हिमालय का तापमान दोगुनी गति से बढ़ रहा

                                                हिमालय का तापमान दोगुनी गति से बढ़ रहा

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हिमालय का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। इक्कीसवीं सदी में इसके गरम होने की रफ्तार दोगुनी हो गई है। निचले इलाकों की तुलना में उच्च हिमालयी क्षेत्र ज्यादा तेजी से गरम हो रहा है।

भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट बताती है कि यही स्थिति जारी रही तो इस सदी के समाप्त होने तक हिमालय के तापमान में 2.6 से 4.6 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे ने हिमालय के विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे वैज्ञानिक अध्ययनों से मिले आंकड़ों का विश्लेषण किया है। सौ से अधिक वर्षों के आंकड़ों के अध्ययन करने के बाद पता चलता है, कि बीसवीं सदी की शुरुआत से ही हिमालय का तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगा था। वर्ष 1940 से 1970 के बीच तापमान में गिरावट भी देखने को मिली, लेकिन इसके बाद बिगड़ी स्थिति फिर से काबू नहीं हो पाई।

21वीं सदी शुरू होने के साथ ही ये और विकराल हो गई है। अध्ययन से पता चलता है कि बीसवीं सदी के किसी भी एक दशक में औसत तापमान .16 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ रहा था। इसमें वृद्धि की दर बहुत सीमित थी जबकि 21 वीं सदी की शुरुआत के दशकों में तापमान की यह वृद्धि .32 डिग्री पहुंच गई है।

चार हजार मीटर से ऊपर तेजी से बढ़ रहा तापमान

                                                                      

चार हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर हिमालय का तापमान और तेजी से बढ़ रहा है। 10 वर्षों में इन स्थानों पर 0.5 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि देखी गई है। भविष्य में तापमान बढ़ने की रफ्तार और बढ़ेगी। माना जा रहा है कि 21वीं सदी के अंत तक तापमान में 2.5 से 4.6 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है, जो कि एक चिंता की बात है। वैज्ञानिक टीपी साबिन ने बताया कि हमें कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करना होगा ताकि ग्लोबल वार्मिंग का खतरा कम हो सके।

ग्लेशियरों पर बुरा असर

                                                 

हिमालय का बढ़ रहा तापमान ग्लेशियरों को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। तापमान बढ़ने और शीतकाल में बर्फबारी कम होने के चलते ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहे हैं। पिछले 40 वर्षों में ग्लेशियरों में 13 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है। जबकि पूर्वी हिमालय के ग्लेशियरों में सबसे अधिक नुकसान देखने को मिल रहा है।