सतर्क रहकर डेगू के प्रकोप से बचे

                                                   सतर्क रहकर डेगू के प्रकोप से बचे

                                                                                                                           डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                                

इन दोनों जैसे-जैसे मौसम में परिवर्तन हो रहा है, तो ऐसे में डेंगू का प्रकोप भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इस वर्ष डेंगू का प्रकोप पिछले वर्ष की तुलना में कहीं ज्यादा दिखाई दे रहा है, लेकिन यह बीमारी जितनी तकलीफ दे रही है, उससे ज्यादा परेशानी लोगों में जागरूकता के अभाव के कारण पैदा हो रही है। लोग एक बीमारी से बचने के लिए, दूसरी बीमारी को दावत दे रहे हैं और  लोग चिकित्सकों की सलाह के बजाय स्वयं से प्लेटलेट्स और फ्लूइड्य आदि चढ़वा रहे हैं, जिससे उन्हे किडनी और हृदय संबंधी नई-नई परेशानियों का खतरा भी पैदा हो रहा है और यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी दिशा निर्देशों के अन्तर्गत भी प्लेटलेट्स और फ्लूइड के मनमाने प्रयोग के प्रति सचेत किया गया है। प्रदेश में मुरादाबाद, कानपुर, लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर में डेंगू का प्रकोप अत्याधिक दिखाई दे रहा है। प्रदेश का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग इन जिलों में विशेष सतर्कता बरत रहा है। अस्पतालों में डेंगू मरीजों के लिए विशेष वार्ड बनाए गए हैं और इसीके साथ, निजी अस्पतालों में इलाज कर रहे लोगों का रिकॉर्ड भी रखा जा रहा है।

                                                

शासन स्तर पर भी डेंगू से सम्बन्धित मामलों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है और इससे प्रभावित रोगियों की श्रेणी बनाकर उनका उपचार किया जा रहा है।

शासन की इतनी सतर्कता के उपरांत भी, यदि लोग मनमानी तरीके से उपचार करा रहें हैं तो ऐसे में यह सवाल उठाना भी जरूरी है कि शासन के द्वारा की जा रही मॉनिटरिंग की कड़ियां कहीं कमजोर तो नहीं पड़ रही है।

इस स्थिति में देखा तो यह देखा जाना चाहिए कि क्या निचले स्तर पर शासन की मंशा के अनुरूप ही काम हो रहा है अथवा नहीं। पिछले कई वर्षों से लगातार डेंगू का प्रकोप रहने के कारण लोगों में कई तरह की भ्रांतियां भी फैली है। वस्तुतः प्लेटलेट्स के कम होने और बढ़ने को ही लोगों ने इसे बीमारी व इसका उपचार मान लिया है।

                                                      

जरा सी आशंका होने पर गली-गली खुला सैंपल कलेक्शन सेंटर, झोलाछाप डॉक्टर्स व मेडिकल स्टोर के प्रतिनिधि भी प्रभावित लोगों को प्लेटलेट्स की दवाइयां सेवन करने की सलाह दे डालते हैं और लोग उनका सेवन भी कर ले रहे हैं। ऐसे में इस प्रकार की प्रवृत्ति पर प्रभावी अंकुश लगाना बहुत जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तर पर तैनात जिम्मेदारों के द्वारा इस पर संज्ञान दिया जा रहा है और यथासंभव कार्रवाई भी की जा रही है और यदि जरूरी हो तो मेडिकल स्टरों से बिना डॉक्टर की सलाह की प्लेटलेट्स या फ्लूइड आदि को उपलब्ध कराने पर रोक भी लगानी चाहिए, जहां पर भी इस तरह की कार्रवाई करते हुए लोग दिखाई देते हैं उन पर तुरंत कार्रवाई भी की जानी चाहिए। इसके उपरांत ही कोड में खाज जैसी विडंबना को कम से कम किया जा सकता है।

इन दोनों जनपदों में देखा गया है कि वायरल बुखार के मामले बढ़ रहे हैं और इससे कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। सर्दी, जुकाम, खांसी और गले में खराश की समस्या भी बढ़ी है। इस समय सरकारी अस्पतालों में ओपीडी से लेकर भारती वार्ड तक बुखार के मरीज ही नजर आते हैं तो वही पीएचसी सीएचसी में भी लोगों को जरूरी जांच और चिकित्सीय सेवाएं लगातार प्रदान की जा रही है।

                                                        

परन्तु इसके उपरांत भी पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालांकि, सरकार के द्वारा उपचार की समुचित व्यवस्था की गई है, और आपको केवल यह ध्यान रखना है कि आप चिकित्सक के सलाह के उपरांत ही किसी दवाई का सेवन करें। मनचाहे तरीके से दवाई का सेवन कर लेने से आपको कोई नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। अतः यह जरूरी है कि डॉक्टर की सलाह के बिना न तो कोई प्लेटलेट्स को चढ़वाए और ना ही किसी प्रकार की दवाईयों का सेवन करें।

 

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।

डिस्कलेमर: उक्त लेख में प्रकट किए गए विचार लेखक के अपने मौलिक विचार हैं।