अब ई कचरा दुनिया के लिए बन रहा है खतरा

अब ई कचरा  दुनिया के लिए बन रहा है खतरा

 

इस अंतरराष्ट्रीय ई-वेस्ट दिवस पर हमस ब मिलकर करें प्रण कि इसका डिस्पोजल करेंगे

आने वाले समय में ई कचरा बन रहा है दुनिया के लिए एक गम्भीर खतरा।

लोगों के द्वारा केबल,  ई-खिलौने, बिजली उपकरण और यूएसबी स्टिक जैसे कचरे को किया जा रहा हैं नजरअंदाज जो कि यह होंगे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक।

 

विश्व स्तर पर उत्पन्न होने वाले इलेक्ट्रॉनिक कचरे के लगभग एक छठवें भाग की पहचान करने में विफल रहते हैं, जो प्रति वर्ष लगभग 9 अरब किलोग्राम होता है। अदृश्य ई-कचरा कही जाने वाली इन वस्तुओं में केबल, ई-खिलौने, ई-सिगरेट, ई-बाइक, बिजली के उपकरण, स्मोक डिटेकटर, यूएसबी स्टिक, इस्तेमाल करने योग्य स्वास्थ्य उपकरण और स्मार्ट होम गैजेट आदि शामिल होते है।

ब्रुसेल्स स्थित बेस्ट इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट (डब्ल्यूईईई) फोरम प्रत्येक वर्ष 14 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय ई-वेस्ट दिवस का आयोजन करता है। फोरम के द्वारा अभी तक अरबों किलोग्राम अदृश्य अपशिष्ट वस्तुओं की वार्षिक मात्रा की गणना और अध्ययन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान (युआनआईटीआर) को नियुक्त किया गया था।

 

 

अध्ययन के निष्कर्ष चालू वर्ष में ‘‘अदृश्य ई-कचरे’’ पर ध्यान केंद्रित करने के अवसर से दो दिन पहले ही डब्ल्यूईईई की वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिये गए हैं। अध्ययन में पाया गया है कि घरों में अब सामान्य तौर पर अदृश्य ई-कचरा वस्तुओं का उपयोग बढ़ता जा रहा है। इन वस्तुओं में टूथब्रश, शेवर, बाहरी ड्राइव और सहायक उपकरण, हेडफोन और ईयरबड, रिमोट कंट्रोल, स्पीकर, एलइडी लाइट, बिजली उपकरण, घरेलू चिकित्सा उपकरण तथा गर्मी और धुँआ डिटेक्टर आदि प्रमुख रूप से शामिल है। जबकि बाहरी हार्ड ड्राइव दो श्रेणियां में आती है, हार्ड डिस्क ड्राइव (एचडीडी) और सॉलिड स्टेट ड्राइव यानि एसएसडी आदि शामिल है।

ई कचरा स्वास्थ्य के लिए है खतरनाक

                  

बहुत से लोग कुछ बैटरी चलित या वायर-इन उत्पादों, जैसे स्मोक डिटेक्टर या स्मार्ट थर्माेस्टेट आदि को विद्युत उत्पाद के रूप में नहीं पहचानते क्योंकि उनमें कोई प्लग नहीं लगा होता है और अधिकतर लोग अदृश्य ई-कचरे से भी अनभिज्ञ होते है। इन उपकरणों को ठीक से उपचारित भी नहीं किया जा रहा है। इसलिए सीसा, पारा और कैडमियम जैसे पदार्थ, मिट्टी और पानी में घुलकर उन्हें प्रदूषित कर रहे हैं और इसका कृषि पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है, जिससे उत्पादकता और स्वास्थ्य के प्रति जोखिम बढ़ जाता है।

ई-कचरे के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं-

  • ई-कचरे की अदृश्य श्रेणी को यदि एक स्थान पर एकत्र किया जाए तो यह लगभग 5,00040 टन ट्रैकों के वजन के बराबर होगी और यह ट्रकों की 5,640 किलोमीटर लंबी लाइन बनने के लिए पर्याप्त है।
  • लगभग 3.2 अब किलोग्राम यानी ई-कचरे का 35 प्रतिशत ई-खिलौना श्रेणी के अंतर्गत आता है। इसमें रेस कार सेट, इलेक्ट्रिक ट्रेन, संगीत खिलौने, बात करने वाली गुड़िया और अन्य रोबोटिक आकृतियां, बाइकिंग कंप्यूटर तथा ड्रोन आदि शामिल होते है।

अदृश्य कचरे की समस्या में भारत की हिस्सेदारी बहुत ज्यादा बढ़ती जा रही हैः ई-कचरा संकट में भारत एक महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है और भारत इस क्षेत्र में काफी तेजी से उभरता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2020 के अनुसार आज चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा अदृश्य ई-कचरा भारत में पैदा हो रहा है।

 

                  

यदि ई-कचरे को रोकने के लिए समय पर उचित कदम नहीं उठाए गए तो निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में यह विश्व के सामने एक बहुत बड़ा खतरा बनकर उभरेगा। लगातार बढ़ रहे ई-कचरे के प्रति पर्यावरणविद् भी चिंतित हैं और कहते हैं कि समय पर ई-कचरे को रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ी सुरक्षित रह सके।