प्राकृतिक खेती के माध्यम से तैयार कृषि उप-उत्पाद

                                                     प्राकृतिक खेती के माध्यम से तैयार कृषि उप-उत्पाद

                                                        

बुढ़ाना, शाहपुर रोड, पीनना बाईपास स्थित शांति प्राकृतिक कृषि फार्म बरवाला के माध्यम से संचालित मोबाइल जूस ट्रॉली का उद्घाटन IAS, मुख्य विकास अधिकारी श्री संदीप भागिया, कृषि उपनिदेशक श्री जसवीर तेवतिया और कृषि विभाग के अन्य अधिकारी द्वारा किया गया। जिसमें सीडीओ ने गन्ने के रस से बनी कुल्फी, जिसमें में चीनी का प्रयोग नहीं किया गया है, का सेवन किया। बाजार में जितनी भी अन्य प्रकार की कुल्फी या आइसक्रीम मिलती है, इन सभी में चीनी या आर्टिफिशियल शुगर का इस्तेमाल अवश्य किया जाता है।

इस  कुल्फी की विशेषता यह है इस कुल्फी को बनाने में गन्ने का रस और गाय के दूध का प्रयोग किया जाता है। सीडीओ साहब ने स्वयं इस कुल्फी का स्वाद लिया और बताया कि इसका बहुत अच्छा स्वाद है। ऐसी कुल्फी हमने पहले कभी नहीं खाई थी। उन्होंने गन्ना हर्बल टी का भी स्वाद लिया और इसको बनाने में गन्ने के रस में लेमन ग्रास, इलायची का प्रयोग किया जाता है। इस चाय में किसी भी प्रकार से चाय पत्ती का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस चाय का स्वाद भी सीडीओ साहब ने लिया और इस चाय भी बहुत अच्छा बताया।

                                                   

यह सभी उत्पाद, गन्ना-कुल्फी, गन्ना-जूस, गन्ना मसाला चटनी, गन्ना चाय, गन्ना कॉफी, गन्ना फ्रोजन जूस, प्राकृतिक गुड, शक्कर तथा सिरका आदि के सम्बन्ध में भी जानकारी प्राप्त की और लगभग सभी उत्पादों का स्वाद भी लिया और सभी उत्पादों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। साथ ही साथ सीडीओ साहब ने हमें अपने मोबाइल जूस ट्रॉली को विकास भवन मुजफ्फरनगर में लगाने के लिए आमंत्रित किया। इन सभी उत्पादों का उत्पादन प्राकृतिक कृषि विधि के माध्यम से किया जाता है। योगेश बालियान को विश्वविद्यालय स्तर और राष्ट्रीय स्तर पूसा आईसीएआर नेशनल इनोवेटिव फार्मर अवार्ड 2022 में मिल चुका है।

प्राकृतिक कृषि फार्म बरवाला द्वारा संचालित इस मोबाइल ट्रॉली के बारे में योगेश बालियान ने बताया कि इस कार्य में जनपद के उच्च अधिकारियों का भरपूर सहयोग व निर्देशन समय-समय पर मिलता रहता है। इन के सभी उत्पादों का उत्पादन आमजन के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर किया गया है और सभी उत्पाद प्राकृतिक कृषि विधि द्वारा, जो किसान पिछले 7 वर्षों से कर रहा है। प्राकृतिक कृषि विधि में किसी भी प्रकार का रासायनिक खाद, कीटनाशक या रोग-नाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है।

                                                                  

प्राकृतिक कृषि विधि में देसी गाय के गोबर, गोमूत्र, गुड, बेसन, नीम के पत्ते, हरी मिर्च, अदरक और लहसुन की चटनी आदि से निर्मित जीवामृत, घन जीवामृत, वीजाअमृत, नीमास्त्र, और दशपर्णी अर्क आदि का प्रयोग किया जाता है। प्राकृतिक खेती का मुख्य आधार जीवामृत है, इसको बनाने में 10 किलो गाय का गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, 2 किलो गुड़, 2 किलो किसी भी दाल का आटा, अरहर, मसूर और चना आदि इन सब को मिलाकर 200 लीटर के प्लास्टिक खाली ड्रम में डालकर 180 लीटर पानी में मिला दिया जाता है। सुबह शाम 5:00 मिनट घड़ी की सुई की दिशा में इसे हिलाया जाता है।

                                                               

                                                                                    गन्ने के रस की खीर

यह 5 से 7 दिन में तैयार हो जाता है और फिर इसको किसी भी फसल में, हम जब भी सिंचाई करते हैं, इसे पानी के साथ छोड़ दिया जाता है और उसके बाद 10 प्रतिशत का स्प्रे भी किया जाता है। इसके करने से ही सारा कार्य प्राकृतिक खेती में हो जाता है बाकी और गतिविधियां दशपर्णी अर्क और नीमास्त्र आदि पदार्थों से पूरी हो जाती है। इस प्रकार किसान को जो उत्पाद मिलता है इस उत्पादन के सेवन करने से किसी को कोई बीमारी नहीं लगती और उसको स्वास्थ्य लाभ भी मिलता रहता है।