन दीपावली पर पटाखे और अनार की चिंगारी से शरीर के अंगों को झुलसने की समस्या हो सकती है। प्रायः देखा गया है कि पटाखे छुटाते समय लोग सावधानी नहीं बरतते हैं तो यह उनके जीवन के लिए खतरनाक भी हो जाता है। आंखों और त्वचा पर वर्न इंजरी कई तरह की समस्या खड़ी कर सकती है। इसलिए पटाखे चलाते समय बड़ी सावधानी रखने की आवश्यकता होती है।

त्वचा के जलने का रहता है खतरा

                                                                   

पटाखे चलाने से वायु प्रदूषित होती है, इससे एलर्जी की समस्या हो जाती है, एक्जिमा के मरीज बारूद को हाथ से न छुए, पटाखे व अनार में भरे बारूद से हाथों में रिएक्शन हो सकता है। इससे हाथ की त्वचा पर फफोले पड़ जाते हैं, इससे हाथों में एलर्जी हो सकती है। पटाखे छुड़ाते समय हाथ-पैर और चेहरे पर चिंगारी पड़ने का खतरा भी बना रहता है। इससे त्वचा जल सकती है, यह देखा गया है कि छोटे बच्चों को पटाखे से दूर ही रखना चाहिए जलने से कई प्रकार की गंभीर समस्या पैदा हो सकती है।

पटाखों से आंखों को भी होता है नुकसान

                                                                 

प्राय देखा गया है कि लोग बहुत अधिक पटाखे चलाते हैं। अधिक पटाखों से वायु प्रदूषण बढ़ता है और इसका असर आंखों पर स्पष्ट दिखाई देता है। पटाखे के छुड़ाने से आंखों में लालपन व जलन की समस्या हो सकती है। पटाखे, अनार आदि को चलाते समय जरा सी भी चिंगारी यदि आंखों पर पड़ गई तो वह पतली को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। पटाखों से लगने वाली चोट से आंखों में घाव, रक्त के थक्के बनने या पतली को नुकसान पहुंच सकता है। पर देखा गया है कि जब लोग बोतल में रॉकेट चलाते हैं तो उस वक्त लोगों के अधिक चोटिल होने का खतरा बना रहता है।

सावधानी बरतते हुए यही ध्यान रखना होगा कि वह रॉकेट को जलाते समय अपना बचाव रखें। बच्चों को अकेले में पटाखे न चलने दे और कोशिश करें कि आप अपने सामने उनके साथ खड़े रहे। क्योंकि बच्चे जब पटाखे चलाते हैं तो वह उत्साह के चलते सावधानी नहीं बरतते हैं और इससे उनको नुकसान भी हो सकता है।

जलने पर क्या करें

                                         

यदि पटाखे चलाते समय त्वचा के किसी हिस्से में पटाखे की चिंगारी लग जाती है तो टूथपेस्ट को जले हुए हिस्से में न लगाकर किसी बर्फ का टुकड़े या ठंडा पानी में जले हुए हिस्से पर रखना चाहिए। त्वचा के जले हिस्से पर सोफ्रेमायकिन क्रीम का इस्तेमाल करें। दिन में दो से तीन बार उसको लगाए। जले हिस्से में कपड़ा चिपक गया है तो उसे जबरदस्ती ना छुड़ाएं तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें दर्द होने पर पेन किलर ले सकते हैं, लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के न ले।

यदि आंख में चोट लग गई हो तो सबसे पहले पानी से उसको साफ करें आंख के ऊपर बर्फ रखें इससे ठंडक पहुंचेगी और थोड़ा राहत भी मिलेगी। एंटीबायोटिक आई ड्रॉप डाल सकते हैं, लेकिन घी या अन्य कोई क्रीम आंखों में ना डालें। समस्या अधिक होने पर तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें क्योंकि यदि इसमें देरी करेंगे तो समस्या गंभीर भी हो सकती है।

अपने स्वाद के साथ सेहत का भी रखे ख्याल

दीपावली के त्यौहार में घर में कई तरह के व्यंजन तैयार किए जाते हैं और बाजार से भी धूमधाम के साथ कई तरह की मिठाइयां खरीद कर लाई जाती हैं। वैसे तो दीपावली का त्योहार खान-पान के बिना अधूरा ही होता है और परिवार एवं दोस्तों के संग खाने-पीने का दौर त्योहार के दौरान खुशनुमा माहौल बना देता है। ऐसे में कभी-कभी यह खानपान शरीर के लिए घातक भी हो जाता है। अतः त्योहारों में सेहतमंद खाने के साथ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और पाचन क्रिया ठीक रखने की जरूरत होती है।

                                           

इसके लिए गुनगुने पानी का ही इस्तेमाल करें हालांकि इसमें लौंग या दालचीनी पाउडर भी डाल सकते हैं। दही या रायता बनाएं तो उसमें छौक अवश्य लगाये, इससे पेट ठीक रहेगा। अधिकतर लोग रिफाइंड में पूरी बनाने के बाद उसको बार-बार प्रयोग करते हैं परन्तु रिफाइंड का बार-बार प्रयोग नहीं करना चाहिए। पनीर की जगह मक्खन का प्रयोग किया जा सकता है। इसमें कोफ्ते की सब्जी खाना भी ठीक रहता है।

दीपावली का यह त्यौहार हमारी भौतिक समृद्धि के साथ आध्यात्मिक समृद्धि और ज्ञान का भी प्रतीक है। दीपावली पर जलते दिये समृद्धि के साथ-साथ खुशहाली समानता और प्रेम की भी अभिव्यक्ति है। भारत की आध्यात्मिक समृद्धि की रोशनी कभी दूर देशों तक फैली थी तो मौजूदा 21वीं सदी में भी भारत और भारतवंशियों का प्रभाव दूर-दूर तक कायम हुआ है। इस बार देश विदेश के लाखों श्रद्धालुओं को दीपोत्सव से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

भारत विश्व की सिर्फ पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था ही नहीं है बल्कि अरबपतियों की बढ़ती संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा शानदार विकास की दर तथा सोने हीरे और बड़ी कारों की बढ़ती खरीददारी इस देश की मजबूत आर्थिक बुनियाद के बारे में बताती है। वर्ष 2005 और 2006 से 2019 से 2021 तक यहां 41.5 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकल गया है। इसकी प्रशंसा संयुक्त राष्ट्र ने भी की है हालांकि कई तत्व अभी भी चुनौति पेश कर रहे हैं।

वर्ष दर वर्ष बढ़ रहा है प्रदूषण का स्तर

                                                                 

वर्ष 2018 में दीपावली पर पटाखे जलाने से प्रदूषण काफी बढ़ गया था। बीते वर्षों में दीपावली पर दिल्ली में सबसे ज्यादा खराब यूआई 2020 में दर्ज किया गया था। जो कि वर्ष 2018 में 281, वर्ष 2019 में 337, वर्ष 2020 में 414, वर्ष 2021 में 382 और वर्ष 2022 में 321 पहुंच गया था। 2023 में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ा है लेकिन अचानक ही हुई बारिश के कारण कुदरत ने वायु प्रदूषण पर कुछ नियंत्रण किया है। अब देखना है कि दीपावली के बाद प्रदूषण की स्थिति क्या रहती है।

लेखकः डॉ दिव्यांशु सेंगर, मेडिकल ऑफिसर, प्यारेलाल डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल मेरठ।