स्वास्थ्य के लिए कसैला है कृत्रिम मीठा

                                                              स्वास्थ्य के लिए कसैला है कृत्रिम मीठा

                                                                                                                                                                   डॉ0 दिव्याँशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                                               

‘‘अधिक मात्रा में किया गया कृत्रिम का सेवन कई प्रकार के दुष्प्रभावों को आमंत्रण दे सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन अब इसे कैसरकारी घोषित करने पर विचार रहा है। अतः हमारे एक्सपर्ट बता रहें हैं कि इनका प्रयोग किस प्रकार से करें और इनका प्रयोग करते समय किन बातों का ध्यान रखें-

वर्तमाान समय में इन दिनों चीनी से दूर रहने के चक्कर में लोगों में कृत्रिम मीठे को उपयोग करने के चलन में एकाएक काफी वृद्वि दर्ज की जा रही है। ऐसे में जो लोग शुगर की बीमारी से पीड़ित भी नही हैं, उनमें भी कृत्रिम मीठे का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। अब चेताया जा रहा है कि मधुमेह से पीड़ित लोगों को भी कृत्रिम मीठे के उपयोग में सावधानी बरतनी चाहिए और इसके सम्बन्ध में अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करना चाहिए।

चीनी से अच्छा नही

                                                               

    ग्लूकोज की भाँति ही कृत्रिम मीठा भी व्यक्ति की पाचन प्रणाली के अन्तर्गत टूटकर ऐसी ऊर्जा उत्पन्न नही करता है, जिसका उपयोग व्यक्ति का शरीर कर सके। इसके अलावा इसमें कोई पोषक तत्व भी उपलब्ध नही होता है। क्योंकि इसका सेवन करने से व्यक्ति को कोई कैलोरी प्राप्त नही होती है और यह स्वाद में मीठा भी होता है अतः लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं। जबकि इसका अधिक मात्रा में सेवन करना हानिकारक हो सकता है।

यह आदत नहीं है अच्छीः

                                           

लोगों को इसके स्वाद की आदत पड़ जाए तो वे बार-बार सेवन करना चाहते हैं। जबकि इसका सेवन आवश्यकता से अधिक करने पर व्यक्ति का वजन बढ़ जाता है। इसका ज्यादा प्रयोग करने से मानव के पाचन तन्त्र में गड़बड़ी, मधुमेह, सिरदर्द, चक्कर आना और ह्नदय की गति में परिवर्तन होना आदि समस्याएं सामने आने लगती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे कैंसर कारक माना है, हालांकि इसकी पुष्टि अभी नहीं हुई है।

बच्चों को इससे बचाएंः-

वर्तमान समय में हमारे खराब खाने पीने की आदतों के कारण बच्चों में भी डायबिटीज की समस्या बहुत देखी जा रही है, जिसके चलते बच्चों को भी शुगर फ्री या फिर कृत्रिम मीठा देना पड़ता है। ऐसे में प्रत्येक अभिभावक का प्रयास यह होना चाहिए कि बच्चों को इसकी आदत न पड़ने पाए।

फल है इसका उत्तम विकल्पः

                                                  

यह एक सनातन सत्य है फलों में मौजूद सुक्रोज मीठे का एक उत्तम विकल्प होता है। यह मीठा अधिक नुकसानदायक भी नहीं होता है, परन्तु यह ध्यान भी रखना चाहिए कि फलों का सेवन भी उचित मात्रा में ही करें। यदि फल के साथ कार्बाेहाइड्रेट ले लिया या फिर अन्य कैलोरीयुकर््त चीजें भी कृत्रिम मीठे के साथ ले लीं जाएं तो इससे लाभ होने के स्थान पर फलों का सेवन करना हानिकारक हो सकता है।

सैकरीन से उचित दूरी बनाकर ही रखने में समझदारी

सैकरीन एक कम कैलोरी वाला स्वीटनर है, जो चीनी के माध्यम से बनाया जाता है। यह चीनी की अपेक्षा लगभग 300 गुणा अधिक मीठा होता है। इसका उपयोग डाइट सोडा और दही आदि के सहित अन्य कई खाद्य पदार्थों में किया जाता है। वैसे सैकरीन सुरक्षित तो है, परन्तु ज्यादा मीठा होने के कारण इसका प्रयोग करने से बचना ही श्रेयकर रहता है।

डरें नहीं, समझदारी से करें काम

  • यदि आप कैलोरी अधिक मात्रा में ले रहे हैं तो उसके हिसाब से अपनी शारीरिक सक्रियता को भी बढ़ाएं, जिससे कि कैलोरी बर्न हो सके, और उचित संतुलन बना रहे।
  • अधिक मात्रा में सेवन किया गया कृत्रिम मीठा मधुमेह व हृदय संबंधी समस्याओं को भी बढ़ा सकता है। इसकी आदत लग जाने से मिठाइया कम मीठी लगने लगती है और शर्करा ग्रहण करने की लालसा भी बढ़ जाती है।
  • यदि आप अतिरिक्त मीठा लेना चाहते हैं तो इसके लिए आप अपने डाइट चार्ट की पुनः समीक्षा करें।
  • आप अपना पसंदीदा खाना बिलकुल खा सकते हैं, परन्तु आप इसके लिए किसी विशेष अवसर या फिर दिन का निर्धारण करें।

लेखकः डॉ0 दिव्याँशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा, जिला अस्पताल मेंरठ में मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं।